अंतपाल: Difference between revisions
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'''अंतपाल''' प्राचीन समय में [[ | '''अंतपाल''' प्राचीन समय में [[मौर्य साम्राज्य]] की सीमाओं की रक्षा करने वाले राजकर्मचारियों को कहा जाता था। [[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र -कौटिल्य|अर्थशास्त्र]]' से भी अंतपालों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। 'अंतपाल' शब्द साधारणत: सीमांत प्रदेश के शासक या गवर्नर को निर्दिष्ट करता है। यह शासक सैनिक, असैनिक दोनों ही प्रकार का होता था।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2 |title=अंतपाल |accessmonthday=19 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
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*वीरसेन [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के किनारे स्थित अंतपाल दुर्ग का अधिपति था। | *वीरसेन [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] के किनारे स्थित अंतपाल दुर्ग का अधिपति था। | ||
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Latest revision as of 07:26, 9 January 2020
अंतपाल प्राचीन समय में मौर्य साम्राज्य की सीमाओं की रक्षा करने वाले राजकर्मचारियों को कहा जाता था। कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' से भी अंतपालों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। 'अंतपाल' शब्द साधारणत: सीमांत प्रदेश के शासक या गवर्नर को निर्दिष्ट करता है। यह शासक सैनिक, असैनिक दोनों ही प्रकार का होता था।[1]
- अंतपालों का वेतन कुमार, पौर, व्यावहारिक मंत्री तथा राष्ट्रपाल के बराबर होता था।
- मौर्य सम्राट अशोक के समय अंतपाल ही 'अंतमहामात्र' कहलाने लगे थे।
- गुप्त काल में अंतपाल को 'गोप्ता' नाम से सम्बोधित किया जाने लगा था।
- 'मालविकाग्निमित्र' नामक नाटक में वीरसेन तथा एक अन्य अंतपाल का भी उल्लेख हुआ है।
- वीरसेन नर्मदा के किनारे स्थित अंतपाल दुर्ग का अधिपति था।
- अंतपालों का कार्य अति महत्वपूर्ण हुआ करता था। ग्रीक कर्मचारी 'स्त्रातेगस' से इन पदाधिकारियों की तुलना करना सहज है।
- अशोक के शिलालेखों से यह स्पष्ट है कि समय-समय पर केन्द्र से सम्राट प्रान्तों की राजधानियों में महामात्रों को निरीक्षण करने के लिए भेजता था। साम्राज्य के अंतर्गत कुछ-कुछ अर्धस्वशासित प्रदेश थे। यहाँ स्थानीय राजाओं को मान्यता दी जाती थी, किन्तु अंतपापालों द्वारा उनकी गतिविधि पर पूरा नियंत्रण रहता था।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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