रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(5 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड) : मंगलाचरण</h4>
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
Line 25: Line 26:
|शीर्षक 2=काण्ड
|शीर्षक 2=काण्ड
|पाठ 2=अयोध्या काण्ड
|पाठ 2=अयोध्या काण्ड
|शीर्षक 3=सभी (7) काण्ड क्रमश:
|पाठ 3=[[रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड)|बालकाण्ड‎]], [[रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड)|अयोध्या काण्ड]]‎,  [[रामचरितमानस तृतीय सोपान (अरण्यकाण्ड)|अरण्यकाण्ड]], [[रामचरितमानस चतुर्थ सोपान (किष्किंधा काण्ड)|किष्किंधा काण्ड]]‎, [[रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदरकाण्ड)|सुंदरकाण्ड]], [[रामचरितमानस षष्ठ सोपान (लंकाकाण्ड)|लंकाकाण्ड‎]], [[रामचरितमानस सप्तम सोपान (उत्तरकाण्ड)|उत्तरकाण्ड]]
|भाग =  
|भाग =  
|विशेष =
|विशेष =
Line 36: Line 39:
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्‌॥1॥
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्‌॥1॥


;भावार्थ
;भावार्थ
Line 51: Line 55:
;भावार्थ
;भावार्थ
नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्री [[सीता|सीताजी]] जिनके वाम भाग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्री [[राम|रामचन्द्रजी]] को मैं नमस्कार करता हूँ॥3॥
नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्री [[सीता|सीताजी]] जिनके वाम भाग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्री [[राम|रामचन्द्रजी]] को मैं नमस्कार करता हूँ॥3॥
</poem>
</poem>
{{poemclose}}
{{poemclose}}


{{लेख क्रम4| पिछला=रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=श्री गुरु चरन सरोज रज}}
 
{{लेख क्रम4| पिछला=रामचरितमानस अयोध्या काण्ड|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=श्री गुरु चरन सरोज रज}}





Latest revision as of 13:35, 4 August 2016

रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड) : मंगलाचरण

रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड)
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
श्लोक

यस्यांके च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्री शंकरः पातु माम्‌॥1॥


भावार्थ

जिनकी गोद में हिमाचल सुता पार्वतीजी, मस्तक पर गंगाजी, ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा, कंठ में हलाहल विष और वक्षःस्थल पर सर्पराज शेषजी सुशोभित हैं, वे भस्म से विभूषित, देवताओं में श्रेष्ठ, सर्वेश्वर, संहारकर्ता (या भक्तों के पापनाशक), सर्वव्यापक, कल्याण रूप, चन्द्रमा के समान शुभ्रवर्ण श्री शंकरजी सदा मेरी रक्षा करें॥1॥

प्रसन्नतां या न गताभिषेकतस्तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।
मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मंजुलमंगलप्रदा॥2॥

भावार्थ

रघुकुल को आनंद देने वाले श्री रामचन्द्रजी के मुखारविंद की जो शोभा राज्याभिषेक से (राज्याभिषेक की बात सुनकर) न तो प्रसन्नता को प्राप्त हुई और न वनवास के दुःख से मलिन ही हुई, वह (मुखकमल की छबि) मेरे लिए सदा सुंदर मंगलों की देने वाली हो॥2॥

नीलाम्बुजश्यामलकोमलांग सीतासमारोपितवामभागम्‌।
पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्‌॥3॥

भावार्थ

नीले कमल के समान श्याम और कोमल जिनके अंग हैं, श्री सीताजी जिनके वाम भाग में विराजमान हैं और जिनके हाथों में (क्रमशः) अमोघ बाण और सुंदर धनुष है, उन रघुवंश के स्वामी श्री रामचन्द्रजी को मैं नमस्कार करता हूँ॥3॥



left|30px|link=रामचरितमानस अयोध्या काण्ड|पीछे जाएँ रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड) right|30px|link=श्री गुरु चरन सरोज रज|आगे जाएँ


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख