झालरापाटन: Difference between revisions
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'''झालरापाटन''' [[राजस्थान]] का एक प्रमुख नगर तथा प्राचीन रियासत का नाम है। वर्तमान झालरापाटन नगर उत्तर अक्षांश और पूर्वी देशांतर के बीच एक पर्वत उपत्यका में स्थित है।<ref>{{cite web |url=http:// | '''झालरापाटन''' [[राजस्थान]] का एक प्रमुख नगर तथा प्राचीन रियासत का नाम है। वर्तमान झालरापाटन नगर उत्तर अक्षांश और पूर्वी देशांतर के बीच एक पर्वत उपत्यका में स्थित है।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%9D%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%A8|title=झालरापाटन|accessmonthday=30 अप्रैल|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
*प्राचीन नगर कुछ दूर चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित था। | *प्राचीन नगर कुछ दूर [[चंद्रभागा नदी]] के किनारे स्थित था। | ||
*इस स्थान के नाम के मूल के संबंध में इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का मत है कि झाला राजपूतों के बसने के कारण इसका नाम 'झालरापाटन' प्रचलित हो गया। इसके विरुद्ध अन्य विद्वानों का विचार है कि निकट स्थित पर्वत से निरंतर [[जल]] निकलते रहने के कारण इसका यह नाम पड़ा। | *इस स्थान के नाम के मूल के संबंध में इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का मत है कि झाला राजपूतों के बसने के कारण इसका नाम 'झालरापाटन' प्रचलित हो गया। इसके विरुद्ध अन्य विद्वानों का विचार है कि निकट स्थित पर्वत से निरंतर [[जल]] निकलते रहने के कारण इसका यह नाम पड़ा। | ||
*[[इतिहासकार]] [[कर्नल जेम्स टॉड]] के मतानुसार, यहाँ के प्राचीन मंदिरों में, जिनका निर्माण 600 ई. में हुआ, अधिक संख्या में घंटे होने के कारण झालरापाटन नाम प्रचलित हुआ। | *[[इतिहासकार]] [[कर्नल जेम्स टॉड]] के मतानुसार, यहाँ के प्राचीन मंदिरों में, जिनका निर्माण 600 ई. में हुआ, अधिक संख्या में घंटे होने के कारण झालरापाटन नाम प्रचलित हुआ। |
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झालरापाटन राजस्थान का एक प्रमुख नगर तथा प्राचीन रियासत का नाम है। वर्तमान झालरापाटन नगर उत्तर अक्षांश और पूर्वी देशांतर के बीच एक पर्वत उपत्यका में स्थित है।[1]
- प्राचीन नगर कुछ दूर चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित था।
- इस स्थान के नाम के मूल के संबंध में इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का मत है कि झाला राजपूतों के बसने के कारण इसका नाम 'झालरापाटन' प्रचलित हो गया। इसके विरुद्ध अन्य विद्वानों का विचार है कि निकट स्थित पर्वत से निरंतर जल निकलते रहने के कारण इसका यह नाम पड़ा।
- इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड के मतानुसार, यहाँ के प्राचीन मंदिरों में, जिनका निर्माण 600 ई. में हुआ, अधिक संख्या में घंटे होने के कारण झालरापाटन नाम प्रचलित हुआ।
- झालरापाटन के मन्दिरों की सुंदरता की प्रशंसा जनरल कनिंघम आदि अनेक लेखकों ने की है। झाम के हाथों इन मंदिरों का विनाश हुआ।
- जालिम सिंह नामक एक सरदार ने सन 1796 में वर्तमान 'झामपटन' और 'झालरापाटन' छावनी की स्थापना की थी। कालांतर में छावनी में बस्तियाँ बन गई।
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