मंसूर अली ख़ान पटौदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 16: Line 16:
|भूमिका=[[बल्लेबाज]]
|भूमिका=[[बल्लेबाज]]
|पहला टेस्ट=दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ, [[13 दिसंबर]] [[1961]]
|पहला टेस्ट=दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ, [[13 दिसंबर]] [[1961]]
|आख़िरी टेस्ट=[[मुंबई]] में वेस्टइंडीज के खिलाफ, 23 से 29 जनवरी [[1975]]
|आख़िरी टेस्ट=[[मुंबई]] में वेस्टइंडीज के खिलाफ, [[23 जनवरी|23]] से [[29 जनवरी]], [[1975]]
|पहला वनडे=
|पहला वनडे=
|आख़िरी वनडे=
|आख़िरी वनडे=
Line 77: Line 77:
====विवाह====
====विवाह====
पटौदी ने [[शर्मिला टैगोर]] से शादी करने का फैसला [[25 जुलाई]], [[1966]] को [[लंदन]] में लिया था। इससे पहले [[1 मार्च]], [[1967]] को उनकी मंगनी हुई थी। मशहूर अदाकारा और सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकीं अभिनेत्री शर्मिला से उनकी पहली मुलाकात उनके [[कोलकाता]] स्थित घर पर तब हुई थी, जब पटौदी अपने एक मित्र के साथ वहां एक कार्यक्रम में गए थे। इसमें तत्कालीन राष्ट्रपति [[डॉ. जाकिर हुसैन]] और [[इंदिरा गांधी]] भी शामिल हुईं थीं। पटौदी के परिवार में पत्नी बालीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और तीन बच्चे हैं। उनका बेटा बालीवुड अभिनेता सैफ अली ख़ान और अभिनेत्री सोहा अली ख़ान हैं। उनकी एक बेटी सबा अली ख़ान 'ज्वैलरी डिजाइनर' है।
पटौदी ने [[शर्मिला टैगोर]] से शादी करने का फैसला [[25 जुलाई]], [[1966]] को [[लंदन]] में लिया था। इससे पहले [[1 मार्च]], [[1967]] को उनकी मंगनी हुई थी। मशहूर अदाकारा और सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकीं अभिनेत्री शर्मिला से उनकी पहली मुलाकात उनके [[कोलकाता]] स्थित घर पर तब हुई थी, जब पटौदी अपने एक मित्र के साथ वहां एक कार्यक्रम में गए थे। इसमें तत्कालीन राष्ट्रपति [[डॉ. जाकिर हुसैन]] और [[इंदिरा गांधी]] भी शामिल हुईं थीं। पटौदी के परिवार में पत्नी बालीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और तीन बच्चे हैं। उनका बेटा बालीवुड अभिनेता सैफ अली ख़ान और अभिनेत्री सोहा अली ख़ान हैं। उनकी एक बेटी सबा अली ख़ान 'ज्वैलरी डिजाइनर' है।
==कैरियर==
==कैरियर==
====राजनीति में====
====राजनीति में====
Line 88: Line 87:
पटौदी ने अपना टेस्ट मैच करियर [[13 दिसंबर]] 1961 को दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ शुरू किया था और एक साल बाद ही 1962 में उन्हें टेस्ट टीम की कप्तानी सौंप दी गई। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट 23 से 29 जनवरी 1975 तक [[मुंबई]] में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ खेला था। भारत के सबसे सफल कप्तानों में माने जाने वाले पटौदी ने 46 टेस्टों में 34.91 के औसत से 2793 रन बनाए थे जिनमें छह शतक, 16 अर्धशतक और 1 विकेट शामिल हैं। उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 203 रन (नाबाद) रहा था। उनका औसत भले ही प्रभावशाली न हो लेकिन इनमें से 40 टेस्ट मैच उन्होंने तब खेले थे जबकि 1961 में एक कार दुर्घटना में उनकी दायीं आंख की रोशनी चली गई थी।
पटौदी ने अपना टेस्ट मैच करियर [[13 दिसंबर]] 1961 को दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ शुरू किया था और एक साल बाद ही 1962 में उन्हें टेस्ट टीम की कप्तानी सौंप दी गई। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट 23 से 29 जनवरी 1975 तक [[मुंबई]] में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ खेला था। भारत के सबसे सफल कप्तानों में माने जाने वाले पटौदी ने 46 टेस्टों में 34.91 के औसत से 2793 रन बनाए थे जिनमें छह शतक, 16 अर्धशतक और 1 विकेट शामिल हैं। उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 203 रन (नाबाद) रहा था। उनका औसत भले ही प्रभावशाली न हो लेकिन इनमें से 40 टेस्ट मैच उन्होंने तब खेले थे जबकि 1961 में एक कार दुर्घटना में उनकी दायीं आंख की रोशनी चली गई थी।
=====सबसे युवा कप्तान=====
=====सबसे युवा कप्तान=====
पटौदी ने मात्र 21 वर्ष 77 दिन की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी। पटौदी उस समय दुनिया के सबसे युवा कप्तान बने थे। [[टेस्ट क्रिकेट]] में सबसे कम उम्र में कप्तानी का रिकार्ड 2004 तक उनके नाम पर रहा। जिम्बाब्वे के तातैंडा तायबू ने 2004 में यह रिकार्ड अपने नाम किया था। पटौदी के कप्तान बनने के बाद भारतीय क्रिकेट की तस्वीर भी बदलने लगी। पटौदी को यह ज़िम्मेदारी वेस्टइंडीज दौरे में नियमित कप्तान नारी कांट्रेक्टर के सिर में चोट लगने के कारण दी गई थी। उन्होंने एक आंख की रोशनी के बावजूद टेस्ट क्रिकेट में पांच शतक लगाए जिनमें कप्तान के रूप में उनकी पहली पूरी सीरीज 1963-64 में दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बनाया उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 203 रन भी शामिल है। पटौदी ने उसी वर्ष आस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ दो अर्धशतक बनाए थे जिसकी बदौलत भारत ने मुंबई टेस्ट जीता था। उन्होंने चेन्नई टेस्ट में आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नाबाद शतक भी बनाया था। फिरोजशाह कोटला में ही उन्होंने 1965 में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ 113 रन की जोरदार पारी खेली थी जिससे भारत सात विकेट से मैच जीतने में सफल रहा था। पटौदी ने अपने 46 टेस्टों में से 40 में भारत का नेतृत्व किया था और नौ में भारत को जीत दिलाई थी जबकि 19 में हार मिली। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पटौदी से पहले भारतीय टीम ने जो 79 मैच खेले थे उनमें से उसे केवल आठ में जीत मिली थी और 31 में हार। यही नहीं इससे पहले भारत विदेशों में 33 में से कोई भी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया था।
पटौदी ने मात्र 21 वर्ष 77 दिन की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी। पटौदी उस समय दुनिया के सबसे युवा कप्तान बने थे। [[टेस्ट क्रिकेट]] में सबसे कम उम्र में कप्तानी का रिकार्ड 2004 तक उनके नाम पर रहा। जिम्बाब्वे के तातैंडा तायबू ने 2004 में यह रिकार्ड अपने नाम किया था। पटौदी के कप्तान बनने के बाद भारतीय क्रिकेट की तस्वीर भी बदलने लगी। पटौदी को यह ज़िम्मेदारी वेस्टइंडीज दौरे में नियमित कप्तान नारी कांट्रेक्टर के सिर में चोट लगने के कारण दी गई थी। उन्होंने एक आंख की रोशनी के बावजूद टेस्ट क्रिकेट में पांच शतक लगाए जिनमें कप्तान के रूप में उनकी पहली पूरी सीरीज 1963-64 में दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बनाया उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 203 रन भी शामिल है। पटौदी ने उसी वर्ष आस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ दो अर्धशतक बनाए थे जिसकी बदौलत भारत ने मुंबई टेस्ट जीता था। उन्होंने चेन्नई टेस्ट में आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नाबाद शतक भी बनाया था। फिरोजशाह कोटला में ही उन्होंने 1965 में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ 113 रन की जोरदार पारी खेली थी जिससे भारत सात विकेट से मैच जीतने में सफल रहा था। पटौदी ने अपने 46 टेस्टों में से 40 में भारत का नेतृत्व किया था और नौ में भारत को जीत दिलाई थी जबकि 19 में हार मिली। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पटौदी से पहले भारतीय टीम ने जो 79 मैच खेले थे उनमें से उसे केवल आठ में जीत मिली थी और 31 में हार। यही नहीं इससे पहले भारत विदेशों में 33 में से कोई भी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया था।
 
[[चित्र:pataudi-family.jpg|मंसूर अली ख़ान पटौदी और परिवार|thumb|250px]]
[[चित्र:pataudi-family.jpg|मंसूर अली ख़ान पटौदी और परिवार|thumb|250px]]
=====नेतृत्व क्षमता=====
=====नेतृत्व क्षमता=====
Line 97: Line 95:
=====मैच रैफरी=====
=====मैच रैफरी=====
क्रिकेट से सन्न्यास लेने के बाद वह 1993 से 1996 तक आईसीसी मैच रैफरी भी रहे थे जिसमें उन्होंने दो टेस्ट और 10 वनडे में यह भूमिका निभाई थी। वह 2005 में तब एक विवाद में भी फंस गए थे जब उन्हें लुप्त प्रजाति काले हिरण के अवैध शिकार के लिए गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2008 में पटौदी इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] की संचालन परिषद में भी नियुक्त किए गए थे और दो साल तक इस पद पर बने रहने के बाद 2010 में उन्होंने बीसीसीआई के इस पद की पेशकश को ठुकरा दिया था।
क्रिकेट से सन्न्यास लेने के बाद वह 1993 से 1996 तक आईसीसी मैच रैफरी भी रहे थे जिसमें उन्होंने दो टेस्ट और 10 वनडे में यह भूमिका निभाई थी। वह 2005 में तब एक विवाद में भी फंस गए थे जब उन्हें लुप्त प्रजाति काले हिरण के अवैध शिकार के लिए गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2008 में पटौदी इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] की संचालन परिषद में भी नियुक्त किए गए थे और दो साल तक इस पद पर बने रहने के बाद 2010 में उन्होंने बीसीसीआई के इस पद की पेशकश को ठुकरा दिया था।
==निधन==
==निधन==
मंसूर अली ख़ान पटौदी का फेफडों के संक्रमण के कारण [[22 सितंबर]] 2011 को 70 वर्ष की उम्र में निधन हुआ था। 23-09-2011 को मंसूर अली को गुड़गांव (हरियाणा) ज़िले के उनके पुश्‍तैनी गांव पटौदी में पटौदी महल परिसर स्थित क़ब्रगाह में जहां दफनाया गया, वहां पास में ही उनके दादा-दादी और पिता की क़ब्र है।  
मंसूर अली ख़ान पटौदी का फेफडों के संक्रमण के कारण [[22 सितंबर]] 2011 को 70 वर्ष की उम्र में निधन हुआ था। 23-09-2011 को मंसूर अली को गुड़गांव (हरियाणा) ज़िले के उनके पुश्‍तैनी गांव पटौदी में पटौदी महल परिसर स्थित क़ब्रगाह में जहां दफनाया गया, वहां पास में ही उनके दादा-दादी और पिता की क़ब्र है।  
Line 115: Line 112:
* 2007 से बीसीसीआई के सलाहकार तथा आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य।
* 2007 से बीसीसीआई के सलाहकार तथा आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य।
* टीवी कॉमेंट्रेटर की भूमिका भी निभा चुके हैं।  
* टीवी कॉमेंट्रेटर की भूमिका भी निभा चुके हैं।  
* 2007 से इंग्लैंड-भारत के बीच पटौदी ट्रॉफी के लिए टेस्ट सीरीज खेली जाती है।  
* 2007 से इंग्लैंड-भारत के बीच पटौदी ट्रॉफी के लिए टेस्ट सीरीज खेली जाती है।
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
Line 123: Line 118:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{अर्जुन पुरस्कार}}{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
{{अर्जुन पुरस्कार}}{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
[[Category:क्रिकेट]]
[[Category:क्रिकेट]][[Category:क्रिकेट_खिलाड़ी]][[Category:खेलकूद कोश]][[Category:पद्म श्री]][[Category:अर्जुन पुरस्कार]][[Category:भारत के खिलाड़ी]]
[[Category:क्रिकेट_खिलाड़ी]][[Category:खेलकूद कोश]][[Category:पद्म श्री]]
[[Category:अर्जुन पुरस्कार]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 06:19, 31 March 2020

मंसूर अली ख़ान पटौदी
व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम मंसूर अली ख़ान पटौदी
अन्य नाम पटौदी जूनियर, टाइगर पटौदी, नवाब पटौदी
जन्म 5 जनवरी, 1941
जन्म भूमि भोपाल, मध्य प्रदेश
अभिभावक इफ़्तिख़ार अली ख़ान पटौदी
पत्नी शर्मिला टैगोर
संतान सैफ अली ख़ान (पुत्र), बेटी सोहा अली ख़ान सबा अली ख़ान (पुत्री)
मृत्यु 22 सितंबर, 2011
मृत्यु स्थान दिल्ली
खेल परिचय
बल्लेबाज़ी शैली दाएँ हाथ के बल्लेबाज़
गेंदबाज़ी शैली दाएँ हाथ मध्यम गति
टीम भारत, दिल्ली, हैदराबाद, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ससेक्स टीमों के लिए खेले
भूमिका बल्लेबाज
पहला टेस्ट दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ, 13 दिसंबर 1961
आख़िरी टेस्ट मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ, 23 से 29 जनवरी, 1975
कैरियर आँकड़े
प्रारूप टेस्ट क्रिकेट एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय टी-20 अन्तर्राष्ट्रीय
मुक़ाबले 46
बनाये गये रन 2793
बल्लेबाज़ी औसत 34.91
100/50 6/16
सर्वोच्च स्कोर 203 नाबाद
फेंकी गई गेंदें 132
विकेट 1
गेंदबाज़ी औसत 88.00
पारी में 5 विकेट -
मुक़ाबले में 10 विकेट -
सर्वोच्च गेंदबाज़ी 1/10
कैच/स्टम्पिंग 27 कैच
अन्य जानकारी पटौदी ने मात्र 21 वर्ष 77 दिन की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी। पटौदी उस समय दुनिया के सबसे युवा कप्तान बने थे।
बाहरी कड़ियाँ espncricinfo.com
अद्यतन

मंसूर अली ख़ान पटौदी अथवा 'नवाब पटौदी' (अंग्रेज़ी: Mansoor Ali Khan Pataudi, जन्म- 5 जनवरी, 1941, भोपाल, मध्य प्रदेश; मृत्यु- 22 सितंबर, 2011 दिल्ली) भारतीय क्रिकेट टीम के भूतपूर्व कप्तान और महान् खिलाड़ी थे। अपनी कलात्मक बल्लेबाजी से अधिक कप्तानी के कारण क्रिकेट जगत् में अमिट छाप छोडऩे वाले मंसूर अली ख़ान पटौदी ने भारतीय क्रिकेट में नेतृत्व कौशल की नई मिसाल और नए आयाम जोड़े थे।

जीवन परिचय

जन्म

पटौदी जूनियर जिन्हें दुनिया टाइगर पटौदी अथवा नवाब पटौदी के नाम से भी जानती है, का जन्म 5 जनवरी, 1941 को मध्य प्रदेश के भोपाल के नवाब परिवार में हुआ था। यह दिन उन्हें खुशी के साथ गम भी दे गया था। पटौदी का जन्म भले ही भोपाल के शाही परिवार में हुआ, लेकिन उन्हें विषम परिस्थितियों से जूझना पड़ा, चाहे वह निजी ज़िंदगी हो या फिर क्रिकेट। पटौदी जब 11वां जन्मदिन मना रहे थे, तब इसी दिन 1952 में उनके पिता पूर्व भारतीय कप्तान इफ्तिखार अली ख़ाँ पटौदी का दिल्ली में पोलो खेलते हुए दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इसके बाद जूनियर पटौदी को सभी भूल गये। चार साल बाद ही अखबारों में उनका नाम छपा जब विनचेस्टर की तरफ से खेलते हुए उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया। अपने पिता के निधन के कुछ दिन बाद ही पटौदी इंग्लैंड आ गए थे। जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर शुरू किया तो 20 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना में उनकी दाहिनी आंख की रोशनी चली गई। मंसूर अली ख़ाँ पटौदी ने इसके बावजूद क्रिकेट की अपनी विरासत न सिर्फ बरकरार रखी बल्कि भारतीय क्रिकेट को भी नई ऊंचाईयां दी। वह भारत, दिल्ली, हैदराबाद, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ससेक्स टीमों के लिए खेले थे। thumb|left|मंसूर अली ख़ान पटौदी

परिवार

मंसूर अली ख़ान पटौदी की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा देहरादून के वेलहम बॉयज स्कूल में हुई और फिर उन्होंने अपनी ज़्यादातर पढ़ाई ब्रिटेन में की। वे इफ़्तिख़ार अली ख़ान पटौदी के बेटे थे। जो पटौदी के आठवें नवाब थे। इफ़्तिख़ार अली ख़ान पटौदी सीनियर पटौदी के नाम से जाने जाते थे और उन्होंने भी भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की थी।

विवाह

पटौदी ने शर्मिला टैगोर से शादी करने का फैसला 25 जुलाई, 1966 को लंदन में लिया था। इससे पहले 1 मार्च, 1967 को उनकी मंगनी हुई थी। मशहूर अदाकारा और सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकीं अभिनेत्री शर्मिला से उनकी पहली मुलाकात उनके कोलकाता स्थित घर पर तब हुई थी, जब पटौदी अपने एक मित्र के साथ वहां एक कार्यक्रम में गए थे। इसमें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और इंदिरा गांधी भी शामिल हुईं थीं। पटौदी के परिवार में पत्नी बालीवुड अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और तीन बच्चे हैं। उनका बेटा बालीवुड अभिनेता सैफ अली ख़ान और अभिनेत्री सोहा अली ख़ान हैं। उनकी एक बेटी सबा अली ख़ान 'ज्वैलरी डिजाइनर' है।

कैरियर

राजनीति में

कई राजे-रजवाड़े की शख़्सियतों के सियासत के मैदान में उतरने पर उन्होंने भी राजनीति में आने का फैसला किया। विधान सभा का पहला चुनाव उन्होंने 1971 में पटौदी स्टेट (गुडग़ांव) से लड़ा, लेकिन यहां उन्हें शिकस्त मिली। वर्ष 1991 में उन्होंने भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा तो भाजपा के सुशील चंद्र वर्मा से हार गए। इस चुनाव में खुद पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया था। उन्हें भोपाल से चुनाव लड़ाने का फैसला राजीव गांधी का था। इस चुनाव में बेगम आयशा सुल्तान यानी शर्मिला टैगोर ने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कई क्रिकेटर भी चुनाव प्रचार करने भोपाल आए थे।

क्रिकेट में

पटौदी ने अपने पिता को अधिक खेलते हुए नहीं देखा था लेकिन उनका क्रिकेट प्यार तब लोगों को पता चला था जब वह अपने पिता के निधन के कुछ दिन बाद ही जहाज़ में इंग्लैंड जा रहे थे। इस जहाज़ में वीनू मांकड़ तथा वेस्टइंडीज के फ्रैंक वारेल और एवर्टन वीक्स जैसे खिलाड़ी भी थे और तब पटौदी ने जहाज़ के डेक पर उनके साथ क्रिकेट खेली थी। इसके दस साल बाद युवा पटौदी किसी और के साथ नहीं बल्कि वारेल के साथ टेस्ट मैच में टॉस करने के लिए उतरे थे। वारेल ने इसके बाद कई अवसरों पर अपने इस युवा प्रतिद्वंद्वी की जमकर प्रशंसा की।

प्रथम श्रेणी क्रिकेट

अपने प्रथम श्रेणी के करियर में पटौदी ने 310 मैचों में 33.67 के औसत से 15425 रन बनाए थे जिनमें 33 शतक और 75 अर्धशतक शामिल थे।

पहला अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट

पटौदी ने अपना टेस्ट मैच करियर 13 दिसंबर 1961 को दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ शुरू किया था और एक साल बाद ही 1962 में उन्हें टेस्ट टीम की कप्तानी सौंप दी गई। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट 23 से 29 जनवरी 1975 तक मुंबई में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ खेला था। भारत के सबसे सफल कप्तानों में माने जाने वाले पटौदी ने 46 टेस्टों में 34.91 के औसत से 2793 रन बनाए थे जिनमें छह शतक, 16 अर्धशतक और 1 विकेट शामिल हैं। उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 203 रन (नाबाद) रहा था। उनका औसत भले ही प्रभावशाली न हो लेकिन इनमें से 40 टेस्ट मैच उन्होंने तब खेले थे जबकि 1961 में एक कार दुर्घटना में उनकी दायीं आंख की रोशनी चली गई थी।

सबसे युवा कप्तान

पटौदी ने मात्र 21 वर्ष 77 दिन की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी। पटौदी उस समय दुनिया के सबसे युवा कप्तान बने थे। टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम उम्र में कप्तानी का रिकार्ड 2004 तक उनके नाम पर रहा। जिम्बाब्वे के तातैंडा तायबू ने 2004 में यह रिकार्ड अपने नाम किया था। पटौदी के कप्तान बनने के बाद भारतीय क्रिकेट की तस्वीर भी बदलने लगी। पटौदी को यह ज़िम्मेदारी वेस्टइंडीज दौरे में नियमित कप्तान नारी कांट्रेक्टर के सिर में चोट लगने के कारण दी गई थी। उन्होंने एक आंख की रोशनी के बावजूद टेस्ट क्रिकेट में पांच शतक लगाए जिनमें कप्तान के रूप में उनकी पहली पूरी सीरीज 1963-64 में दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बनाया उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 203 रन भी शामिल है। पटौदी ने उसी वर्ष आस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ दो अर्धशतक बनाए थे जिसकी बदौलत भारत ने मुंबई टेस्ट जीता था। उन्होंने चेन्नई टेस्ट में आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ नाबाद शतक भी बनाया था। फिरोजशाह कोटला में ही उन्होंने 1965 में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ 113 रन की जोरदार पारी खेली थी जिससे भारत सात विकेट से मैच जीतने में सफल रहा था। पटौदी ने अपने 46 टेस्टों में से 40 में भारत का नेतृत्व किया था और नौ में भारत को जीत दिलाई थी जबकि 19 में हार मिली। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पटौदी से पहले भारतीय टीम ने जो 79 मैच खेले थे उनमें से उसे केवल आठ में जीत मिली थी और 31 में हार। यही नहीं इससे पहले भारत विदेशों में 33 में से कोई भी टेस्ट मैच नहीं जीत पाया था। मंसूर अली ख़ान पटौदी और परिवार|thumb|250px

नेतृत्व क्षमता

टाइगर के कमान संभालने से पहले भारतीय टीम को नौसिखिया माना जाता था जिससे आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी बड़ी टीमें ज़्यादा क्रिकेट नहीं खेलना चाहती थी लेकिन पटौदी ने अपने भारतीय खिलाडि़यों को सिखाया कि वह भी जीत सकते हैं और दिग्गज टीमों को नतमस्तक करने का माद्दा उनमें भी है। पटौदी हमेशा इस बात के हिमायती रहे थे कि टीम की जो ताकत है उसे उसी हिसाब से खेलना चाहिए। स्पिनर उस समय भारतीय टीम की ताकत हुआ करते थे और उन्होंने अपनी सफलताएं तीन स्पिनरों को मैदान पर उतारकर हासिल की थीं।

साहसी बल्लेबाज़

पटौदी साहसिक बल्लेबाज़ी के लिए जाने जाते थे और फील्डरों के ऊपर से शाट खेलने से नहीं चूकते थे। वह परंपरागत सोच में यकीन नहीं रखने वाले कप्तान थे और हमेशा कुछ अलग करने की कोशिश में रहते थे। एक कार दुर्घटना में उनकी दाईं आंख की रोशनी पर असर पडा था जिससे उनका क्रिकेट करियर प्रभावित हुआ।

मैच रैफरी

क्रिकेट से सन्न्यास लेने के बाद वह 1993 से 1996 तक आईसीसी मैच रैफरी भी रहे थे जिसमें उन्होंने दो टेस्ट और 10 वनडे में यह भूमिका निभाई थी। वह 2005 में तब एक विवाद में भी फंस गए थे जब उन्हें लुप्त प्रजाति काले हिरण के अवैध शिकार के लिए गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2008 में पटौदी इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] की संचालन परिषद में भी नियुक्त किए गए थे और दो साल तक इस पद पर बने रहने के बाद 2010 में उन्होंने बीसीसीआई के इस पद की पेशकश को ठुकरा दिया था।

निधन

मंसूर अली ख़ान पटौदी का फेफडों के संक्रमण के कारण 22 सितंबर 2011 को 70 वर्ष की उम्र में निधन हुआ था। 23-09-2011 को मंसूर अली को गुड़गांव (हरियाणा) ज़िले के उनके पुश्‍तैनी गांव पटौदी में पटौदी महल परिसर स्थित क़ब्रगाह में जहां दफनाया गया, वहां पास में ही उनके दादा-दादी और पिता की क़ब्र है। मंसूर अली ख़ान पटौदी और परिवार|thumb|250px

एक दृष्टि में नवाब पटौदी

  • 13 दिसंबर 1961 :- टेस्ट पदार्पण इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दिल्ली में 13 रन बनाए।
  • 10 जनवरी 1962 :- इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टेस्ट का अपना पहला शतक (113 रन) चेन्नई में बनाया।
  • 23 मार्च 1962 :- बारबडोस टेस्ट में भारत के लिए पहली बार कप्तानी की, तब उनकी उम्र 21 साल ही थी।
  • 12-13 फरवरी 1964 :- कैरियर की सर्वश्रेष्ठ पारी 203 नाबाद इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नईदिल्ली टेस्ट में खेली।
  • फरवरी-मार्च 1968 :- ड्युनेडिन टेस्ट में न्यूजीलैंड को हराकर पहली बार विदेश में 3-1 से सीरीज जीती।
  • 23 जनवरी 1075 :- वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ कैरियर के अंतिम टेस्ट (मुंबई) की दोनों पारियों में 9-9 रन बनाए।
  • 1961 से 1975 के बीच पटौदी ने 46 टेस्ट बनाए।
  • 1968 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर
  • 1964 में अर्जुन पुरस्कार
  • 1967 में पद्मश्री से अंलकृत
  • आनंद बाज़ार पत्रिका समूह की खेल पत्रिका स्पोट्र्स वल्र्ड का एक दशक से भी ज़्यादा समय तक संपादन।
  • 2007 से बीसीसीआई के सलाहकार तथा आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य।
  • टीवी कॉमेंट्रेटर की भूमिका भी निभा चुके हैं।
  • 2007 से इंग्लैंड-भारत के बीच पटौदी ट्रॉफी के लिए टेस्ट सीरीज खेली जाती है।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख