झालावाड़: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''झालावाड़''' राजस्थान का एक ज़िला है। यह राजस्थान र...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 4: | Line 4: | ||
*झालावाड़ की नदियां और सरोवर इस क्षेत्र की दृश्यावली को भव्यता प्रदान करते हैं। | *झालावाड़ की नदियां और सरोवर इस क्षेत्र की दृश्यावली को भव्यता प्रदान करते हैं। | ||
*यहाँ अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। | *यहाँ अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। | ||
*झालावाड़ [[मालवा का पठार|मालवा के पठार]] के एक छोर पर बसा जनपद है। जनपद के अंदर झालावाड़ और झालरापाटन नामक दो पर्यटन स्थल है। इन दोनों शहरों की स्थापना 18वीं [[शताब्दी]] के अन्त में झाला राजपूतों द्वारा की गई थी। इसलिए इन्हें 'जुड़वा शहर' भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों के बीच 7 कि.मी. की दूरी है। यह दोनों शहर 'झाला वंश' के राजाओं की समृद्ध रियासत का हिस्सा था। | *झालावाड़ [[मालवा का पठार|मालवा के पठार]] के एक छोर पर बसा जनपद है। जनपद के अंदर झालावाड़ और [[झालरापाटन]] नामक दो पर्यटन स्थल है। इन दोनों शहरों की स्थापना 18वीं [[शताब्दी]] के अन्त में झाला राजपूतों द्वारा की गई थी। इसलिए इन्हें 'जुड़वा शहर' भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों के बीच 7 कि.मी. की दूरी है। यह दोनों शहर 'झाला वंश' के राजाओं की समृद्ध रियासत का हिस्सा था। | ||
*[[चंबल नदी|चंबल]] एवं [[काली सिंध]] यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। इसकी मिट्टियाँ काली, उपजाऊ, रेतीली एवं पथरीली हैं। | *[[चंबल नदी|चंबल]] एवं [[काली सिंध]] यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। इसकी मिट्टियाँ काली, उपजाऊ, रेतीली एवं पथरीली हैं। | ||
*झालावाड़ में [[ज्वार]], [[मक्का]], [[कपास]], [[गेहूँ]] और [[चना]] मुख्यत: उपजाया जाता है। | *झालावाड़ में [[ज्वार]], [[मक्का]], [[कपास]], [[गेहूँ]] और [[चना]] मुख्यत: उपजाया जाता है। |
Latest revision as of 11:06, 30 April 2014
झालावाड़ राजस्थान का एक ज़िला है। यह राजस्थान राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित ज़िला मुख्यालय है। इसके दक्षिण भाग में पहाड़ियाँ तथा मैदान हैं। यह मालवा के पठार के एक छोर पर बसा जनपद है। झालावाड़ हाडौती क्षेत्र का हिस्सा है। इसके अतिरिक्त कोटा, बाराँ एवं बूँदी भी हाडौती क्षेत्र में आते हैं।
- राजस्थान के झालावाड़ ने पर्यटन के लिहाज से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। राजस्थान की कला और संस्कृति को संजोए यह शहर अपने खूबसूरत सरोवरों, क़िला और मंदिरों के लिए जाना जाता है।
- झालावाड़ की नदियां और सरोवर इस क्षेत्र की दृश्यावली को भव्यता प्रदान करते हैं।
- यहाँ अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
- झालावाड़ मालवा के पठार के एक छोर पर बसा जनपद है। जनपद के अंदर झालावाड़ और झालरापाटन नामक दो पर्यटन स्थल है। इन दोनों शहरों की स्थापना 18वीं शताब्दी के अन्त में झाला राजपूतों द्वारा की गई थी। इसलिए इन्हें 'जुड़वा शहर' भी कहा जाता है। इन दोनों शहरों के बीच 7 कि.मी. की दूरी है। यह दोनों शहर 'झाला वंश' के राजाओं की समृद्ध रियासत का हिस्सा था।
- चंबल एवं काली सिंध यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। इसकी मिट्टियाँ काली, उपजाऊ, रेतीली एवं पथरीली हैं।
- झालावाड़ में ज्वार, मक्का, कपास, गेहूँ और चना मुख्यत: उपजाया जाता है।
- इस ज़िले की जनसंख्या में वैष्णव, जैन, मुस्लिम (सुन्नी) दोनों हैं। मालवी और हड़ भाषाएँ प्रचलित हैं।
- इस नगर में पुरातत्व की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण 'झालरापाटन' के पास 'चंद्रावती नगर' तथा 'खोवली गाँव' के पास पत्थर के स्तूप प्रमुख हैं।
- सूती कपड़े बुनना, फर्शी दरी बुनना और चाकू, तलवार आदि हरबे हथियार बनाना यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं।
|
|
|
|
|