बेगि बिलंबु न करिअ: Difference between revisions

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हे राजन्‌! अब देर न कीजिए, शीघ्र सब सामान सजाइए। शुभ दिन और सुंदर मंगल तभी है, जब श्री रामचन्द्रजी युवराज हो जाएँ (अर्थात उनके अभिषेक के लिए सभी दिन शुभ और मंगलमय हैं)॥4॥
हे राजन्‌! अब देर न कीजिए, शीघ्र सब सामान सजाइए। शुभ दिन और सुंदर मंगल तभी है, जब श्री रामचन्द्रजी युवराज हो जाएँ (अर्थात् उनके अभिषेक के लिए सभी दिन शुभ और मंगलमय हैं)॥4॥


{{लेख क्रम4| पिछला=पुनि न सोच तनु रहउ कि जाऊ |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=बेगि बिलंबु न करिअ}}
{{लेख क्रम4| पिछला=सुनु नृप जासु बिमुख पछिताहीं|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मुदित महीपति मंदिर आए}}


'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  

Latest revision as of 07:50, 7 November 2017

बेगि बिलंबु न करिअ
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
दोहा

बेगि बिलंबु न करिअ नृप साजिअ सबुइ समाजु।
सुदिन सुमंगलु तबहिं जब रामु होहिं जुबराजु॥4॥

भावार्थ

हे राजन्‌! अब देर न कीजिए, शीघ्र सब सामान सजाइए। शुभ दिन और सुंदर मंगल तभी है, जब श्री रामचन्द्रजी युवराज हो जाएँ (अर्थात् उनके अभिषेक के लिए सभी दिन शुभ और मंगलमय हैं)॥4॥


left|30px|link=सुनु नृप जासु बिमुख पछिताहीं|पीछे जाएँ बेगि बिलंबु न करिअ right|30px|link=मुदित महीपति मंदिर आए|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।




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