Difference between revisions of "नचना कुठारा"
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− | '''नचनाकुठारा''' भूतपूर्व आजमगढ़ रियासत ([[मध्य प्रदेश]]) में भुमरा से 10 मील {{मील|मील=10}} की दूरी पर स्थित है। यह अपने मंदिर के लिए विशिष्ट रूप से जाना जाता है। भुमरा तथा नचनाकुठारा के मंदिर पूर्व [[गुप्त काल|गुप्त कालीन]] वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करते हैं। | + | '''नचनाकुठारा''' भूतपूर्व आजमगढ़ रियासत ([[मध्य प्रदेश]]) में भुमरा से 10 मील {{मील|मील=10}} की दूरी पर स्थित है। यह अपने मंदिर के लिए विशिष्ट रूप से जाना जाता है। भुमरा तथा नचनाकुठारा के मंदिर पूर्व [[गुप्त काल|गुप्त कालीन]] वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=477|url=}}</ref> |
;मंदिर की वास्तुकला | ;मंदिर की वास्तुकला | ||
जनरल [[कनिंघम]] ने यहाँ के मंदिर को देवी [[पार्वती]] का मंदिर बताया है। यह मंदिर पूर्व गुप्त कालीन जान पड़ता है। भुमरा के प्रसिद्ध मंदिर से इसका बहुत सादृश्य है। मंदिर का गर्भगृह 15½ फुट बाहर और 8 फुट अंदर से है। गर्भगृह के चारों ओर पटा हुआ प्रदक्षिणा मार्ग 33 फुट बाहर और 26 फुट अंदर से है। मंडप 26 फुट × 12 फुट है। नचनाकुठारा के मंदिर की तक्षण कला भुमरा के शिल्प के समान ही सूक्ष्म और सुकुमार नहीं है। इसमें गर्भगृह के ऊपर एक कोष्ठ भी है, जो कि भुमरा में नहीं है। भुमरा तथा नचनाकुठारा के मंदिर पूर्व गुप्त कालीन वास्तुकला का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। | जनरल [[कनिंघम]] ने यहाँ के मंदिर को देवी [[पार्वती]] का मंदिर बताया है। यह मंदिर पूर्व गुप्त कालीन जान पड़ता है। भुमरा के प्रसिद्ध मंदिर से इसका बहुत सादृश्य है। मंदिर का गर्भगृह 15½ फुट बाहर और 8 फुट अंदर से है। गर्भगृह के चारों ओर पटा हुआ प्रदक्षिणा मार्ग 33 फुट बाहर और 26 फुट अंदर से है। मंडप 26 फुट × 12 फुट है। नचनाकुठारा के मंदिर की तक्षण कला भुमरा के शिल्प के समान ही सूक्ष्म और सुकुमार नहीं है। इसमें गर्भगृह के ऊपर एक कोष्ठ भी है, जो कि भुमरा में नहीं है। भुमरा तथा नचनाकुठारा के मंदिर पूर्व गुप्त कालीन वास्तुकला का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== |
Revision as of 10:00, 4 June 2012
nachanakuthara bhootapoorv ajamagadh riyasat (madhy pradesh) mean bhumara se 10 mil (lagabhag 16 ki.mi.) ki doori par sthit hai. yah apane mandir ke lie vishisht roop se jana jata hai. bhumara tatha nachanakuthara ke mandir poorv gupt kalin vastukala ka pratinidhitv karate haian.[1]
- mandir ki vastukala
janaral kaniangham ne yahaan ke mandir ko devi parvati ka mandir bataya hai. yah mandir poorv gupt kalin jan p data hai. bhumara ke prasiddh mandir se isaka bahut sadrishy hai. mandir ka garbhagrih 15½ phut bahar aur 8 phut aandar se hai. garbhagrih ke charoan or pata hua pradakshina marg 33 phut bahar aur 26 phut aandar se hai. mandap 26 phut × 12 phut hai. nachanakuthara ke mandir ki takshan kala bhumara ke shilp ke saman hi sookshm aur sukumar nahian hai. isamean garbhagrih ke oopar ek koshth bhi hai, jo ki bhumara mean nahian hai. bhumara tatha nachanakuthara ke mandir poorv gupt kalin vastukala ka udaharan prastut karate haian.
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tika tippani aur sandarbh
- ↑ aitihasik sthanavali |lekhak: vijayendr kumar mathur |prakashak: rajasthan hindi granth akadami, jayapur |prishth sankhya: 477 |