राम बचन मृदु गूढ़

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
राम बचन मृदु गूढ़
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

राम बचन मृदु गूढ़ सुनि उपजा अति संकोचु।
सती सभीत महेस पहिं चलीं हृदयँ बड़ सोचु॥ 53॥

भावार्थ-

राम के कोमल और रहस्य भरे वचन सुनकर सती को बड़ा संकोच हुआ। वे डरती हुई शिव के पास चलीं, उनके हृदय में बड़ी चिंता हो गई॥ 53॥


left|30px|link=जोरि पानि प्रभु कीन्ह प्रनामू|पीछे जाएँ राम बचन मृदु गूढ़ right|30px|link=मैं संकर कर कहा न माना|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः