लछिमन तुरत बोलाए: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 38: Line 38:
;भावार्थ
;भावार्थ
[[लक्ष्मण|लक्ष्मण जी]] ने तुरंत ही सब नगरवासियों को और [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के समाज को बुला लिया और (उनके सामने) [[सुग्रीव]] को राज्य और [[अंगद]] को युवराज पद दिया॥11॥
[[लक्ष्मण|लक्ष्मण जी]] ने तुरंत ही सब नगरवासियों को और [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के समाज को बुला लिया और (उनके सामने) [[सुग्रीव]] को राज्य और [[अंगद]] को युवराज पद दिया॥11॥
{{लेख क्रम4| पिछला=प्रगट सो तनु तव आगे सोवा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=राम कहा अनुजहि समुझाई}}
{{लेख क्रम4| पिछला=राम कहा अनुजहि समुझाई |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=उमा राम सम हत जग माहीं}}


'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 07:41, 21 May 2016

लछिमन तुरत बोलाए
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
दोहा

लछिमन तुरत बोलाए पुरजन बिप्र समाज।
राजु दीन्ह सुग्रीव कहँ अंगद कहँ जुबराज॥11॥

भावार्थ

लक्ष्मण जी ने तुरंत ही सब नगरवासियों को और ब्राह्मणों के समाज को बुला लिया और (उनके सामने) सुग्रीव को राज्य और अंगद को युवराज पद दिया॥11॥


left|30px|link=राम कहा अनुजहि समुझाई|पीछे जाएँ लछिमन तुरत बोलाए right|30px|link=उमा राम सम हत जग माहीं|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख