डीग महल: Difference between revisions
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किशन भवन, परिसर के दक्षिणी ओर स्थित है। इस भवन का सुसज्जित तथा बड़ा अग्रभाग पांच बड़े केन्द्रीय मेहराबों तथा एक विशाल फव्वारे जो इसकी छट पर टैंक में पानी डालता है, द्वारा विभाजित है। मध्य तथा सामने के मेहराबों के चाप-स्कंध पेचीदा नक्काशी के बेलबूटों से सुसज्जित हैं। मुख्य कक्ष की पिछली दीवार में एक मंडप है जिसका अग्रभाग नक्काशीदार है तथा कृत्रिम रूप से उत्कीर्णित छत है जो एक पर्ण कुटी का प्रतिनिधित्व करती है। | किशन भवन, परिसर के दक्षिणी ओर स्थित है। इस भवन का सुसज्जित तथा बड़ा अग्रभाग पांच बड़े केन्द्रीय मेहराबों तथा एक विशाल फव्वारे जो इसकी छट पर टैंक में पानी डालता है, द्वारा विभाजित है। मध्य तथा सामने के मेहराबों के चाप-स्कंध पेचीदा नक्काशी के बेलबूटों से सुसज्जित हैं। मुख्य कक्ष की पिछली दीवार में एक मंडप है जिसका अग्रभाग नक्काशीदार है तथा कृत्रिम रूप से उत्कीर्णित छत है जो एक पर्ण कुटी का प्रतिनिधित्व करती है। | ||
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हरदेव भवन, सूरज भवन के पीछे स्थित है जिसके सामने एक विशाल बाग़ है जो चार बाग़ शैली में तैयार किया गया है। इस हवेली में बाद में सूरजमल के समय के दौरान कुछ परिवर्तन किए गए। दक्षिण में बना भवन दो मंजिला है। भूतल में एक प्रक्षेपित केन्द्रीय हॉल है जिसके सामने मेहराबें हैं जो दोहरे स्तम्भों की पंक्ति से निकल रही हैं। पीछे का भाग एक छतरी द्वारा सुसज्जित है जिसमें एक पालकीनुमा छत है। ऊपरी मंजिल के पृष्ठ भाग में तिरछे कट से ढकी एक संकरी दीर्घा है। | हरदेव भवन, सूरज भवन के पीछे स्थित है जिसके सामने एक विशाल बाग़ है जो चार बाग़ शैली में तैयार किया गया है। इस हवेली में बाद में सूरजमल के समय के दौरान कुछ परिवर्तन किए गए। दक्षिण में बना भवन दो मंजिला है। भूतल में एक प्रक्षेपित केन्द्रीय हॉल है जिसके सामने मेहराबें हैं जो दोहरे स्तम्भों की पंक्ति से निकल रही हैं। पीछे का भाग एक छतरी द्वारा सुसज्जित है जिसमें एक पालकीनुमा छत है। ऊपरी मंजिल के पृष्ठ भाग में तिरछे कट से ढकी एक संकरी दीर्घा है।[[चित्र:Deeg-Mahal-7.jpg|thumb|left|250px|डीग पैलेस, में गार्डन [[राजस्थान]]]] | ||
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आमतौर पर बारादरी के रूप में प्रसिद्ध केशव भवन, वर्गाकार एक मंजिला खुला मंडप है जो रूप सागर के साथ स्थित है। केंद्र में, यह भवन सभी तरफ जाने वाले और एक आंतरिक वर्ग बनाने वाले तोरणपथ द्वारा विविधतापूर्ण है। मूल रूप में इस भवन में [[मानसून]] के प्रभावों को उत्पन्न करने के उद्देश्य से एक उन्नत युक्ति बनाई गई थी। छत में पत्थर की गेंदें थी, गर्जन उत्पन्न करने के लिए जिनमें पाइप से बहते पानी से टकराहट पैदा की जा सकती थी तथा पानी टोंटियों के माध्यम से चापों के ऊपर छोड़ा जाता था ताकि खुले हाल के चारों ओर वह बारिश की तरह गिरे। | आमतौर पर बारादरी के रूप में प्रसिद्ध केशव भवन, वर्गाकार एक मंजिला खुला मंडप है जो रूप सागर के साथ स्थित है। केंद्र में, यह भवन सभी तरफ जाने वाले और एक आंतरिक वर्ग बनाने वाले तोरणपथ द्वारा विविधतापूर्ण है। मूल रूप में इस भवन में [[मानसून]] के प्रभावों को उत्पन्न करने के उद्देश्य से एक उन्नत युक्ति बनाई गई थी। छत में पत्थर की गेंदें थी, गर्जन उत्पन्न करने के लिए जिनमें पाइप से बहते पानी से टकराहट पैदा की जा सकती थी तथा पानी टोंटियों के माध्यम से चापों के ऊपर छोड़ा जाता था ताकि खुले हाल के चारों ओर वह बारिश की तरह गिरे। | ||
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Latest revision as of 09:34, 8 October 2016
डीग महल
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विवरण | डीग महल को ऐतिहासिक रूप से अठारहवीं शताब्दी के जाट शासकों के मजबूत शासन के साथ जोड़ा जाता है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | भरतपुर |
निर्माता | बदन सिंह और सूरजमल |
स्थापना | 1730 ई. |
भौगोलिक स्थिति | 27° 25' उत्तर और 77° 15' पूर्व |
मार्ग स्थिति | मथुरा से गोवर्धन होते हुए लगभग 40 कि.मी. और आगरा से 44 मील पश्चिमोत्तर में व भरतपुर से 22 मील उत्तर की ओर स्थित है। |
कब जाएँ | कभी भी जा सकते हैं |
रेलवे स्टेशन | भरतपुर रेलवे स्टेशन |
बस अड्डा | भरतपुर बस अड्डा, डीग बस अड्डा |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
संबंधित लेख | डीग, डीग क़िला, डीग संग्रहालय
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अन्य जानकारी | इस शहर की शोभा बढ़ाने वाला सुन्दर उद्यान युक्त महल, सूरजमल की सर्वोत्तम कलात्मक उपलब्धियों में से एक है तथा जाट वंश के प्रसिद्ध नायक का यह आज भी प्रसिद्ध स्मारक है। |
डीग महल अथवा डीग पैलेस (अंग्रेज़ी: Deeg Palace) भरतपुर ज़िले के डीग में स्थित है। डीग महल (अक्षांश 27° 25', रेखांश 77° 15') को ऐतिहासिक रूप से अठारहवीं शताब्दी के जाट शासकों के मजबूत शासन के साथ जोड़ा जाता है। बदन सिंह (1722-56 ई.) ने सिंहासन प्राप्त करने के पश्चात् समुदाय प्रमुखों को इकट्ठा किया तथा इस प्रकार वह भरतपुर में जाट घराने का प्रसिद्ध संस्थापक बना। डीग का शहरीकरण शुरू करने का श्रेय भी उसे ही जाता है। उसने ही इस स्थान को अपनी नई स्थापित जाट सत्ता के मुख्यालय के रूप में चुना था।
इतिहास
बदन सिंह के पुत्र, सूरजमल ने 1730 ई. में बहुत ऊंची दीवारों तथा बुर्जों वाला मजबूत महल बनवाया था। कुछ लेखकों के अनुसार लगभग इसी अवधि में बदन सिंह के भाई, रूप सिंह ने रूप सागर नामक एक विशाल आकर्षक तालाब बनवाया। इस शहर की शोभा बढ़ाने वाला सुन्दर उद्यान युक्त महल, सूरजमल की सर्वोत्तम कलात्मक उपलब्धियों में से एक है तथा जाट वंश के प्रसिद्ध नायक का यह आज भी प्रसिद्ध स्मारक है। सूरजमल की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र, जवाहर सिंह (1764-68 ई.) ने कुछ अन्य महल बनवाए जिनमें सूरज भवन शामिल है। उसने बगीचों और फव्वारों को भी परिसज्जित किया। भरतपुर ज़िले में प्राचीन दीर्घपुरा, डीग (अक्षांश 27°8' उत्तर; रेखांश 77° 20' पूर्व) 18वीं-19वीं शताब्दी ई. के दौरान जाट शासकों का मजबूत गढ़ बना। यह दिल्ली से 153 कि.मी. तथा आगरा से 98 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह प्राचीन पवित्र ब्रज-भूमि की क्षेत्रीय सीमाओं में आता है। ऐतिहासिक रूप से डीग राजाराम (1686-88), भज्जा सिंह (1688-98) तथा चूडामन (1695-1721) के नेतृत्व में जाट किसानों के उत्थान से जुड़ा है। चूडामन की मृत्यु के पश्चात् बदन सिंह (1722-56 ई.) ने कई जिलों पर अपना अधिकार जमाया तथा वह भरतपुर में जाट शासन का वास्तविक संस्थापक बना। डीग को खूबसूरत भवनों, महलों तथा बागों वाले एक उन्नत नगर में परिवर्तित करने का श्रेय उसे ही जाता है। बदन सिंह का पुत्र तथा उत्तराधिकारी, सूरजमल (1756-63) एक महानतम शासक था और इसके शासन के दौरान इस वंश की शक्तियां अपने चरम पर पहुंची।[1][[चित्र:Deeg-Mahal-Deeg-Bharatpur-2.jpg|thumb|left|मुख्य द्वार, डीग महल, डीग]]
वास्तुकला
डीग की वास्तुकला का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से हवेलियों द्वारा किया जाता है जिन्हें भवन कहा जाता है। इन भवनों में गोपाल भवन, सूरज भवन, किशन भवन, नंद भवन, केशव भवन, हरदेव भवन शामिल हैं। संतुलित रूपरेखा, उत्कृष्ट परिमाप, लम्बे व चौड़े हॉल, आकर्षक तथा तर्कसंगत सुव्यवस्थित मेहराब, चित्ताकर्षक हरियाली, आकर्षक जलाशय तथा फव्वारों सहित नहरें इन महलों की ध्यानाकर्षक विशेषताएं हैं। डीग बाग़ों का अभिविन्यास औपचारिक रूप से मुग़ल चारबाग पद्धति पर किया गया है तथा इसके बगल में दो जलाशय- रूप सागर तथा गोपाल सागर हैं। इसकी वास्तुकला प्रारम्भिक रूप से ट्राबीटे क्रम में है किन्तु कुछ जगहों पर चापाकार प्रणाली का भी प्रयोग किया गया है। अधिकांश तोरण पथ सजावटी स्वरूप के हैं क्योंकि प्रत्येक मेहराब, चाप-स्कंध आकार के शिला फलक को जोड़कर बनाया गया है जो खम्भों से बाहर निकले हुए हैं। अलंकृत खम्भों पर टिकी हुई मेहराबें, बहुस्तंभी मंडप, चपटी छत वाली वेदिकाएं, छज्जे तथा बंगाल छतों वाले मंडप, दो-दो छज्जे, मध्यम संरचनात्मक ऊंचाइयाँ तथा खुला आंतरिक विन्यास इस प्रणाली की सामान्य विशेषताएं हैं।[1]
डीग महल के अन्य भवन
सिंह पोल
[[चित्र:Kund-Deeg-Mahal-Deeg-1.jpg|thumb|450px|कुण्ड, डीग महल, डीग]] डीग महल परिसर का यह प्रमुख प्रवेश द्वार है। यह एक अपूर्ण संरचना है जिसका केन्द्रीय प्रक्षेप उत्तर में है। वास्तुकलात्मक रूप से यह कुछ बाद की अवधि का कार्य प्रतीत होता है। इसका नाम तोरणद्वार के सामने बनी दो शेर की मूर्तियों पर पड़ा है।
गोपाल भवन
सभी भवनों में यह सबसे बड़ा तथा अत्यधिक दर्शनीय है। इसके पीछे स्थित सरोवर के पानी की परत पर पड़ने वाला इसका प्रतिबिम्ब, इसके परिवेश पर अनुपम छटा बिखेरता है। भवन में एक केन्द्रीय हॉल है जिसके दोनों ओर पार्श्व में दो कम ऊंचाई की मंजिलों वाला स्कन्ध है। इसके पृष्ठभाग में दो आयताकार भूमिगत मंजिलों का निर्माण ग्रीष्म सैरगाह के रूप में किया गया है। केन्द्रीय प्रक्षेप राजसी मेहराबों तथा शानदार स्तंभों से सुसज्जित है। उत्तरी स्कंध में एक कक्ष में एक काले संगमरमर का सिंहासन चबूतरा है जिसे युद्ध से लूटा गया माना जाता है तथा जो जवाहर सिंह द्वारा दिल्ली के शाही महलों से लाया गया था। गोपाल भवन के उत्तरी तथा दक्षिणी ओर दो लघु मंडप हैं जिन्हें क्रमश: सावन और भादों भवन के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक मंडप की दो मंजिला संरचना है जिसमें सामने से केवल ऊपरी मंजिल ही दिखाई देती है। इसकी पालकीनुमा छत है जिसके शिखर पर पंक्ति में शंकु लगे हैं।
सूरज भवन
डीग महल परिसर के भीतर यह अत्यधिक विस्तृत तथा भव्य संगमरमर का भवन है। इसका निर्माण सूरजमल द्वारा करवाया गया था। यह एक मंजिला चपटी छत वाला भवन है। इस भवन के चारों ओर एक बरामदा है जिसमें प्रवेश के लिए पांच तोरण द्वार हैं तथा किनारों के साथ कक्ष हैं। मूल रूप से यह भवन पाण्डु रंग के बलुआ पत्थर से बनवाया गया था जिसमें बाद में सफेद संगमरमर लगाया गया। केन्द्रीय कक्ष के डाडो के किनारे उत्कृष्ट पीट्रा-ड्यूराकार्य से सुसज्जित हैं।thumb|right|250px|डीग महल
किशन भवन
किशन भवन, परिसर के दक्षिणी ओर स्थित है। इस भवन का सुसज्जित तथा बड़ा अग्रभाग पांच बड़े केन्द्रीय मेहराबों तथा एक विशाल फव्वारे जो इसकी छट पर टैंक में पानी डालता है, द्वारा विभाजित है। मध्य तथा सामने के मेहराबों के चाप-स्कंध पेचीदा नक्काशी के बेलबूटों से सुसज्जित हैं। मुख्य कक्ष की पिछली दीवार में एक मंडप है जिसका अग्रभाग नक्काशीदार है तथा कृत्रिम रूप से उत्कीर्णित छत है जो एक पर्ण कुटी का प्रतिनिधित्व करती है।
हरदेव भवन
हरदेव भवन, सूरज भवन के पीछे स्थित है जिसके सामने एक विशाल बाग़ है जो चार बाग़ शैली में तैयार किया गया है। इस हवेली में बाद में सूरजमल के समय के दौरान कुछ परिवर्तन किए गए। दक्षिण में बना भवन दो मंजिला है। भूतल में एक प्रक्षेपित केन्द्रीय हॉल है जिसके सामने मेहराबें हैं जो दोहरे स्तम्भों की पंक्ति से निकल रही हैं। पीछे का भाग एक छतरी द्वारा सुसज्जित है जिसमें एक पालकीनुमा छत है। ऊपरी मंजिल के पृष्ठ भाग में तिरछे कट से ढकी एक संकरी दीर्घा है।[[चित्र:Deeg-Mahal-7.jpg|thumb|left|250px|डीग पैलेस, में गार्डन राजस्थान]]
केशव भवन
आमतौर पर बारादरी के रूप में प्रसिद्ध केशव भवन, वर्गाकार एक मंजिला खुला मंडप है जो रूप सागर के साथ स्थित है। केंद्र में, यह भवन सभी तरफ जाने वाले और एक आंतरिक वर्ग बनाने वाले तोरणपथ द्वारा विविधतापूर्ण है। मूल रूप में इस भवन में मानसून के प्रभावों को उत्पन्न करने के उद्देश्य से एक उन्नत युक्ति बनाई गई थी। छत में पत्थर की गेंदें थी, गर्जन उत्पन्न करने के लिए जिनमें पाइप से बहते पानी से टकराहट पैदा की जा सकती थी तथा पानी टोंटियों के माध्यम से चापों के ऊपर छोड़ा जाता था ताकि खुले हाल के चारों ओर वह बारिश की तरह गिरे।
नंद भवन
नंद भवन, केन्द्रीय बगीचे के उत्तर की ओर स्थित है। यह आयताकार खुला हॉल है जो चबुतरे पर बनाया गया है तथा सात मुखी बड़े तोरण पथों द्वारा घिरा है। हॉल के केन्द्रीय भाग की छत लकड़ी से बनी हुई है। अन्य भवनों की भांति इसके सामने भी एक जलाशय है तथा इसका बाहरी भाग सुसज्जित है।
पुराना महल
बदन सिंह द्वारा निर्मित पुराने महल की निर्माण योजना एक खुले आयताकार रूप में है जिसके भीतरी भाग में दो अलग-अलग सदन हैं। यह विशिष्ट महल की परम्परा को आगे बढ़ाता है। इसका बाह्य भाग आकर्षक है। इसके मेहराब खुरदरे और नुकीले, दोनों प्रकार के हैं। राजसी निवासों का भूमि-विन्यास केन्द्रीय बगीचे के साथ-साथ किया गया है तथा इसके पार्श्व में पूर्व में रूप सागर तथा पश्चिम में गोपाल सागर नामक दो जलाशय हैं।[1]
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वीथिका
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 टिकट द्वारा प्रवेश वाले स्मारक-राजस्थान (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 4 जनवरी, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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