सूमो कुश्ती: Difference between revisions
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*आठवीं [[शताब्दी]] में सम्राट शोम ने फ़सल कटने के अवसर पर मल्ल युद्धोत्सव मनाया था, तभी से यह [[जापान]] का राष्ट्रीय पर्व बन गया है। इस अवसर पर विजेता को विजय-चिह्न-स्वरूप एक पंखा प्रदान किया जाता है। यह विजेता अगले [[वर्ष]] की [[कुश्ती]] का निर्णायक होता है। | *आठवीं [[शताब्दी]] में सम्राट शोम ने फ़सल कटने के अवसर पर मल्ल युद्धोत्सव मनाया था, तभी से यह [[जापान]] का राष्ट्रीय पर्व बन गया है। इस अवसर पर विजेता को विजय-चिह्न-स्वरूप एक पंखा प्रदान किया जाता है। यह विजेता अगले [[वर्ष]] की [[कुश्ती]] का निर्णायक होता है। | ||
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Latest revision as of 07:35, 7 November 2017
सूमो कुश्ती
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विवरण | 'सूमो' जापानी कुश्ती है। इसमें भारी भरकम सूमो पहलवान अपनी बेजोड़ ताक़त का प्रदर्शन कर विरोधी को पछाड़ते हैं। |
देश | जापान |
शुरुआत | इस कुश्ती की शुरुआत ईसा से 23 वर्ष पूर्व हुई थी तथा इसमें विजयी होने वाले व्यक्ति का नाम 'सुकुने' था। |
संबंधित लेख | कुश्ती, फ्री स्टाइल कुश्ती, अमरीकन फ्री स्टाइल मल्लयुद्ध, श्विंजेन मल्लयुद्ध, कुश्ती का इतिहास, कुश्ती की पद्धतियाँ |
अन्य जानकारी | आठवीं शताब्दी में जापानी सम्राट शोम ने फ़सल कटने के अवसर पर मल्ल युद्धोत्सव मनाया था, तभी से सूमो जापान का राष्ट्रीय पर्व बन गयी है। |
सूमो (अंग्रेज़ी: Sumo) जापानी कुश्ती का नाम है। ये कुश्ती जापान में बड़े पैमाने पर आयोजित की जाती है। इसे जापान का राष्ट्रीय खेल तथा राष्ट्रीय व्यायाम नाम से भी जाना जाता है। इस कुश्ती का शिंतो धर्मानुयायियों में काफ़ी महत्त्व है।
- यह कुश्ती हर वर्ग और स्तर पर खेली जाती है। इसका प्रयोग जापानी युवक अपने शरीर को शक्तिशाली एवं संगठित बनाने के लिए करते हैं।[1]
- प्रथम सूमों कुश्ती, जिसका लिखित विवरण भी उपलब्ध है, ईसा से 23 वर्ष पूर्व हुई थी तथा इसमें विजयी होने वाले व्यक्ति का नाम 'सुकुने' था।
- सूमो जापानियों का राष्ट्रीय व्यायाम है। इसके लिए कुछ राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं काफ़ी लोकप्रिय हैं। स्कूल, कॉलेज तथा कई संगठन सूमो कुश्ती आयोजित कराते हैं।
- इसे प्राचीन काल में 'सुकुने' के नाम से जाना जाता था, सुकुने आज तक जापानी मल्लों का आराध्य देवता माना जाता है।
- आठवीं शताब्दी में सम्राट शोम ने फ़सल कटने के अवसर पर मल्ल युद्धोत्सव मनाया था, तभी से यह जापान का राष्ट्रीय पर्व बन गया है। इस अवसर पर विजेता को विजय-चिह्न-स्वरूप एक पंखा प्रदान किया जाता है। यह विजेता अगले वर्ष की कुश्ती का निर्णायक होता है।
- राज्य संरक्षण के अभाव में सन 1175 ई. के पश्चात् सूमो का ह्रास होने लगा, किंतु सन 1600 ई. के लगभग इसका पुनरुत्थान हुआ। तभी से मल्लों को बड़े सामंतों के यहाँ आश्रय मिलने लगा तथा सूमो सैनिक प्रशिक्षण का प्रमुख अंग बन गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख