रामचरित राकेस कर: Difference between revisions

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रामचरित्र पूर्णिमा के चंद्रमा की किरणों के समान सभी को सुख देने वाले हैं, परंतु सज्जनरूपी कुमुदिनी और चकोर के चित्त के लिए तो विशेष हितकारी और महान लाभदायक हैं॥ 32(ख)॥
रामचरित्र पूर्णिमा के चंद्रमा की किरणों के समान सभी को सुख देने वाले हैं, परंतु सज्जनरूपी कुमुदिनी और चकोर के चित्त के लिए तो विशेष हितकारी और महान् लाभदायक हैं॥ 32(ख)॥


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Latest revision as of 11:24, 1 August 2017

रामचरित राकेस कर
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

रामचरित राकेस कर सरिस सुखद सब काहु।
सज्जन कुमुद चकोर चित हित बिसेषि बड़ लाहु॥ 32(ख)॥

भावार्थ-

रामचरित्र पूर्णिमा के चंद्रमा की किरणों के समान सभी को सुख देने वाले हैं, परंतु सज्जनरूपी कुमुदिनी और चकोर के चित्त के लिए तो विशेष हितकारी और महान् लाभदायक हैं॥ 32(ख)॥


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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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