राधागुप्त: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''राधागुप्त''' मौर्य सम्राट बिन्दुसार का प्रधानमंत...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''राधागुप्त''' [[मौर्य]] सम्राट बिन्दुसार का प्रधानमंत्री था। [[अशोक]] को राधागुप्त का पर्याप्त समर्थन प्राप्त था। | '''राधागुप्त''' [[चाणक्य|आचार्य चाणक्य]] का शिष्य तथा [[मौर्य]] [[बिन्दुसार|सम्राट बिन्दुसार]] का प्रधानमंत्री था। [[अशोक]] को [[मौर्य साम्राज्य]] का राजसिंहासन दिलाने में राधागुप्त का पर्याप्त समर्थन प्राप्त हुआ था। | ||
*राजसिंहासन को लेकर अशोक का अपने भाई [[सुसीम]] से बैर था। | *राजसिंहासन को लेकर अशोक का अपने भाई [[सुसीम]] से बैर था। | ||
*[[तक्षशिला]] में सुसीम के समय में ही दूसरा विद्रोह उस समय हुआ, जब [[पाटलिपुत्र]] का सिंहासन रिक्त हुआ। सुसीम इस विद्रोह को शांत ना कर सका। [[अशोक]] ने अवसर का लाभ उठाकर मंत्री राधागुप्त की सहायता से सिंहासन पर अधिकार कर लिया। | *[[तक्षशिला]] में सुसीम के समय में ही दूसरा विद्रोह उस समय हुआ, जब [[पाटलिपुत्र]] का सिंहासन रिक्त हुआ। सुसीम इस विद्रोह को शांत ना कर सका। [[अशोक]] ने अवसर का लाभ उठाकर मंत्री राधागुप्त की सहायता से सिंहासन पर अधिकार कर लिया। | ||
*[[चाणक्य]] की मृत्यु बुढ़ापे में 283 ई. पू. के करीब हुई और उनका दाह संस्कार उनके शिष्य राधागुप्त ने किया।<ref>{{cite web |url= https://gloss.dliflc.edu/products/gloss/hnd_cul312/hnd_cul312_act5.html|title= ईमानदार चाणक्य|accessmonthday= 28 फरवरी|accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= ग्लॉस|language=हिन्दी}}</ref> | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
Line 9: | Line 10: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{मौर्य काल}}{{अशोक}} | {{मौर्य काल}}{{अशोक}} | ||
[[Category: | [[Category:मौर्य काल]][[Category:अशोक]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 13:51, 28 February 2015
राधागुप्त आचार्य चाणक्य का शिष्य तथा मौर्य सम्राट बिन्दुसार का प्रधानमंत्री था। अशोक को मौर्य साम्राज्य का राजसिंहासन दिलाने में राधागुप्त का पर्याप्त समर्थन प्राप्त हुआ था।
- राजसिंहासन को लेकर अशोक का अपने भाई सुसीम से बैर था।
- तक्षशिला में सुसीम के समय में ही दूसरा विद्रोह उस समय हुआ, जब पाटलिपुत्र का सिंहासन रिक्त हुआ। सुसीम इस विद्रोह को शांत ना कर सका। अशोक ने अवसर का लाभ उठाकर मंत्री राधागुप्त की सहायता से सिंहासन पर अधिकार कर लिया।
- चाणक्य की मृत्यु बुढ़ापे में 283 ई. पू. के करीब हुई और उनका दाह संस्कार उनके शिष्य राधागुप्त ने किया।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ईमानदार चाणक्य (हिन्दी) ग्लॉस। अभिगमन तिथि: 28 फरवरी, 2015।