घ्राणहानि

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:24, 25 October 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

घ्राणहानि अथवा एनोस्मिया (अंग्रेज़ी: Anosmia) घ्राण संवेदना की कमी को प्रदर्शित करती एक अवस्था है। इस अवस्था में गंध की अनुभूति में न्यूनता, अथवा पूर्ण रूप से अभाव, हो जाता है। गंध का अनुभव मनुष्य नाक के द्वारा करता है। मस्तिष्क से आरंभ होकर नासास्नायु का जोड़ा नाक की श्लेष्मिक कला तथा घ्राणकोशिका में जाकर समाप्त होता है। यह स्नायु संवेदनशील होती है। गंध से उत्तेजित होकर यह संवेदना को मस्तिष्क के केंद्रों तक पहुंचाती है। इस प्रकार हम सुगंध, या दुर्गध, का अनुभव करते हैं।

घ्राणेंद्रियों में किसी प्रकार का दोष उत्पन्न हो जाने से घ्राणहानि का अनुभव होने लगता है। नासागत श्लेष्मिक कला में परिवर्तन, नासानाड़ी में विकृति और मस्तिष्कगत विकृति आदि में घ्राणहानि पाई जाती है। कुछ मनुष्यों में विशेष परिस्थितियों में, उदाहरणार्थ लड़ाई के मैदान में, अथवा अन्य किसी संकट के समय, मानसिक दुर्बलता के कारण घ्राणहानि देखी गई है। घ्राणहानि के कारण का पता लगाकर उसे यथोचित उपचार द्वारा दूर करना चाहिए।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. घ्राणहानि (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 24 अक्टूबर, 2014।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः