विद्युत धारा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। ठोस चालक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
[[आवेश]] के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। [[ठोस]] चालकों में आवेश का प्रवाह [[इलेक्ट्रॉन|इलेक्ट्रॉनों]] के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण के कारण होता है, जबकि [[द्रव|द्रवों]] जैसे- अम्लों, क्षारों व लवणों के जलीय विलयनों तथा [[गैस|गैसों]] में यह प्रवाह आयनों की गति के कारण होता है। साधारणः विद्युत धारा की दिशा धन आवेश के गति की दिशा की ओर तथा ॠण अवेश के गति की विपरीत दिशा में मानी जाती है। ठोस चालकों में विद्युत धारा की दिशा, इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत मानी जाती है। एस. आई. पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक [[एम्पियर]] होता है। यदि निर्वात् में स्थित दो सीधे, लम्बे व समान्तर तारों में, जिनके बीच की दूरी। मीटर है और एक ही विद्युत धारा प्रवाहित करने पर तारों के बीच उनकी प्रति मीटर लम्बाई में 2 x 10<sup>-7</sup> न्यूटन का [[बल]] उत्पन्न हो तो तारों में प्रवाहित धारा 1 एम्पियर होती है। किसी चालक तार से यदि 1 एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो इसक अर्थ यह है कि उस चालक तार में एक सेकेण्ड में 6.25 x 10<sup>18</sup> इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रवेश करते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रॉन एक सेकेण्ड में दूसरे सिरे से निकल जाते हैं। यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्ट धारा कहते हैं तथा यदि धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे 'प्रत्यावर्ती धारा' कहते हैं।
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Electric Current) [[आवेश]] के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। [[ठोस]] चालकों में आवेश का प्रवाह [[इलेक्ट्रॉन|इलेक्ट्रॉनों]] के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण के कारण होता है, जबकि [[द्रव|द्रवों]] जैसे- अम्लों, क्षारों व लवणों के जलीय विलयनों तथा [[गैस|गैसों]] में यह प्रवाह आयनों की गति के कारण होता है। साधारणः विद्युत धारा की दिशा धन आवेश के गति की दिशा की ओर तथा ॠण अवेश के गति की विपरीत दिशा में मानी जाती है। ठोस चालकों में विद्युत धारा की दिशा, इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत मानी जाती है। एस. आई. पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक [[एम्पियर]] होता है। यदि निर्वात् में स्थित दो सीधे, लम्बे व समान्तर तारों में, जिनके बीच की दूरी। मीटर है और एक ही विद्युत धारा प्रवाहित करने पर तारों के बीच उनकी प्रति मीटर लम्बाई में 2 x 10<sup>-7</sup> न्यूटन का [[बल]] उत्पन्न हो तो तारों में प्रवाहित धारा 1 एम्पियर होती है। किसी चालक तार से यदि 1 एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो इसक अर्थ यह है कि उस चालक तार में एक सेकेण्ड में 6.25 x 10<sup>18</sup> इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रवेश करते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रॉन एक सेकेण्ड में दूसरे सिरे से निकल जाते हैं। यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्ट धारा कहते हैं तथा यदि धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे 'प्रत्यावर्ती धारा' कहते हैं।
 


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
Line 9: Line 8:
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
{{भौतिक विज्ञान}}
[[Category:भौतिक विज्ञान]]
[[Category:भौतिक विज्ञान]]
[[Category:विज्ञान कोश]]
[[Category:विज्ञान कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:37, 4 October 2011

(अंग्रेज़ी:Electric Current) आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। ठोस चालकों में आवेश का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण के कारण होता है, जबकि द्रवों जैसे- अम्लों, क्षारों व लवणों के जलीय विलयनों तथा गैसों में यह प्रवाह आयनों की गति के कारण होता है। साधारणः विद्युत धारा की दिशा धन आवेश के गति की दिशा की ओर तथा ॠण अवेश के गति की विपरीत दिशा में मानी जाती है। ठोस चालकों में विद्युत धारा की दिशा, इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत मानी जाती है। एस. आई. पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर होता है। यदि निर्वात् में स्थित दो सीधे, लम्बे व समान्तर तारों में, जिनके बीच की दूरी। मीटर है और एक ही विद्युत धारा प्रवाहित करने पर तारों के बीच उनकी प्रति मीटर लम्बाई में 2 x 10-7 न्यूटन का बल उत्पन्न हो तो तारों में प्रवाहित धारा 1 एम्पियर होती है। किसी चालक तार से यदि 1 एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो इसक अर्थ यह है कि उस चालक तार में एक सेकेण्ड में 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रवेश करते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रॉन एक सेकेण्ड में दूसरे सिरे से निकल जाते हैं। यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्ट धारा कहते हैं तथा यदि धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे 'प्रत्यावर्ती धारा' कहते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख