जस मानस जेहि बिधि: Difference between revisions

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यह रामचरितमानस जैसा है, जिस प्रकार बना है और जिस हेतु से जगत में इसका प्रचार हुआ, अब वही सब कथा मैं उमा-महेश्वर का स्मरण करके कहता हूँ॥ 35॥
यह रामचरितमानस जैसा है, जिस प्रकार बना है और जिस हेतु से जगत् में इसका प्रचार हुआ, अब वही सब कथा मैं उमा-महेश्वर का स्मरण करके कहता हूँ॥ 35॥


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{{लेख क्रम4| पिछला=कहउँ कथा सोइ सुखद सुहाई |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=संभु प्रसाद सुमति हियँ हुलसी}}

Latest revision as of 13:47, 30 June 2017

जस मानस जेहि बिधि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

जस मानस जेहि बिधि भयउ जग प्रचार जेहि हेतु।
अब सोइ कहउँ प्रसंग सब सुमिरि उमा बृषकेतु॥ 35॥

भावार्थ-

यह रामचरितमानस जैसा है, जिस प्रकार बना है और जिस हेतु से जगत् में इसका प्रचार हुआ, अब वही सब कथा मैं उमा-महेश्वर का स्मरण करके कहता हूँ॥ 35॥


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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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