रूख बदन करि बचन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : नारद का अभिमान

रूख बदन करि बचन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

रूख बदन करि बचन मृदु बोलेभगवान।
तुम्हरे सुमिरन तें मिटहिं मोह मार मद मान॥ 128॥

भावार्थ-

भगवान रूखा मुँह करके कोमल वचन बोले - हे मुनिराज! आपका स्मरण करने से दूसरों के मोह, काम, मद और अभिमान मिट जाते हैं (फिर आपके लिए तो कहना ही क्या है?)॥ 128॥


left|30px|link=काम चरित नारद सब भाषे|पीछे जाएँ रूख बदन करि बचन right|30px|link=सुनु मुनि मोह होइ मन ताकें|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः