छटीकरा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''छटीकरा''' भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित ब्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
नवनीत कुमार (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा पर्यटन | |||
|चित्र=Blank-Image-2.jpg | |||
|चित्र का नाम=छटीकरा | |||
|विवरण=छटीकरा [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] से सम्बंधित [[ब्रज|ब्रजमण्डल]] के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। छटीकरा [[दिल्ली]]-[[मथुरा]] राजमार्ग पर [[मथुरा]] से चार मील एवं [[वृन्दावन]] से लगभग दो मील की दूरी पर स्थित है। | |||
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | |||
|केन्द्र शासित प्रदेश= | |||
|ज़िला=[[मथुरा]] | |||
|निर्माता= | |||
|स्वामित्व= | |||
|प्रबंधक= | |||
|निर्माण काल= | |||
|स्थापना= | |||
|भौगोलिक स्थिति= | |||
|मार्ग स्थिति= | |||
|मौसम= | |||
|तापमान= | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|कब जाएँ=कभी भी | |||
|कैसे पहुँचें= | |||
|हवाई अड्डा= | |||
|रेलवे स्टेशन= | |||
|बस अड्डा= | |||
|यातायात=बस कार ऑटो आदि | |||
|क्या देखें= | |||
|कहाँ ठहरें= | |||
|क्या खायें= | |||
|क्या ख़रीदें= | |||
|एस.टी.डी. कोड= | |||
|ए.टी.एम= | |||
|सावधानी= | |||
|मानचित्र लिंक= | |||
|संबंधित लेख=[[प्रेम मन्दिर]], [[इस्कॉन मंदिर वृन्दावन]], [[बाँके बिहारी मंदिर]], [[रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन]], [[रंगजी मन्दिर, वृन्दावन]], [[कुमुदवन]] | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी= | |||
|बाहरी कड़ियाँ=श्रीकृष्ण, [[बलराम]] यहीं से मधुर वृन्दावन एवं आस-पास के क्षेत्रों में गोवत्स और गोचारण के लिए जाते थे। यहीं से उन्होंने [[ब्रज]] की रासादि लीलाओं का सम्पादन किया। | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|12:45, 24 जुलाई 2016 (IST)}} | |||
}} | |||
'''छटीकरा''' [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] से सम्बंधित [[ब्रज|ब्रजमण्डल]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। इस स्थान को पहले 'शकटीकरा' कहा जाता था। छटीकरा [[दिल्ली]]-[[मथुरा]] राजमार्ग पर मथुरा से चार मील एवं [[वृन्दावन]] से लगभग दो मील की दूरी पर स्थित है। | |||
*[[गोकुल]]-[[महावन]] में [[असुर|असुरों]] का उत्पात देखकर [[नन्दबाबा]] सारे ब्रजवासियों के साथ इस स्थान पर आ गये थे। ब्रजवासियों ने अपने लाखों शकटों (बैलगाड़ियाँ) से अर्द्धचन्द्राकार रूप में अपना निवास स्थान प्रस्तुत किया। शकटों से वासस्थान निर्मित होने के कारण ही यह स्थान शकटीकरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। बाद में शकटीकरा से ही यह छटीकरा हो गया। | |||
*[[कृष्ण|श्रीकृष्ण]]-[[बलराम]] यहीं से मधुर वृन्दावन एवं आस-पास के क्षेत्रों में गोवत्स और गोचारण के लिए जाते थे। यहीं से उन्होंने [[ब्रज]] की रासादि लीलाओं का सम्पादन किया। उस समय [[वृन्दावन]] समृद्ध नगर नहीं, बल्कि नाना प्रकार के कुञ्ज, लता एवं रमणीय वनों से सुसज्जित श्रीकृष्ण लीलाविलास का स्थल था। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Latest revision as of 07:15, 24 July 2016
छटीकरा
| |
विवरण | छटीकरा भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित ब्रजमण्डल के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। छटीकरा दिल्ली-मथुरा राजमार्ग पर मथुरा से चार मील एवं वृन्दावन से लगभग दो मील की दूरी पर स्थित है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
कब जाएँ | कभी भी |
यातायात | बस कार ऑटो आदि |
संबंधित लेख | प्रेम मन्दिर, इस्कॉन मंदिर वृन्दावन, बाँके बिहारी मंदिर, रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन, रंगजी मन्दिर, वृन्दावन, कुमुदवन
|
बाहरी कड़ियाँ | श्रीकृष्ण, बलराम यहीं से मधुर वृन्दावन एवं आस-पास के क्षेत्रों में गोवत्स और गोचारण के लिए जाते थे। यहीं से उन्होंने ब्रज की रासादि लीलाओं का सम्पादन किया। |
अद्यतन | 12:45, 24 जुलाई 2016 (IST)
|
छटीकरा भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित ब्रजमण्डल के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। इस स्थान को पहले 'शकटीकरा' कहा जाता था। छटीकरा दिल्ली-मथुरा राजमार्ग पर मथुरा से चार मील एवं वृन्दावन से लगभग दो मील की दूरी पर स्थित है।
- गोकुल-महावन में असुरों का उत्पात देखकर नन्दबाबा सारे ब्रजवासियों के साथ इस स्थान पर आ गये थे। ब्रजवासियों ने अपने लाखों शकटों (बैलगाड़ियाँ) से अर्द्धचन्द्राकार रूप में अपना निवास स्थान प्रस्तुत किया। शकटों से वासस्थान निर्मित होने के कारण ही यह स्थान शकटीकरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। बाद में शकटीकरा से ही यह छटीकरा हो गया।
- श्रीकृष्ण-बलराम यहीं से मधुर वृन्दावन एवं आस-पास के क्षेत्रों में गोवत्स और गोचारण के लिए जाते थे। यहीं से उन्होंने ब्रज की रासादि लीलाओं का सम्पादन किया। उस समय वृन्दावन समृद्ध नगर नहीं, बल्कि नाना प्रकार के कुञ्ज, लता एवं रमणीय वनों से सुसज्जित श्रीकृष्ण लीलाविलास का स्थल था।
|
|
|
|
|