तब रघुबीर अनेक बिधि: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:00, 25 June 2016
तब रघुबीर अनेक बिधि
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
- यमुना को प्रणाम, वनवासियों का प्रेम
तब रघुबीर अनेक बिधि सखहि सिखावनु दीन्ह।। |
- भावार्थ
तब श्री रामचन्द्रजी ने सखा गुह को अनेकों तरह से (घर लौट जाने के लिए) समझाया। श्री रामचन्द्रजी की आज्ञा को सिर चढ़ाकर उसने अपने घर को गमन किया॥111॥
left|30px|link=ते पितु मातु कहहु सखि कैसे|पीछे जाएँ | तब रघुबीर अनेक बिधि | right|30px|link=पुनि सियँ राम लखन कर जोरी|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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