देखि बुद्धि बल निपुन: Difference between revisions

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Latest revision as of 10:29, 14 June 2016

देखि बुद्धि बल निपुन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, दोहा, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड सुन्दरकाण्ड
हनुमान जी द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस, अक्षय कुमार वध और मेघनाद का हनुमान जी को नागपाश में बाँधकर सभा में ले जाना
दोहा

देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु।
रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु॥17॥

भावार्थ

हनुमान जी को बुद्धि और बल में निपुण देखकर जानकी जी ने कहा- जाओ। हे तात! श्री रघुनाथ जी के चरणों को हृदय में धारण करके मीठे फल खाओ॥17॥



left|30px|link=तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं|पीछे जाएँ देखि बुद्धि बल निपुन right|30px|link=चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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