कार्य (भौतिकी): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति") |
|||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 12: | Line 12: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{भौतिक विज्ञान}} | |||
[[Category:भौतिक विज्ञान]] | [[Category:भौतिक विज्ञान]] | ||
[[Category:विज्ञान कोश]] | [[Category:विज्ञान कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 06:35, 4 October 2011
(अंग्रेज़ी:Work) जब हम सामान्य भाषा व दैनिक जीवन में कार्य की बात करते हैं, तथा भौतिकी में कार्य की परिभाष देखते हैं तो हम दोनों में काफ़ी भिन्नता पाते हैं। भौतिकी में कार्य का होना तभी कहा जाता है जब बल लगाने पर बल की दिशा में विस्थापन होता है। यदि बल लगाने पर बल की दिशा में विस्थापन शून्य हो तो कहा जाता है कि कोई कार्य नहीं किया गया।
किसी वस्तु पर जितना अधिक बल लगाया जाता है तथा जितना अधिक वस्तु की स्थिति में विस्थापन होता है कार्य उतना ही अधिक होता है। जब किसी वस्तु पर बल लगाकर विस्थापन उत्पन्न किया जाता है, तो बल द्वारा किया गया कार्य बल तथा बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है। अतः 'कार्य की माप लगाये गये बल, तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है'-
कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन
|
|
|
|
|