अहिल्या घाट

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अहिल्या घाट महेश्वर के ख़ूबसूरत घाटों में से एक है। यह इतना सुन्दर है कि बस घंटों निहारते रहने का मन करता है। चारों ओर शिव जी के छोटे और बड़े मंदिर, हर जगह शिवलिंग ही शिवलिंग दिखाई देते हैं। सामने देखो तो नर्मदा नदी अपने पूरे तीव्र वेग से प्रवाहित होती दिखाई देती हैं। आस पास देखो तो शिव मंदिर दिखाई देते हैं और पीछे की और देखो तो महेश्वर का एतिहासिक तथा ख़ूबसूरत क़िला होल्कर राजवंश तथा रानी देवी अहिल्याबाई के शासन काल की गौरवगाथा का बखान करता प्रतीत होता है। यह घाट पूरी तरह से शिवमय दिखाई देता है। पूरे घाट पर पाषाण के अनगिनत शिवलिंग निर्मित हैं। महेश्वर की महारानी देवी अहिल्याबाई से बढ़कर शिवभक्त आधुनिक काल में कोई नहीं हुआ है। उन्होंने पूरे भारत में शिव मंदिरों का तथा घाटों का निर्माण तथा पुनरोद्धार करवाया था, जिनमें प्रमुख हैं-

  1. वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर
  2. एलोरा का घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
  3. सोमनाथ का प्राचीन मंदिर
  4. महाराष्ट्र का वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर

इन उल्लेखों के अनुसार यह सोचा जा सकता है कि अपनी राजधानी से इतनी दूर-दूर तक देवी अहिल्याबाई ने मंदिरों तथा घाटों का निर्माण करवाया तो उनके अपने शहर, अपने निवास स्थान के घाट को जहाँ वे स्वयं नर्मदा के किनारे पर शिव का अभिषेक करती थीं, उसे कैसा बनवाया होगा?


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