पेरेन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:32, 3 July 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''पेरेन''' भारतीय राज्य नागालैण्ड का एक शहर और ज़िल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

पेरेन भारतीय राज्य नागालैण्ड का एक शहर और ज़िला है। वैसे तो नागालैंड का शुमार देश के सबसे सुरम्य राज्यों में होता है, लेकिन यहां की एक खूबी ऐसी है जो इसे और भी खास बना देती है। इस राज्य का पेरेन ज़िला अपने जंगलों के लिए जाना जाता है। इन जंगलों की खासियत यह है कि ये मानवीय परिस्थितिकी से पूरी तरह मुक्त है। यानी यहां ऐसे जंगल देखे जा सकते हैं जो मनुष्य के हस्तक्षेप से पूरी तरह अछूते हैं। इसका श्रेय यहां के निवासियों को जाता है, जिन्होंने पूरी निष्ठा से इन जंगलों को सुरक्षित रखा है।

स्थिति व प्राकृतिक सुंदरता

पेरेन पश्चिम में असम और दीमापुर ज़िला, पूर्व में कोहिमा और दक्षिण में मणिपुर राज्य से घिरा हुआ है। पेरेन ज़िला मुख्यालय भी है और प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। पहाड़ी पर बसे पेरेन से पड़ोसी राज्य असम और मणिपुर का विहंगम नजारा देखने को मिलता है।

बरेल पर्वत श्रृंखलाओं के एक भाग में बसे पेरेन पर प्रकृति कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। इस जिले में घने पेड़-पौधे और अनवरत बहती नदियों के अलावा जानवरों और पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों देखी जा सकती हैं। जंगलों के अधिकांश भाग में [[गन्ना और बांस के वृक्ष पाए जाते हैं। इसके अलावा यहां देवदार, यूकेलिप्टस और कई तरह के जंगली पेड़ बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं।[1]

खनिज संसाधन

यह जगह खनिज संसाधन के मामले में भी काफी समृद्ध है। हालांकि अभी इसका बड़े पैमाने पर उत्खनन नहीं हुआ है।

पर्यटन स्थल

पेरेन और आसपास के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में नतांगकी नेशनल पार्क, माउंट पाओना, माउंट कीसा, बेनरुइ और पुइलवा गांव की गुफाएं प्रमुख हैं।

अंग्रेज़ों का हस्तक्षेप

इतिहास से पता चलता है कि ज्यादातर समय पेरेन देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग रहा। इसकी एक वजह यह रही कि यहां के जीलिंग्स समुदाय ने अपने संस्कृति और परंपराओं की डोर को कभी छोड़ा नहीं। 1879 में कोहिमा पर अधिकार जमाने के बाद अंग्रेजों ने नागालैंड के इस भाग की ओर रुख किया और वहां के लोगों को अपने अधीन कर लिया। जल्द ही अंग्रेज़ अधिकारियों ने इस जगह को कोहिमा और दीमापुर से जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण शुरू कर दिया। सड़कों के बन जाने से आस-पास के क्षेत्र के लोग सामान बेचने के लिए पेरेन आने लगे।

संस्कृति और लोग

पेरेन में जीलिंग्स जनजाति के लोग रहते हैं, जिसका अभिर्भाव मणिपुर के सेनापति ज़िले में स्थित नकुइलवांगदी से हुआ था। औपनिवेशिक दौर में काचा नागा के नाम से जानी जाने वाली ये जनजाति खेती करती है। यहां की जलवायु और मिट्टी के कारण पेरेन नागालैंड का सबसे उपजाऊ ज़िला है। जीलिंग्स जनजाति की पहचान उनकी समृद्ध विरासत है जो उन्हें उनके पुरखों से मिली है। दूसरे नागा जनजाति की तरह ही जीलिंग्स की भी अपनी अलग प्रचीन कलाकृति, भोजन, नृत्य और संगीत है, जो इन्हें राज्य के एक महत्वपूर्ण जनजाति का दर्जा देते हैं। अंग्रेजों के यहां आगमन के साथ ही मिशनरी इंस्टीट्यूट ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिन्होंने यहां की संस्कृति और जीवन शैली को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया। कोहिमा मिशन सेंटर ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ रहा है।

परंपरागत त्योहारों में फसलों का त्योहार मिमकुट, चेगा गादी, हेवा त्योहार और समुदाय के बहादुर योद्धाओं के सम्मान में मनाया जाने वाला चागा-नगी त्योहार प्रमुख है। इसके अलावा क्रिसमस पेरेन के लोगों का सबसे बड़ा त्योहार है।

इनर लाइन परमिट

भारत के अलग-अलग हिस्सों से यहां आने वाले घरेलू पर्यटकों को 'इनर लाईन परमिट' की आवश्यकता होती है। नई दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी और शिलांग स्थित नागालैंड हाउस से यह परमिट आसानी से मिल जाता है। पर्यटक इस परमिट के लिए दीमापुर, कोहिमा और मोकोकचुंग के उपायुक्त के पास भी आवेदन कर सकते हैं। विदेशी पर्यटकों को आईएलपी की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि उन्हें संबंधित जिले के फॉरेन रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पेरेन (हिंदी) hindi.nativeplanet। अभिगमन तिथि: 03 जुलाई, 2018।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः