Difference between revisions of "पुण्य"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}}पुण्य एक पालि शब्द है जिसका अ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}पुण्य एक [[पालि भाषा|पालि शब्द]] है जिसका अर्थ सत्कर्म या अच्छे कर्म से होता है। आमतौर पर यह मठवासी तथा सामान्य [[बौद्ध]] द्वारा अच्छे कर्मों के लिए प्रयुक्त होता है, जिससे भविष्य में अच्छा पुनर्जन्म प्राप्त किया जा सके। दक्षिण-पूर्वी [[एशिया]] की थेरवादी परंपरा में विशेष रूप से इस अवधारणा पर बल दिया गया है।
+
'''पुण्य''' एक [[पालि भाषा|पालि शब्द]] है जिसका अर्थ सत्कर्म या अच्छे कर्म से होता है। आमतौर पर यह मठवासी तथा सामान्य [[बौद्ध]] द्वारा अच्छे कर्मों के लिए प्रयुक्त होता है, जिससे भविष्य में अच्छा पुनर्जन्म प्राप्त किया जा सके। दक्षिण-पूर्वी [[एशिया]] की थेरवादी परंपरा में विशेष रूप से इस अवधारणा पर बल दिया गया है।
 
====महत्त्व====
 
====महत्त्व====
 
पुण्य को दान<ref>भिक्षुओं को भोजन तथा कपड़े जैसी वस्तुएं या कोई मंदिर या मठ दान करना</ref>, शील<ref>नैतिक प्रबोधन करना</ref> तथा भावना<ref>ध्यान का आचरण</ref> द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। पुण्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है। यह [[महायान]] विचारधारा की प्रमुख विशेषता है, जिसमें कि आदर्श [[बौद्ध]] का स्वरूप बोधिसत्व (भावी बुद्ध) का है, जिसने अपने आपको दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया हो तथा अपने कभी भी समाप्त न होने वाले भंडार से दूसरों की भलाई के लिए अपने पुण्यों को दूसरों को सौंप दिया हो।
 
पुण्य को दान<ref>भिक्षुओं को भोजन तथा कपड़े जैसी वस्तुएं या कोई मंदिर या मठ दान करना</ref>, शील<ref>नैतिक प्रबोधन करना</ref> तथा भावना<ref>ध्यान का आचरण</ref> द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। पुण्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है। यह [[महायान]] विचारधारा की प्रमुख विशेषता है, जिसमें कि आदर्श [[बौद्ध]] का स्वरूप बोधिसत्व (भावी बुद्ध) का है, जिसने अपने आपको दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया हो तथा अपने कभी भी समाप्त न होने वाले भंडार से दूसरों की भलाई के लिए अपने पुण्यों को दूसरों को सौंप दिया हो।
 +
 +
 +
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
{{श्राद्ध}}
 +
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
 +
[[Category:हिन्दू कर्मकाण्ड]]
 +
[[Category:संस्कृति कोश]]
  
[[Category:नया पन्ना]]
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
[[Category:धर्म_कोश]]
+
 
[[Category:हिन्दू कर्मकाण्ड]]
+
__NOTOC__
[[Category:संस्कृति कोश]]
 

Latest revision as of 12:16, 21 March 2014

puny ek pali shabd hai jisaka arth satkarm ya achchhe karm se hota hai. amataur par yah mathavasi tatha samany bauddh dvara achchhe karmoan ke lie prayukt hota hai, jisase bhavishy mean achchha punarjanm prapt kiya ja sake. dakshin-poorvi eshiya ki theravadi paranpara mean vishesh roop se is avadharana par bal diya gaya hai.

mahattv

puny ko dan[1], shil[2] tatha bhavana[3] dvara prapt kiya ja sakata hai. puny ek vyakti se doosare vyakti ko sthanaantarit kiya ja sakata hai. yah mahayan vicharadhara ki pramukh visheshata hai, jisamean ki adarsh bauddh ka svaroop bodhisatv (bhavi buddh) ka hai, jisane apane apako doosaroan ki seva mean samarpit kar diya ho tatha apane kabhi bhi samapt n hone vale bhandar se doosaroan ki bhalaee ke lie apane punyoan ko doosaroan ko sauanp diya ho.



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

  1. bhikshuoan ko bhojan tatha kap de jaisi vastuean ya koee mandir ya math dan karana
  2. naitik prabodhan karana
  3. dhyan ka acharan

bahari k diyaan

sanbandhit lekh