सुर समूह बिनती करि: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:18, 24 July 2016
रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : राम जन्म
सुर समूह बिनती करि
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
सुर समूह बिनती करि पहुँचे निज निज धाम। |
- भावार्थ-
देवताओं के समूह विनती करके अपने-अपने लोक में जा पहुँचे। समस्त लोकों को शांति देने वाले, जगदाधार प्रभु प्रकट हुए॥ 191॥
left|30px|link=बरषहिं सुमन सुअंजुलि साजी|पीछे जाएँ | सुर समूह बिनती करि | right|30px|link=भए प्रगट कृपाला दीनदयाला|आगे जाएँ |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख