सरखेज: Difference between revisions
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''' | '''सरखेज''' [[गुजरात]] राज्य में [[अहमदाबाद]] शहर के पास स्थित है। | ||
* | *सरखेज में नील पैदा की जाती थी। | ||
*यहाँ नील का उत्पादन इतना लाभदायक था कि दो वर्षों में उसकी पौध को तीन बार काटा जाता था। | *यहाँ नील का उत्पादन इतना लाभदायक था कि दो वर्षों में उसकी पौध को तीन बार काटा जाता था। | ||
*[[मुग़ल]] साम्राज्य के चार सर्वाधिक नील उत्पादक केन्द्रों में [[बयाना]], [[दोआब]], सरखेज एवं सेहवान (सिंध प्रदेश स्थित) में सरखेज का नाम होना उल्लेखनीय है। | *[[मुग़ल]] साम्राज्य के चार सर्वाधिक नील उत्पादक केन्द्रों में [[बयाना]], [[दोआब]], सरखेज एवं सेहवान (सिंध प्रदेश स्थित) में सरखेज का नाम होना उल्लेखनीय है। |
Latest revision as of 11:45, 18 July 2012
thumb|250px|सरखेज रोज़ा सरखेज गुजरात राज्य में अहमदाबाद शहर के पास स्थित है।
- सरखेज में नील पैदा की जाती थी।
- यहाँ नील का उत्पादन इतना लाभदायक था कि दो वर्षों में उसकी पौध को तीन बार काटा जाता था।
- मुग़ल साम्राज्य के चार सर्वाधिक नील उत्पादक केन्द्रों में बयाना, दोआब, सरखेज एवं सेहवान (सिंध प्रदेश स्थित) में सरखेज का नाम होना उल्लेखनीय है।
- बयाना की नील के गोल आकार के विपरित सरखेज की नील का आकार चौकोर होता था, उसमें मिट्टी की मिलावट होती थी। इसके कारण सरखेज की तीन पौण्ड नील बयाना की दो पौण्ड नील के बराबर समझी जाती थी।
- 1583 ई. में गुजरात में विद्रोही मुजफ़्फ़रशाह ने अहमदाबाद पर अधिकार कर लिया, तब सम्राट अकबर ने बैराम ख़ां के पुत्र मिर्जा ख़ान (अब्दुर्रहीम खानखाना) को गुजरात का सूबेदार बनाकर भेजा।
- उसने सरखेज की लड़ाई में जनवरी, 1584 ई. में मुजफ़्फ़रशाह को बुरी तरह परास्त किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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