आनि देखाई नारदहि

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आनि देखाई नारदहि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

आनि देखाई नारदहि भूपति राजकुमारि।
कहहु नाथ गुन दोष सब एहि के हृदयँ बिचारि॥ 130॥

भावार्थ-

(फिर) राजा ने राजकुमारी को लाकर नारद को दिखलाया (और पूछा कि -) हे नाथ! आप अपने हृदय में विचार कर इसके सब गुण-दोष कहिए॥ 130॥


left|30px|link=मुनि कौतुकी नगर तेहि गयऊ|पीछे जाएँ आनि देखाई नारदहि right|30px|link=देखि रूप मुनि बिरति बिसारी|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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