हलासन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(Redirected from Plough pose)
Jump to navigation Jump to search

thumb|250px|हलासन हलासन (अंग्रेज़ी: Halasana or Plough pose)

इस आसन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है। इससे इसे हलासन कहते हैं। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हमारी रीढ़ सदा जवान बनी रहती है।

विधि

  1. पीठ के बल सीधे लेट जायें। बाज़ुओं को सीधा पीठ के बगल में ज़में पर टिका कर रखें।
  2. साँस अंदर लेते हुए दोनो टाँगों को उठा कर “अर्ध-हलासन” में ले आयें।
  3. कोहनियों को ज़मीन पर टिकाए हुए दोनो हाथों से पीठ को सहारा दें। इस मुद्रा में 1-2 साँस अंदर और बाहर लें और यह पक्का कर लें की आपका संतुलन सही है।
  4. अब टाँगों को बिल्कुल पीछे ले जायें। दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है संतुलन बनाए रखने में तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं।
  5. अगर कंधों में पर्याप्त लचीलापन हो तो हाथों को पीछे ले जा कर जोड़ लें। अगर यह संभव ना हो तो उन्हे पीठ को सहारा देती हुई मुद्रा में ही रखें।
  6. अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को वापिस ले आयें। शुरुआत में कम देर करें (30 सेकेंड भी पर्याप्त है) और धीरे धीरे समय बढ़ायें।

सावधा‍नी

  1. रीढ़ संबंधी गंभीर रोग अथवा गले में कोई गंभीर रोग होने की स्थिति में यह आसन न करें।
  2. आसन करते वक्त ध्यान रहे कि पैर तने हुए तथा घुटने सीधे रहें।

लाभ

  1. रीढ़ में कठोरता होना वृद्धावस्था की निशानी है।
  2. हलासन से रीढ़ लचीली बनती है।
  3. मेरुदंड संबंधी ना‍ड़ियों के स्वास्थ्य की रक्षा होकर वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नहीं आते।
  4. हलासन के नियमित अभ्यास से अजीर्ण, कब्ज, अर्श, थायराइड का अल्प विकास, अंगविकार, असमय वृद्धत्व, दमा, कफ, रक्तविकार आदि दूर होते हैं।
  5. सिरदर्द दूर होता है।
  6. नाड़ीतंत्र शुद्ध बनता है।
  7. शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है।
  8. लीवर और प्लीहा बढ़ गए हो तो हलासन से सामान्यावस्था में आ जाते हैं। अपानवायु का उत्थानन होकर उदान रूपी अग्नि का योग होने से कुंडल‍िनी उर्ध्वगामी बनती है।
  9. विशुद्धचक्र सक्रिय होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः