चारुकीर्ति भट्टारक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 8: Line 8:
*इन्हीं अथवा दूसरे चारुकीर्ति की 'अर्थप्रकाशिका' भी है, जो प्रमेयरत्नमाला की संक्षिप्त व्याख्या है।  
*इन्हीं अथवा दूसरे चारुकीर्ति की 'अर्थप्रकाशिका' भी है, जो प्रमेयरत्नमाला की संक्षिप्त व्याख्या है।  
*ये 'पण्डिताचार्य' की उपाधि से विभूषित थे।
*ये 'पण्डिताचार्य' की उपाधि से विभूषित थे।
==सम्बंधित लिंक==
{{menu}}
==संबंधित लेख==
{{जैन धर्म2}}
{{जैन धर्म2}}
{{जैन धर्म}}
{{जैन धर्म}}

Latest revision as of 11:26, 14 June 2011

आचार्य चारुकीर्ति भट्टारक

  • ये वि. सं. की 18वीं शती के तार्किक हैं।
  • इन्होंने माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख पर बहुत से ही विशद एवं प्रौढ़ व्याख्या 'प्रमेयरत्नालंकार' लिखी है, जो मैसूर यूनिवर्सिटी से प्रकाशित है।
  • रचना तर्कपूर्ण है।
  • इसमें नव्यन्याय का भी अनेक स्थलों पर समावेश है।
  • चारुकीर्ति की विद्वत्ता और पाण्डित्य दोनों इसमें दृष्टिगोचर होते हैं।
  • इन्हीं अथवा दूसरे चारुकीर्ति की 'अर्थप्रकाशिका' भी है, जो प्रमेयरत्नमाला की संक्षिप्त व्याख्या है।
  • ये 'पण्डिताचार्य' की उपाधि से विभूषित थे।

संबंधित लेख