व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 2: Line 2:
|चित्र=Womesh Chunder Bonnerjee.jpg
|चित्र=Womesh Chunder Bonnerjee.jpg
|चित्र का नाम=व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी
|चित्र का नाम=व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी
|पूरा नाम=व्योमेश_चन्‍द्र_बनर्जी
|पूरा नाम=व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=[[29 दिसंबर]], 1844
|जन्म=[[29 दिसंबर]], 1844
Line 9: Line 9:
|मृत्यु स्थान=[[इंग्लैंड]]
|मृत्यु स्थान=[[इंग्लैंड]]
|मृत्यु कारण=
|मृत्यु कारण=
|अविभावक=
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|संतान=
Line 38: Line 38:
व्योमेश बनर्जी अंग्रेज़ी चाल-ढाल के इतने कट्टर अनुयायी थे कि इन्होंने स्वयं अपने पारिवारिक नाम 'बनर्जी' का अंग्रेज़ीकरण करके उसे 'बोनर्जी' कर दिया। इन्होंने अपने पुत्र का नाम भी 'शेली' रखा, जो कि [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] में अधिक प्रचलित था। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी [[हृदय]] से वे सच्चे भारतीय थे।
व्योमेश बनर्जी अंग्रेज़ी चाल-ढाल के इतने कट्टर अनुयायी थे कि इन्होंने स्वयं अपने पारिवारिक नाम 'बनर्जी' का अंग्रेज़ीकरण करके उसे 'बोनर्जी' कर दिया। इन्होंने अपने पुत्र का नाम भी 'शेली' रखा, जो कि [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] में अधिक प्रचलित था। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी [[हृदय]] से वे सच्चे भारतीय थे।
====अध्यक्ष====
====अध्यक्ष====
'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के [[1885]] ई. में हुए प्रथम अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये थे। उन्हें दुबारा भी [[इलाहाबाद]] में [[1892]] ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था। [[1902]] ई. में वे [[इंग्लैंड]] जाकर बस गये। [[1906]] में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आंदोलन को ये बढ़ावा देते रहे।
'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के [[1885]] ई. में हुए प्रथम अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये थे। उन्हें दोबारा भी [[इलाहाबाद]] में [[1892]] ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था। [[1902]] ई. में वे [[इंग्लैंड]] जाकर बस गये। [[1906]] में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आंदोलन को ये बढ़ावा देते रहे।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
Line 45: Line 45:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष}}
{{भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अध्यक्ष}}
[[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष]]
[[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:राजनीति कोश]]
[[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 14:06, 14 July 2016

व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी
पूरा नाम व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी
जन्म 29 दिसंबर, 1844
जन्म भूमि कलकत्ता (अब कोलकाता)
मृत्यु 21 जुलाई 1906
मृत्यु स्थान इंग्लैंड
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि उच्च न्यायालय के प्रमुख वक़ील
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष
अन्य जानकारी इलाहाबाद में 1892 ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था।

व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी (अंग्रेज़ी: Womesh Chunder Bonnerjee, जन्म- 29 दिसंबर, 1844, कोलकाता; मृत्यु- 21 जुलाई 1906 इंग्लैंड) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष और कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रमुख वक़ील थे। ये भारत में अंग्रेज़ी शासन से प्रभावित थे और उसे देश के लिये अच्छा मानते थे।

अंग्रेज़ों के अनुयायी

व्योमेश बनर्जी अंग्रेज़ी चाल-ढाल के इतने कट्टर अनुयायी थे कि इन्होंने स्वयं अपने पारिवारिक नाम 'बनर्जी' का अंग्रेज़ीकरण करके उसे 'बोनर्जी' कर दिया। इन्होंने अपने पुत्र का नाम भी 'शेली' रखा, जो कि अंग्रेज़ों में अधिक प्रचलित था। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी हृदय से वे सच्चे भारतीय थे।

अध्यक्ष

'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के 1885 ई. में हुए प्रथम अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये थे। उन्हें दोबारा भी इलाहाबाद में 1892 ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था। 1902 ई. में वे इंग्लैंड जाकर बस गये। 1906 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आंदोलन को ये बढ़ावा देते रहे।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख