गर्दभिल्ल: Difference between revisions
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'''गर्दभिल्ल''' शकवंशी एक राजा का नाम है, जिसका [[बुंदेलखंड मौर्यकाल|मौर्यकालीन बुंदेलखंड]] पर अधिकार रहा था। | '''गर्दभिल्ल''' शकवंशी एक राजा का नाम है, जिसका [[बुंदेलखंड मौर्यकाल|मौर्यकालीन बुंदेलखंड]] पर अधिकार रहा था। | ||
*[[हिन्दू धर्म]] के [[भविष्य पुराण]] के अनुसार राजा विक्रमादित्य के पिता का नाम गन्धर्वसेन था।<ref>ति.प./प्र. | *[[हिन्दू धर्म]] के [[भविष्य पुराण]] के अनुसार राजा विक्रमादित्य के पिता का नाम गन्धर्वसेन था।<ref>ति.प./प्र.14 H. L. Jain</ref> | ||
*[[मालवा]] (मगध) देश में गन्धर्व के स्थान पर [[श्वेताम्बर]] मान्यता के अनुसार गर्दभिल्ल का नाम आता है अथवा गर्दभी विद्या जानने के कारण यह राजा गर्दभिल्ल के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। <ref>समय–वी०नि० 345-445 (ई०पू०182-82)।– देखें - इतिहास / 3 / 4 ।</ref><ref>{{cite web |url=http://www.jainkosh.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8 |title=गन्धर्वसेन |accessmonthday=25 अप्रॅल |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jainkosh.org |language=हिंदी }}</ref> | *[[मालवा]] (मगध) देश में गन्धर्व के स्थान पर [[श्वेताम्बर]] मान्यता के अनुसार गर्दभिल्ल का नाम आता है अथवा गर्दभी विद्या जानने के कारण यह राजा गर्दभिल्ल के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। <ref>समय–वी०नि० 345-445 (ई०पू०182-82)।– देखें - इतिहास / 3 / 4 ।</ref><ref>{{cite web |url=http://www.jainkosh.org/wiki/%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8 |title=गन्धर्वसेन |accessmonthday=25 अप्रॅल |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=jainkosh.org |language=हिंदी }}</ref> | ||
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Latest revision as of 11:38, 25 April 2018
गर्दभिल्ल शकवंशी एक राजा का नाम है, जिसका मौर्यकालीन बुंदेलखंड पर अधिकार रहा था।
- हिन्दू धर्म के भविष्य पुराण के अनुसार राजा विक्रमादित्य के पिता का नाम गन्धर्वसेन था।[1]
- मालवा (मगध) देश में गन्धर्व के स्थान पर श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार गर्दभिल्ल का नाम आता है अथवा गर्दभी विद्या जानने के कारण यह राजा गर्दभिल्ल के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। [2][3]
- एक जैन जनश्रुति के अनुसार भारत में शकों को आमंत्रित करने का श्रेय आचार्य कालक को है। ये जैन आचार्य उज्जैन के निवासी थे और वहां के राजा गर्दभिल्ल के अत्याचारों से तंग आकर सुदूर पश्चिम के पार्थियन राज्य में चले गए थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ति.प./प्र.14 H. L. Jain
- ↑ समय–वी०नि० 345-445 (ई०पू०182-82)।– देखें - इतिहास / 3 / 4 ।
- ↑ गन्धर्वसेन (हिंदी) jainkosh.org। अभिगमन तिथि: 25 अप्रॅल, 2018।