चामुंडा: Difference between revisions

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चामुंडा [[पार्वती]] का ही एक रूप है। 'दुर्गा सप्तशती' में 'चामुंडा नाम' की उत्पत्ति [[कथा]] का वर्णन है।  
चामुंडा [[पार्वती]] का ही एक रूप है। 'दुर्गा सप्तशती' में 'चामुंडा नाम' की उत्पत्ति [[कथा]] का वर्णन है।  
====कथा====
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दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार चण्ड-मुण्ड नामक दो महादैत्य देवी से युद्ध करने आए तो, देवी ने [[काली]] का रूप धारण कर उनका वध कर दिया। माता देवी की भृकुटी से उत्पन्न कलिका देवी ने जब चण्ड-मुण्ड के सिर देवी को उपहार स्वरुप भेंट किए तो देवी भगवती ने प्रसन्न होकर उन्हें वर दिया कि तुमने चण्ड -मुण्ड का वध किया है, अतः आज से तुम संसार में '''चामुंडा''' के नाम से विख्यात हो जाओगी। मान्यता है कि इसी कारण भक्तगण देवी के इस स्वरुप को चामुंडा रूप में पूजते हैं।<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Hinduism/Religious-Places/Chamunda-Shakti-Peeth-Temple|title=चामुंडा मंदिर शक्तिपीठ|accessmonthday=3 सितम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार चण्ड-मुण्ड नामक दो महादैत्य देवी से युद्ध करने आए तो, देवी ने [[काली]] का रूप धारण कर उनका वध कर दिया। माता देवी की भृकुटी से उत्पन्न कलिका देवी ने जब चण्ड-मुण्ड के सिर देवी को उपहार स्वरूप भेंट किए तो देवी भगवती ने प्रसन्न होकर उन्हें वर दिया कि तुमने चण्ड -मुण्ड का वध किया है, अतः आज से तुम संसार में '''चामुंडा''' के नाम से विख्यात हो जाओगी। मान्यता है कि इसी कारण भक्तगण देवी के इस स्वरूप को चामुंडा रूप में पूजते हैं।<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Hinduism/Religious-Places/Chamunda-Shakti-Peeth-Temple|title=चामुंडा मंदिर शक्तिपीठ|accessmonthday=3 सितम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref>





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चामुंडा पार्वती का ही एक रूप है। 'दुर्गा सप्तशती' में 'चामुंडा नाम' की उत्पत्ति कथा का वर्णन है।

कथा

दुर्गा सप्तशती के सप्तम अध्याय में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार चण्ड-मुण्ड नामक दो महादैत्य देवी से युद्ध करने आए तो, देवी ने काली का रूप धारण कर उनका वध कर दिया। माता देवी की भृकुटी से उत्पन्न कलिका देवी ने जब चण्ड-मुण्ड के सिर देवी को उपहार स्वरूप भेंट किए तो देवी भगवती ने प्रसन्न होकर उन्हें वर दिया कि तुमने चण्ड -मुण्ड का वध किया है, अतः आज से तुम संसार में चामुंडा के नाम से विख्यात हो जाओगी। मान्यता है कि इसी कारण भक्तगण देवी के इस स्वरूप को चामुंडा रूप में पूजते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चामुंडा मंदिर शक्तिपीठ (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 3 सितम्बर, 2012।

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