ज्योतिर्मठ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(जोशीमठ को अनुप्रेषित (रिडायरेक्ट))
 
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
#REDIRECT [[जोशीमठ]]
[[चित्र:Jyotirmath.jpg|thumb|200px|ज्योतिर्मठ]]
'''ज्योतिर्मठ''' या '''जोशीमठ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jyotirmath'') [[टिहरी गढ़वाल ज़िला]], [[उत्तराखंड]] में स्थित है। यह [[बदरीनाथ]] के 19 मील {{मील|मील=19}} नीचे प्राचीन [[तीर्थ स्थान]] है, जहाँ [[शंकराचार्य]] का मठ है। इसे [[ज्योतिर्लिंग]] का स्थान माना जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=373|url=}}</ref><br />
<br />
*जोशीमठ में [[मध्य काल]] में [[गढ़वाल]] के कत्यूरी नरेशों की राजधानी थी।
*यहाँ क़स्बे में [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] का अति प्राचीन मंदिर है, जिसकी मूर्ति सुघड़ और सुंदर है।
*एक दूसरा मंदिर [[नरसिंह अवतार|नरसिंह]] भगवान का है। मूर्ति आकार में छोटी है, किंतु चमत्कारपूर्ण समझी जाती है।
*मन्दिर के पास ही शंकराचार्य के निवास स्थान की गुफ़ा है और वह 'कीमू' <ref>शहतूत</ref> वृक्ष भी, जहाँ किंवदंती के अनुसार बैठकर शंकराचार्य ने महान् [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना की थी।
*ऐतिहासिक तौर पर ज्योतिर्मठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र रहा है, जिसकी स्थापना 8वीं सदी में [[आदि शंकराचार्य]] ने की थी।
*ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' और 'सागर' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।
*इस मठ का महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है।
*मठ के अंतर्गत [[अथर्ववेद]] को रखा गया है।
*ज्योतिर्मठ के पहले मठाधीश आचार्य तोटक थे।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक स्थान}}{{उत्तराखंड के पर्यटन स्थल}}
[[Category:उत्तराखंड]][[Category:हिन्दू मठ]][[Category:उत्तराखंड के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]][[Category:उत्तराखंड के धार्मिक स्थल]][[Category:धार्मिक स्थल कोश]][[Category:पर्यटन कोश]]
__INDEX__

Latest revision as of 07:38, 12 May 2020

thumb|200px|ज्योतिर्मठ ज्योतिर्मठ या जोशीमठ (अंग्रेज़ी: Jyotirmath) टिहरी गढ़वाल ज़िला, उत्तराखंड में स्थित है। यह बदरीनाथ के 19 मील (लगभग 30.4 कि.मी.) नीचे प्राचीन तीर्थ स्थान है, जहाँ शंकराचार्य का मठ है। इसे ज्योतिर्लिंग का स्थान माना जाता है।[1]

  • जोशीमठ में मध्य काल में गढ़वाल के कत्यूरी नरेशों की राजधानी थी।
  • यहाँ क़स्बे में वासुदेव का अति प्राचीन मंदिर है, जिसकी मूर्ति सुघड़ और सुंदर है।
  • एक दूसरा मंदिर नरसिंह भगवान का है। मूर्ति आकार में छोटी है, किंतु चमत्कारपूर्ण समझी जाती है।
  • मन्दिर के पास ही शंकराचार्य के निवास स्थान की गुफ़ा है और वह 'कीमू' [2] वृक्ष भी, जहाँ किंवदंती के अनुसार बैठकर शंकराचार्य ने महान् ग्रंथों की रचना की थी।
  • ऐतिहासिक तौर पर ज्योतिर्मठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र रहा है, जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी।
  • ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' और 'सागर' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।
  • इस मठ का महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है।
  • मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है।
  • ज्योतिर्मठ के पहले मठाधीश आचार्य तोटक थे।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 373 |
  2. शहतूत

संबंधित लेख