लाओ-त्सु: Difference between revisions
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#शब्दों में दयालुता आत्मविश्वास पैदा करती है। सोच में दयालुता गूढ़ता लाती है। देने में दयालुता प्रेम पैदा करती है। | #शब्दों में दयालुता आत्मविश्वास पैदा करती है। सोच में दयालुता गूढ़ता लाती है। देने में दयालुता प्रेम पैदा करती है। | ||
#जो अच्छे हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार करो, और जो अच्छे नहीं हैं उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करो। इस तरह से अच्छाई प्राप्त होती है। उनके साथ ईमानदार रहो जो ईमानदार हैं | #जो अच्छे हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार करो, और जो अच्छे नहीं हैं उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करो। इस तरह से अच्छाई प्राप्त होती है। उनके साथ ईमानदार रहो जो ईमानदार हैं और उनके साथ भी ईमानदार रहो जो ईमानदार नहीं हैं। इस तरह से ईमानदारी प्राप्त होती है। | ||
#मेरे पास सिखाने के लिए बस तीन बातें हैं | #मेरे पास सिखाने के लिए बस तीन बातें हैं- सादगी, धैर्य, दया। ये तीनों आपका सबसे बड़ा खजाना हैं। | ||
#एक अच्छे यात्री की कोई तय योजना नहीं होती | #एक अच्छे यात्री की कोई तय योजना नहीं होती और वह पहुंचने पर आमादा नहीं होता। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
Latest revision as of 10:44, 28 June 2020
thumb|250px|लाओ-त्सु लाओ-त्सु (अंग्रेज़ी: Lao Tzu) चीन के प्रसिद्ध दार्शनिक थे, जो ताओ-ते-चिंग नाम के मशहूर उपदेश लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी विचारधाराओं पर आधारित धर्म को ताओ धर्म कहते हैं। लाओ-सू एक सम्मान जतलाने वाली उपाधि है, जिसमें 'लाओ' का अर्थ 'आदरणीय वृद्ध' और 'सू' का अर्थ 'गुरु' है।
परिचय
चीनी परम्परा के अनुसार लाओ-त्सु छठी शताब्दी ईसापूर्व में झोऊ राजवंश के काल में जीते थे। इतिहासकारों में इनकी जीवनी को लेकर विवाद है। कुछ कहते हैं कि वे एक काल्पनिक व्यक्ति हैं, कुछ कहते हैं कि इन्हें बहुत से महान व्यक्तियों को मिलकर एक व्यक्तित्व में दर्शाया गया है और कुछ कहते हैं कि वे वास्तव में चीन के झोऊ काल के दूसरे भाग में झगड़ते राज्यों के काल में रहते थे।
विचार
- ज़िदगी स्वाभाविक बदलावों का नाम है, इन्हें रोकें नहीं। इससे तकलीफ ही होगी। सच्चाई को सच्चाई रहने दें। जिंदगी में जो घटनाएँ हो रही है, उन्हें होने दें।
- सेहत सबसे बड़ी संपत्ति है, संतोष सबसे बड़ा खजाना है। आत्मविश्वास सबसे बड़ा दोस्त है। अस्तित्व में न होना सबसे बड़ा आनंद है।
- मौन रहेंगे तो इससे खुद को ताकतवर बना सकेंगे।
- शब्दों में दया भाव रखने से आत्मविश्वास बढता है। विचारों में दया भाव रखने से गंभीरता आती है और देने में दया भाव रखने से प्रेम बढता है।
- सीखने के लिए केवल तीन ही चीजें होती हैं- जीने में सरलता, संघर्ष और कठिन हालात में धैर्य और दूसरों के प्रति सहानुभूति। ये तीनो मिलकर जिंदगी का सबसे बड़ा खजाना बनाते हैं।
- कठिन काम उस वक्त करो, जब वे आसान हों और महान काम उस समय करो, जब वे छोटे हों। हजार मीलों की यात्रा की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है।
- अगर आप यह मानने लगते हैं कि सारी चीजें बदलने वाली हैं तो आप उन्हें थामे रखने की कोशिश नहीं करेंगे। अगर आपको मौत का डर नहीं है तो दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे आप हासिल नहीं कर सकते हैं।
- बुद्धिमान व्यक्ति वही है, जो यह जानता है कि वह कुछ नहीं जानता है। जो जानता है, वह बोलता नहीं है। जो बोलता है, वह जानता नहीं है।
- दूसरों को जानना बुद्धिमानी है। खुद को जानना सच्ची बुद्धिमानी है। दूसरों पर राज करना ताकत है। खुद पर राज करना सच्ची ताकत है। अगर आप यह मान लेते हैं कि आपके पास पर्याप्त है तो आप सच्चे धनवान हैं।
- जब तुम उससे संतुष्ट हो जाते हो जो तुम हो और खुद की न किसी से तुलना करते हो न प्रतिस्पर्धा करते हो, तब सब लोग तुम्हारा सम्मान करते हैं।
- शब्दों में दयालुता आत्मविश्वास पैदा करती है। सोच में दयालुता गूढ़ता लाती है। देने में दयालुता प्रेम पैदा करती है।
- जो अच्छे हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार करो, और जो अच्छे नहीं हैं उनके साथ भी अच्छा व्यवहार करो। इस तरह से अच्छाई प्राप्त होती है। उनके साथ ईमानदार रहो जो ईमानदार हैं और उनके साथ भी ईमानदार रहो जो ईमानदार नहीं हैं। इस तरह से ईमानदारी प्राप्त होती है।
- मेरे पास सिखाने के लिए बस तीन बातें हैं- सादगी, धैर्य, दया। ये तीनों आपका सबसे बड़ा खजाना हैं।
- एक अच्छे यात्री की कोई तय योजना नहीं होती और वह पहुंचने पर आमादा नहीं होता।
- रहने में, ज़मीन के निकट रहें। सोचने में, सरलता रखें। झगड़े में, निष्पक्ष एवं उदार रहें। शासन में नियंत्रण रखने की कोशिश ना करें। काम में वो करें, जिसमें आनंद आये। परिवार में पूरी तरह से उपस्थित रहें।
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