अविमुक्त: Difference between revisions
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* स्कन्दपुराण में भी अविमुक्त को [[वाराणसी]] का ही अन्य नाम बताया गया है- | |||
* [[स्कन्दपुराण|स्कन्दपुराण]] में भी अविमुक्त को [[वाराणसी]] का ही अन्य नाम बताया गया है-<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=48|url=}}</ref> | |||
<blockquote>न विमुक्तं मया सस्मादविमुक्तमिंद तत:। | |||
क्षेत्रंवाराणसी पुण्यं मुक्तिदं सम्भविष्यिति।।</blockquote> | |||
Latest revision as of 12:11, 22 July 2018
भगवान् शिव के द्वारा वाराणसी को कभी भी न छोड़े जाने के कारण इसका ही एक अन्य नाम अविमुक्त है।[1]
- मत्स्यपुराण के अनुसार-
विमुक्तं न मया यस्मान्मोक्ष्यसे न कदाचन। महत्क्षेत्रमिदं तस्मादविमुक्तमिति स्मृतम्।।
- स्कन्दपुराण में भी अविमुक्त को वाराणसी का ही अन्य नाम बताया गया है-[2]
न विमुक्तं मया सस्मादविमुक्तमिंद तत:। क्षेत्रंवाराणसी पुण्यं मुक्तिदं सम्भविष्यिति।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ देखें शिवपुराण 41; मत्स्यपुराण 182-184
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 48 |