देखी ब्याधि असाध: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
कविता भाटिया (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 39: | Line 39: | ||
राजा ने देखा कि रोग असाध्य है, तब वे अत्यंत आर्तवाणी से 'हा [[राम]]! हा राम! हा रघुनाथ!' कहते हुए सिर पीटकर जमीन पर गिर पड़े॥ 34॥ | राजा ने देखा कि रोग असाध्य है, तब वे अत्यंत आर्तवाणी से 'हा [[राम]]! हा राम! हा रघुनाथ!' कहते हुए सिर पीटकर जमीन पर गिर पड़े॥ 34॥ | ||
लेख क्रम4| पिछला= मागु माथ अबहीं देउँ तोही|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला= ब्याकुल राउ सिथिल सब गाता}} | {{लेख क्रम4| पिछला= मागु माथ अबहीं देउँ तोही|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला= ब्याकुल राउ सिथिल सब गाता}} | ||
Latest revision as of 07:44, 26 May 2016
देखी ब्याधि असाध
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
देखी ब्याधि असाध नृपु परेउ धरनि धुनि माथ। |
- भावार्थ
राजा ने देखा कि रोग असाध्य है, तब वे अत्यंत आर्तवाणी से 'हा राम! हा राम! हा रघुनाथ!' कहते हुए सिर पीटकर जमीन पर गिर पड़े॥ 34॥
left|30px|link=मागु माथ अबहीं देउँ तोही|पीछे जाएँ | देखी ब्याधि असाध | right|30px|link=ब्याकुल राउ सिथिल सब गाता|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख