ममता बनर्जी: Difference between revisions
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'''ममता बनर्जी''' भारतीय राज्य [[पश्चिम बंगाल]] की वर्तमान [[मुख्यमंत्री]] एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। | |चित्र=Mamata Banerjee.jpg | ||
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|मृत्यु कारण= | |||
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|नागरिकता=भारतीय | |||
|प्रसिद्धि=राजनीतिज्ञ | |||
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|पद=पूर्व रेलमंत्री, [[मुख्यमंत्री]], [[पश्चिम बंगाल]] | |||
|भाषा=[[हिंदी]], [[अंग्रेज़ी]], [[बांग्ला]] | |||
|जेल यात्रा= | |||
|कार्य काल='''मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल'''<br /> | |||
प्रथम बार- [[20 मई]], [[2011]] से [[25 मई]], [[2016]] तक<br /> | |||
दूसरी बार- [[26 मई]], [[2016]] से [[4 मई]], [[2021]]<br /> | |||
तीसरी बार- [[5 मई]], [[2021]] से पदस्थ<br /> | |||
'''रेलमंत्री'''- [[22 मई]], [[2009]] - [[19 मई]], [[2011]] तक | |||
|विद्यालय=जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज | |||
|शिक्षा=वकालत | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|विशेष योगदान= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=विशेष | |||
|पाठ 1=साल [[2018]] में ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा पर आधारित अपने एलबम 'रौद्रर छाया' केे लिए सात गीत कम्पोज किए थे। | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=ममता रबड़ की चप्पल, संकरी किनारी वाली सूती साड़ी की पहचान बन गई हैं। अब भी वह लाल खपरैल की छत वाले घर में रहती हैं। नियमित रूप से ट्रेडमिल पर अभ्यास करती हैं। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|14:39, 4 जनवरी 2014 (IST)}} | |||
}}'''ममता बनर्जी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mamta Banerjee''; जन्म- [[5 जनवरी]], [[1955]], [[कोलकाता]]) भारतीय राज्य [[पश्चिम बंगाल]] की वर्तमान [[मुख्यमंत्री]] एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। ये अपने समर्थकों में 'दीदी' (बड़ी बहन) के नाम से अत्यधिक लोकप्रिय हैं। सूती साड़ी, हवाई चप्पल, कंधे पर कपड़े का थैला और चेहरे पर हमेशा संघर्ष के भाव, इनकी मुख्य पहचान हैं। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी अपनी सादगी और संघर्ष की बुनियाद पर पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के 34 साल पुराने क़िले को ढहाने में सफल रहीं। ममता का व्यक्तित्व एक ज़मीनी, संघर्षशील, तेज़ तर्रार और मुखर नेता के समान है। वह छोटे फायदे के लिए कभी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी। | |||
==शिक्षा== | ==शिक्षा== | ||
ममता बनर्जी | ममता बनर्जी का जन्म [[कोलकाता]] में 5 जनवरी, 1955 को हुआ था। उन्होंने 'बसंती देवी कॉलेज' से अपनी स्नातक की शिक्षा को पूर्ण किया। बाद में आपने 'जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज' से अपनी क़ानून की डिग्री प्राप्त की। | ||
==व्यक्तित्व== | |||
ममता रबड़ की चप्पल, संकरी किनारी वाली सूती साड़ी की पहचान बन गई हैं। अब भी वह लाल खपरैल की छत वाले घर में रहती हैं। नियमित रूप से ट्रेडमिल पर अभ्यास करती हैं। सुबह अपनी पार्टी के सहयोगियों से बातचीत करती हैं, बैठकों, रैलियों और रेलवे से जुड़े समारोहों से निबटने के बाद ही आराम करती हैं। | |||
==संघर्ष के दिन== | ==संघर्ष के दिन== | ||
कभी ऐसा समय भी था, जब ममता बनर्जी को ग़रीबी से संघर्ष करते हुए [[दूध]] बेचने का काम भी करना पड़ा था। उनके लिए अपने छोटे भाई-बहनों के पालन-पोषण में अपनी विधवा माँ की मदद करने का यही अकेला तरीका था। ममता के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और जब वे बहुत छोटी थीं, तभी उनकी मृत्यु हो गई थी। बाद में उन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए दूध विक्रेता का कार्य करने का निर्णय लिया। मुसीबत के उन दिनों ने ममता को सख्त बना दिया और उन्होंने पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों को सत्ता से | कभी ऐसा समय भी था, जब ममता बनर्जी को ग़रीबी से संघर्ष करते हुए [[दूध]] बेचने का काम भी करना पड़ा था। उनके लिए अपने छोटे भाई-बहनों के पालन-पोषण में अपनी विधवा माँ की मदद करने का यही अकेला तरीका था। ममता के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और जब वे बहुत छोटी थीं, तभी उनकी मृत्यु हो गई थी। बाद में उन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए दूध विक्रेता का कार्य करने का निर्णय लिया। मुसीबत के उन दिनों ने ममता को सख्त बना दिया और उन्होंने पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों को सत्ता से बेदख़ल करने के अपने सपने को पूरा करने में दशकों गुजार दिए। | ||
==राजनीति== | ==राजनीति== | ||
पश्चिम बंगाल में यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष के तौर पर ममता बनर्जी ने राजनीति की शुरुआत की। ये पहली बार 1984 में [[सोमनाथ चटर्जी]] को हराकर जादवपुर सीट से [[लोक सभा]] में पहुँची। [[कांग्रेस]] से अलग होने के बाद इन्होंने 1997 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। दक्षिण कोलकाता सीट से 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में इन्हें लोकसभा के लिए चुना गया। ममता बनर्जी दो बार रेल मंत्री रह चुकी हैं। इन्होंने पहले राजग के साथ गठबंधन में और फिर संप्रग सरकार-दो में यह | पश्चिम बंगाल में यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष के तौर पर ममता बनर्जी ने राजनीति की शुरुआत की। ये पहली बार [[1984]] में [[सोमनाथ चटर्जी]] को हराकर जादवपुर सीट से [[लोक सभा]] में पहुँची। [[कांग्रेस]] से अलग होने के बाद इन्होंने [[1997]] में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। दक्षिण कोलकाता सीट से [[1991]], [[1996]], [[1998]], [[1999]], [[2004]] और [[2009]] में इन्हें लोकसभा के लिए चुना गया। ममता बनर्जी दो बार रेल मंत्री रह चुकी हैं। इन्होंने पहले राजग के साथ गठबंधन में और फिर संप्रग सरकार-दो में यह ज़िम्मेदारी संभाली। क़रीब 13 साल के संघर्ष के बाद आखिरकार पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा को हटाकर ममता बनर्जी [[इतिहास]] रचने में सफल रहीं। | ||
==मुख्यमंत्री== | ==मुख्यमंत्री== | ||
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने शुक्रवार, 20 मई | तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने [[शुक्रवार]], [[20 मई]], [[2011]] को [[पश्चिम बंगाल]] के [[मुख्यमंत्री]] पद की शपथ ग्रहण की। इन्होंने ने केवल राज्य में 34 साल के वामपंथी शासन का अंत किया, बल्कि राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी हासिल किया। हमेशा की तरह ममत बनर्जी [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] साड़ी पहनकर समारोह स्थल पहुँची थी। [[राज्यपाल]] एम. के. नारायणन ने दोपहर एक बजकर एक मिनट पर राजभवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। ममता ने यह समय स्वयं तय किया था। राज्य की 11वीं मुख्यमंत्री बनी ममता ने [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] में शपथ ली। ममता बनर्जी के साथ तृणमूल कांग्रेस के 36 मंत्री व कांग्रेस के 7 मंत्रियों ने भी शपथ ली। | ||
==ममता का राजनीतिक सफर== | ==ममता का राजनीतिक सफर== | ||
देश की शक्तिशाली नेताओं में शुमार ममता बनर्जी के जीवन की कुछ | देश की शक्तिशाली नेताओं में शुमार ममता बनर्जी के जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ इस प्रकार हैं-<br /> | ||
:*1976-1980 : ममता बनर्जी [[पश्चिम बंगाल]] महिला कांग्रेस की महासचिव | :*1970: में [[कांग्रेस]] पार्टी की कार्यकर्ता बनी| | ||
:*1984 : ममता ने | :*1976-1980 : ममता बनर्जी [[पश्चिम बंगाल]] महिला कांग्रेस की महासचिव बनीं। | ||
:*1989 : ममता जादवपुर लोक सभा सीट पर मालिनी भट्टाचार्य से पराजित हुईं। | :*1984 : ममता ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता [[सोमनाथ चटर्जी]] को जादवपुर [[लोक सभा]] सीट से हराया। उन्हें देश की सबसे युवा सांसद बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ। उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया। | ||
:*1989 : कांग्रेस विरोधी लहर में ममता जादवपुर लोक सभा सीट पर मालिनी भट्टाचार्य से पराजित हुईं। | |||
:*1991 : ममता दोबारा लोक सभा की सदस्य बनीं। उन्होंने दक्षिणी कलकत्ता ([[कोलकाता]]) लोक सभा सीट से माकपा के बिप्लव दासगुप्ता को पराजित किया। वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में वह इसी सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं। | :*1991 : ममता दोबारा लोक सभा की सदस्य बनीं। उन्होंने दक्षिणी कलकत्ता ([[कोलकाता]]) लोक सभा सीट से माकपा के बिप्लव दासगुप्ता को पराजित किया। वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में वह इसी सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं। | ||
:*अगस्त 1989 : दक्षिण कोलकाता में हजरा क्रांसिंग पर विरोध प्रदर्शन के दौरान माकपा के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने की वजह से उनके सिर में चोटें आईं। | :*अगस्त 1989 : दक्षिण कोलकाता में हजरा क्रांसिंग पर विरोध प्रदर्शन के दौरान माकपा के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने की वजह से उनके सिर में चोटें आईं। | ||
:*1991 : [[नरसिम्हा राव]] सरकार में मानव संसाधन विकास, युवा मामलों और महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्य मंत्री बनीं। | :*1991 : कोलकाता से लोकसभा के लिए चुनी गई। [[नरसिम्हा राव]] सरकार में मानव संसाधन विकास, युवा मामलों और महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्य मंत्री | ||
:*21 जुलाई, 1993 : ममता के नेतृत्व में युवा [[कांग्रेस]] समर्थकों का दल रॉयटर्स बिल्डिंग की तरफ बढ़ रहा था उसी समय की गई गोलीबारी में 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। वे मतदाता पहचान पत्र को मतदान के लिए एकमात्र दस्तावेज़ माने जाने की माँग कर रहे थे। | बनीं। नरसिम्हां राव सरकार में खेल मंत्री बनाई गई। | ||
:*21 जुलाई, 1993 : ममता के नेतृत्व में युवा [[कांग्रेस]] समर्थकों का दल 'रॉयटर्स बिल्डिंग' की तरफ बढ़ रहा था उसी समय की गई गोलीबारी में 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। वे मतदाता पहचान पत्र को मतदान के लिए एकमात्र दस्तावेज़ माने जाने की माँग कर रहे थे। | |||
:*जुलाई 1996 : मंत्री होने के बावजूद ममता ने लोक सभा में पेट्रोल की क़ीमतों में वृद्धि का विरोध किया। | :*जुलाई 1996 : मंत्री होने के बावजूद ममता ने लोक सभा में पेट्रोल की क़ीमतों में वृद्धि का विरोध किया। | ||
:*फ़रवरी 1997 : तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान के रेल बजट में पश्चिम बंगाल को नजरअंदाज़ करने की बात कहते हुए ममता ने अपनी शाल उनके ऊपर फेंक दी और अपने इस्तीफे की घोषणा की। | :*1996 से 2009 तक दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट से विजयी होती रही हैं। | ||
:*22 दिसम्बर, 1997 : ममता ने कांग्रेस छोड़ी और कोलकाता में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का गठन करने की घोषणा की। | :*फ़रवरी 1997 : तत्कालीन रेल मंत्री 'रामविलास पासवान' के रेल बजट में पश्चिम बंगाल को नजरअंदाज़ करने की बात कहते हुए ममता ने अपनी शाल उनके ऊपर फेंक दी और अपने इस्तीफे की घोषणा की। | ||
:*22 दिसम्बर, 1997 : ममता ने कांग्रेस छोड़ी और [[कोलकाता]] में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का गठन करने की घोषणा की। | |||
:*1 जनवरी, 1998 : तृणमूल कांग्रेस औपचारिक रूप से अस्तित्व में आई। | :*1 जनवरी, 1998 : तृणमूल कांग्रेस औपचारिक रूप से अस्तित्व में आई। | ||
:*1998 और 1999 : [[भारतीय जनता पार्टी]] (भाजपा) के साथ सीटों का बँटवारा कर लोक सभा का चुनाव लड़ा। | :*1998 और 1999 : [[भारतीय जनता पार्टी]] (भाजपा) के साथ सीटों का बँटवारा कर लोक सभा का चुनाव लड़ा। | ||
:*1999 : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई और ममता रेल मंत्री बनी। | :*1999 : [[राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन]] (राजग) के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई और ममता रेल मंत्री बनी। | ||
:*2001: तहलका के खुलासे के बाद राजग छोड़ दिया। | |||
:*मार्च 2001 : राजग छोड़कर राज्य विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस गठबंधन में शामिल हुईं। चुनाव में वाम मोर्चे को 199 और तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन को 86 सीटें मिलीं। | :*मार्च 2001 : राजग छोड़कर राज्य विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस गठबंधन में शामिल हुईं। चुनाव में वाम मोर्चे को 199 और तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन को 86 सीटें मिलीं। | ||
:*अगस्त 2001 : ममता बनर्जी पुन: राजग में लौंटी आईं। | :*अगस्त 2001 : ममता बनर्जी पुन: राजग में लौंटी आईं। | ||
:*जनवरी 2004 : कोयला एवं खदान मंत्री बनीं। [[लोक सभा]] चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने | :*जनवरी 2004 : केंद्रीय कोयला एवं खदान मंत्री बनीं। [[लोक सभा]] चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने ख़राब प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी को केवल एक सीट मिली। | ||
:*मई 2006 : तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन प्रदर्शन | :*2005: प. बंगाल के नंदीग्राम में इंडोनेशियन समूह सलीम के निवेश का विरोध किया | ||
:*मई 2006 : तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन प्रदर्शन ख़राब रहा। इस गठबंध को केवल 30 सीटें मिली, जबकि वाम मोर्चा को 233 सीटें मिली। | |||
:*नवम्बर 2006 : पश्चिम बंगाल में हुगली ज़िले के सिंगूर में टाटा मोटर्स की प्रस्तावित परियोजना का विरोध किया और 12 घंटे के बंद का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की। | :*नवम्बर 2006 : पश्चिम बंगाल में हुगली ज़िले के सिंगूर में टाटा मोटर्स की प्रस्तावित परियोजना का विरोध किया और 12 घंटे के बंद का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की। | ||
:*दिसम्बर 2006 : सिंगूर में अनिच्छुक किसानों की अधिग्रहित ज़मीन वापस लौटाने की माँग को लेकर ममता बनर्जी ने शहर में स्थित मेट्रो चैनल पर 25 दिनों की भूख हड़ताल की। | :*दिसम्बर 2006 : सिंगूर में अनिच्छुक किसानों की अधिग्रहित ज़मीन वापस लौटाने की माँग को लेकर ममता बनर्जी ने शहर में स्थित मेट्रो चैनल पर 25 दिनों की भूख हड़ताल की। यू पी ए सरकार में रेल मंत्री बनाई गई | ||
:*मार्च 14, 2007 : पश्चिमी मिदनापुर ज़िले के नंदीग्राम में [[पश्चिम बंगाल]] सरकार की भूमि अधिग्रहण योजना का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में 14 किसानों की मौत हो गई। | :*मार्च 14, 2007 : पश्चिमी मिदनापुर ज़िले के नंदीग्राम में [[पश्चिम बंगाल]] सरकार की भूमि अधिग्रहण योजना का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में 14 किसानों की मौत हो गई। | ||
:*14 नवम्बर, 2007 : [[बंगाल]] में प्रख्यात बुद्धिजीवियों ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ कोलकाता से नंदीग्राम तक एक शांति मार्च निकाला। | :*14 नवम्बर, 2007 : [[बंगाल]] में प्रख्यात बुद्धिजीवियों ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ कोलकाता से नंदीग्राम तक एक शांति मार्च निकाला। | ||
:*मई 2008 : तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिमी मिदनापुर और दक्षिण 24 परगना की ज़िला परिषद की सीट पर क़ब्ज़ा कर लिया। यह सीट वाम मोर्चे के क़ब्ज़े में थी। तृणमूल कांग्रेस ने नंदीग्राम और सिंगूर में भी वाम मोर्चे का सफाया कर दिया। | :*मई 2008 : तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिमी मिदनापुर और दक्षिण 24 परगना की ज़िला परिषद की सीट पर क़ब्ज़ा कर लिया। यह सीट वाम मोर्चे के क़ब्ज़े में थी। तृणमूल कांग्रेस ने नंदीग्राम और सिंगूर में भी वाम मोर्चे का सफाया कर दिया। | ||
:*अपने चुनाव अभियान के लिए पैसा जुटाने के लिए ममता बनर्जी काफ़ी व्यस्त रहीं। वर्ष 2007 और 2008 में अपने तैल चित्रों की बिक्री कर चार लाख और 15 लाख रुपये कमाये और इसे दान कर दिया। | |||
:*2009 : कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने एक साथ मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ा। तृणमूल को पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 26 पर जीत हासिल हुई। ममता एक बार फिर रेल मंत्री बनीं। | :*2009 : कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने एक साथ मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ा। तृणमूल को पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 26 पर जीत हासिल हुई। ममता एक बार फिर रेल मंत्री बनीं। | ||
:*जून 2010 : नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने [[कोलकाता]] नगर निगम पर अपना परचम लहराया। | :*जून 2010 : नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने [[कोलकाता]] नगर निगम पर अपना परचम लहराया। कोलकाता नगर निगम पर तृणमूल कांग्रेस ने 62 सीटों के अंतर से कब्ज़ा जमाया। | ||
:*18 मार्च, 2011 : ममता ने कांग्रेस के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ा। | :*18 मार्च, 2011 : ममता ने कांग्रेस के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ा। | ||
:*13 मई, 2011 : विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस गठबंधन ने राज्य की 294 सीटों में से 227 पर अपना परचम लहराया। | :*13 मई, 2011 : विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस गठबंधन ने राज्य की 294 सीटों में से 227 पर अपना परचम लहराया। | ||
:*मई 20, 2011 : ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की [[मुख्यमंत्री]] के रूप में शपथ ली।<ref name="mcc">{{cite web |url= http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=28943|title=ममता बनर्जी के जीवन की | :*मई 20, 2011 : ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की [[मुख्यमंत्री]] के रूप में शपथ ली।<ref name="mcc">{{cite web |url= http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=28943|title=ममता बनर्जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएं |accessmonthday=23 मई |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=पी.एच.पी. |publisher=moneycontrol.com |language= [[हिन्दी]]}}</ref> | ||
:*26 मई, 2016 : दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। | |||
==संवेदनशील कवयित्री== | ==संवेदनशील कवयित्री== | ||
[[बंगाल]] के जनमानस में ‘पोरीबोर्तन’ का सपना भरने वाली, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के जीवन का एक अनजाना पहलू यह भी है कि, वे एक संवेदनशील कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में भी ‘बदरंग’ हो चुकी राजनीति के ‘पोरीबर्तन’ (बदलाव) की छटपटाहट है और साथ-साथ इसकी इस आशय की हुंकार भी है। सुश्री बनर्जी की इस आशय की कविता ‘राजनीति’ इसी मनोव्यथा को दर्शाती है और ख़ासी चर्चित है।<ref name="mcc"/> | [[बंगाल]] के जनमानस में ‘पोरीबोर्तन’ का सपना भरने वाली, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के जीवन का एक अनजाना पहलू यह भी है कि, वे एक संवेदनशील कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में भी ‘बदरंग’ हो चुकी राजनीति के ‘पोरीबर्तन’ (बदलाव) की छटपटाहट है और साथ-साथ इसकी इस आशय की हुंकार भी है। सुश्री बनर्जी की इस आशय की कविता ‘राजनीति’ इसी मनोव्यथा को दर्शाती है और ख़ासी चर्चित है।<ref name="mcc"/> | ||
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<blockquote><poem>‘राजनीति’ एक शब्द, जिससे मन में कभी जागता था श्रद्धाभाव | <blockquote><poem>‘राजनीति’ एक शब्द, जिससे मन में कभी जागता था श्रद्धाभाव | ||
अब हो गये हैं इसके मायने बड़ा कारोबार | अब हो गये हैं इसके मायने बड़ा कारोबार | ||
पार्टी के | पार्टी के दफ़्तर बन गये हैं बाज़ार | ||
सच, राजनीति बनकर रह गयी है ‘गंदा खेल’ | सच, राजनीति बनकर रह गयी है ‘गंदा खेल’ | ||
‘राजनीति’ जो होनी चाहिए थी सिद्धांतों और मूल्यों का पर्याय | ‘राजनीति’ जो होनी चाहिए थी सिद्धांतों और मूल्यों का पर्याय | ||
समय ने बदला है इसका अर्थ अब है यह है अपराध की पाठशाला | समय ने बदला है इसका अर्थ अब है यह है अपराध की पाठशाला | ||
नहीं बीता है बहुत | नहीं बीता है बहुत वक़्त जब राजनीति की कुंजी थी ‘जनशक्ति’ | ||
अफ़सोस, अब इसके मायने हो गये हैं ‘धनशक्ति’ | |||
भरोसा, ईमानदारी, निष्ठा है ये शब्द बेहद नेक, बेहद पाक | भरोसा, ईमानदारी, निष्ठा है ये शब्द बेहद नेक, बेहद पाक | ||
लेकिन गायब होते जा रहे हैं धीरे-धीरे अब ये राजनीति के शब्दकोष से | लेकिन गायब होते जा रहे हैं धीरे-धीरे अब ये राजनीति के शब्दकोष से | ||
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गंदगी के भंवरजाल में डूब जाये, समा जाए।<ref name="mcc"/></poem></blockquote> | गंदगी के भंवरजाल में डूब जाये, समा जाए।<ref name="mcc"/></poem></blockquote> | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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Latest revision as of 09:43, 6 May 2021
ममता बनर्जी
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पूरा नाम | ममता बनर्जी |
अन्य नाम | दीदी (बड़ी बहन) |
जन्म | 5 जनवरी, 1955 |
जन्म भूमि | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
पति/पत्नी | अविवाहित |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | तृणमूल कांग्रेस |
पद | पूर्व रेलमंत्री, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल |
कार्य काल | मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल प्रथम बार- 20 मई, 2011 से 25 मई, 2016 तक |
शिक्षा | वकालत |
विद्यालय | जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज |
भाषा | हिंदी, अंग्रेज़ी, बांग्ला |
विशेष | साल 2018 में ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा पर आधारित अपने एलबम 'रौद्रर छाया' केे लिए सात गीत कम्पोज किए थे। |
अन्य जानकारी | ममता रबड़ की चप्पल, संकरी किनारी वाली सूती साड़ी की पहचान बन गई हैं। अब भी वह लाल खपरैल की छत वाले घर में रहती हैं। नियमित रूप से ट्रेडमिल पर अभ्यास करती हैं। |
अद्यतन | 14:39, 4 जनवरी 2014 (IST)
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ममता बनर्जी (अंग्रेज़ी: Mamta Banerjee; जन्म- 5 जनवरी, 1955, कोलकाता) भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। ये अपने समर्थकों में 'दीदी' (बड़ी बहन) के नाम से अत्यधिक लोकप्रिय हैं। सूती साड़ी, हवाई चप्पल, कंधे पर कपड़े का थैला और चेहरे पर हमेशा संघर्ष के भाव, इनकी मुख्य पहचान हैं। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी अपनी सादगी और संघर्ष की बुनियाद पर पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा के 34 साल पुराने क़िले को ढहाने में सफल रहीं। ममता का व्यक्तित्व एक ज़मीनी, संघर्षशील, तेज़ तर्रार और मुखर नेता के समान है। वह छोटे फायदे के लिए कभी अपने लक्ष्य से नहीं भटकी।
शिक्षा
ममता बनर्जी का जन्म कोलकाता में 5 जनवरी, 1955 को हुआ था। उन्होंने 'बसंती देवी कॉलेज' से अपनी स्नातक की शिक्षा को पूर्ण किया। बाद में आपने 'जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज' से अपनी क़ानून की डिग्री प्राप्त की।
व्यक्तित्व
ममता रबड़ की चप्पल, संकरी किनारी वाली सूती साड़ी की पहचान बन गई हैं। अब भी वह लाल खपरैल की छत वाले घर में रहती हैं। नियमित रूप से ट्रेडमिल पर अभ्यास करती हैं। सुबह अपनी पार्टी के सहयोगियों से बातचीत करती हैं, बैठकों, रैलियों और रेलवे से जुड़े समारोहों से निबटने के बाद ही आराम करती हैं।
संघर्ष के दिन
कभी ऐसा समय भी था, जब ममता बनर्जी को ग़रीबी से संघर्ष करते हुए दूध बेचने का काम भी करना पड़ा था। उनके लिए अपने छोटे भाई-बहनों के पालन-पोषण में अपनी विधवा माँ की मदद करने का यही अकेला तरीका था। ममता के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और जब वे बहुत छोटी थीं, तभी उनकी मृत्यु हो गई थी। बाद में उन्होंने अपने परिवार को चलाने के लिए दूध विक्रेता का कार्य करने का निर्णय लिया। मुसीबत के उन दिनों ने ममता को सख्त बना दिया और उन्होंने पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों को सत्ता से बेदख़ल करने के अपने सपने को पूरा करने में दशकों गुजार दिए।
राजनीति
पश्चिम बंगाल में यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष के तौर पर ममता बनर्जी ने राजनीति की शुरुआत की। ये पहली बार 1984 में सोमनाथ चटर्जी को हराकर जादवपुर सीट से लोक सभा में पहुँची। कांग्रेस से अलग होने के बाद इन्होंने 1997 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। दक्षिण कोलकाता सीट से 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में इन्हें लोकसभा के लिए चुना गया। ममता बनर्जी दो बार रेल मंत्री रह चुकी हैं। इन्होंने पहले राजग के साथ गठबंधन में और फिर संप्रग सरकार-दो में यह ज़िम्मेदारी संभाली। क़रीब 13 साल के संघर्ष के बाद आखिरकार पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा को हटाकर ममता बनर्जी इतिहास रचने में सफल रहीं।
मुख्यमंत्री
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने शुक्रवार, 20 मई, 2011 को पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इन्होंने ने केवल राज्य में 34 साल के वामपंथी शासन का अंत किया, बल्कि राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव भी हासिल किया। हमेशा की तरह ममत बनर्जी सफ़ेद साड़ी पहनकर समारोह स्थल पहुँची थी। राज्यपाल एम. के. नारायणन ने दोपहर एक बजकर एक मिनट पर राजभवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। ममता ने यह समय स्वयं तय किया था। राज्य की 11वीं मुख्यमंत्री बनी ममता ने बांग्ला में शपथ ली। ममता बनर्जी के साथ तृणमूल कांग्रेस के 36 मंत्री व कांग्रेस के 7 मंत्रियों ने भी शपथ ली।
ममता का राजनीतिक सफर
देश की शक्तिशाली नेताओं में शुमार ममता बनर्जी के जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएँ इस प्रकार हैं-
- 1970: में कांग्रेस पार्टी की कार्यकर्ता बनी|
- 1976-1980 : ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल महिला कांग्रेस की महासचिव बनीं।
- 1984 : ममता ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोक सभा सीट से हराया। उन्हें देश की सबसे युवा सांसद बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ। उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया।
- 1989 : कांग्रेस विरोधी लहर में ममता जादवपुर लोक सभा सीट पर मालिनी भट्टाचार्य से पराजित हुईं।
- 1991 : ममता दोबारा लोक सभा की सदस्य बनीं। उन्होंने दक्षिणी कलकत्ता (कोलकाता) लोक सभा सीट से माकपा के बिप्लव दासगुप्ता को पराजित किया। वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में वह इसी सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं।
- अगस्त 1989 : दक्षिण कोलकाता में हजरा क्रांसिंग पर विरोध प्रदर्शन के दौरान माकपा के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर पीटे जाने की वजह से उनके सिर में चोटें आईं।
- 1991 : कोलकाता से लोकसभा के लिए चुनी गई। नरसिम्हा राव सरकार में मानव संसाधन विकास, युवा मामलों और महिला एवं बाल विकास विभाग में राज्य मंत्री
बनीं। नरसिम्हां राव सरकार में खेल मंत्री बनाई गई।
- 21 जुलाई, 1993 : ममता के नेतृत्व में युवा कांग्रेस समर्थकों का दल 'रॉयटर्स बिल्डिंग' की तरफ बढ़ रहा था उसी समय की गई गोलीबारी में 13 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। वे मतदाता पहचान पत्र को मतदान के लिए एकमात्र दस्तावेज़ माने जाने की माँग कर रहे थे।
- जुलाई 1996 : मंत्री होने के बावजूद ममता ने लोक सभा में पेट्रोल की क़ीमतों में वृद्धि का विरोध किया।
- 1996 से 2009 तक दक्षिण कोलकाता लोकसभा सीट से विजयी होती रही हैं।
- फ़रवरी 1997 : तत्कालीन रेल मंत्री 'रामविलास पासवान' के रेल बजट में पश्चिम बंगाल को नजरअंदाज़ करने की बात कहते हुए ममता ने अपनी शाल उनके ऊपर फेंक दी और अपने इस्तीफे की घोषणा की।
- 22 दिसम्बर, 1997 : ममता ने कांग्रेस छोड़ी और कोलकाता में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का गठन करने की घोषणा की।
- 1 जनवरी, 1998 : तृणमूल कांग्रेस औपचारिक रूप से अस्तित्व में आई।
- 1998 और 1999 : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सीटों का बँटवारा कर लोक सभा का चुनाव लड़ा।
- 1999 : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई और ममता रेल मंत्री बनी।
- 2001: तहलका के खुलासे के बाद राजग छोड़ दिया।
- मार्च 2001 : राजग छोड़कर राज्य विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस गठबंधन में शामिल हुईं। चुनाव में वाम मोर्चे को 199 और तृणमूल-कांग्रेस गठबंधन को 86 सीटें मिलीं।
- अगस्त 2001 : ममता बनर्जी पुन: राजग में लौंटी आईं।
- जनवरी 2004 : केंद्रीय कोयला एवं खदान मंत्री बनीं। लोक सभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने ख़राब प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी को केवल एक सीट मिली।
- 2005: प. बंगाल के नंदीग्राम में इंडोनेशियन समूह सलीम के निवेश का विरोध किया
- मई 2006 : तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन प्रदर्शन ख़राब रहा। इस गठबंध को केवल 30 सीटें मिली, जबकि वाम मोर्चा को 233 सीटें मिली।
- नवम्बर 2006 : पश्चिम बंगाल में हुगली ज़िले के सिंगूर में टाटा मोटर्स की प्रस्तावित परियोजना का विरोध किया और 12 घंटे के बंद का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की।
- दिसम्बर 2006 : सिंगूर में अनिच्छुक किसानों की अधिग्रहित ज़मीन वापस लौटाने की माँग को लेकर ममता बनर्जी ने शहर में स्थित मेट्रो चैनल पर 25 दिनों की भूख हड़ताल की। यू पी ए सरकार में रेल मंत्री बनाई गई
- मार्च 14, 2007 : पश्चिमी मिदनापुर ज़िले के नंदीग्राम में पश्चिम बंगाल सरकार की भूमि अधिग्रहण योजना का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में 14 किसानों की मौत हो गई।
- 14 नवम्बर, 2007 : बंगाल में प्रख्यात बुद्धिजीवियों ने तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के साथ कोलकाता से नंदीग्राम तक एक शांति मार्च निकाला।
- मई 2008 : तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिमी मिदनापुर और दक्षिण 24 परगना की ज़िला परिषद की सीट पर क़ब्ज़ा कर लिया। यह सीट वाम मोर्चे के क़ब्ज़े में थी। तृणमूल कांग्रेस ने नंदीग्राम और सिंगूर में भी वाम मोर्चे का सफाया कर दिया।
- अपने चुनाव अभियान के लिए पैसा जुटाने के लिए ममता बनर्जी काफ़ी व्यस्त रहीं। वर्ष 2007 और 2008 में अपने तैल चित्रों की बिक्री कर चार लाख और 15 लाख रुपये कमाये और इसे दान कर दिया।
- 2009 : कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने एक साथ मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ा। तृणमूल को पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 26 पर जीत हासिल हुई। ममता एक बार फिर रेल मंत्री बनीं।
- जून 2010 : नगर निगम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता नगर निगम पर अपना परचम लहराया। कोलकाता नगर निगम पर तृणमूल कांग्रेस ने 62 सीटों के अंतर से कब्ज़ा जमाया।
- 18 मार्च, 2011 : ममता ने कांग्रेस के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव लड़ा।
- 13 मई, 2011 : विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस गठबंधन ने राज्य की 294 सीटों में से 227 पर अपना परचम लहराया।
- मई 20, 2011 : ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।[1]
- 26 मई, 2016 : दूसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं।
संवेदनशील कवयित्री
बंगाल के जनमानस में ‘पोरीबोर्तन’ का सपना भरने वाली, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के जीवन का एक अनजाना पहलू यह भी है कि, वे एक संवेदनशील कवयित्री हैं। उनकी कविताओं में भी ‘बदरंग’ हो चुकी राजनीति के ‘पोरीबर्तन’ (बदलाव) की छटपटाहट है और साथ-साथ इसकी इस आशय की हुंकार भी है। सुश्री बनर्जी की इस आशय की कविता ‘राजनीति’ इसी मनोव्यथा को दर्शाती है और ख़ासी चर्चित है।[1]
‘राजनीति’ एक शब्द, जिससे मन में कभी जागता था श्रद्धाभाव
अब हो गये हैं इसके मायने बड़ा कारोबार
पार्टी के दफ़्तर बन गये हैं बाज़ार
सच, राजनीति बनकर रह गयी है ‘गंदा खेल’
‘राजनीति’ जो होनी चाहिए थी सिद्धांतों और मूल्यों का पर्याय
समय ने बदला है इसका अर्थ अब है यह है अपराध की पाठशाला
नहीं बीता है बहुत वक़्त जब राजनीति की कुंजी थी ‘जनशक्ति’
अफ़सोस, अब इसके मायने हो गये हैं ‘धनशक्ति’
भरोसा, ईमानदारी, निष्ठा है ये शब्द बेहद नेक, बेहद पाक
लेकिन गायब होते जा रहे हैं धीरे-धीरे अब ये राजनीति के शब्दकोष से
‘राजनीति है जनसेवा, देशसेवा’ बनती जा रही हैं ये सब बातें
अब भूली-बिसरी-सी यादें
राजनीति तो है आज ग्लैमर और फैशन
‘सच’ ग्लैमर और फैशन
बदलने ही होंगे हमें ये हालात, बदलनी होगी राजनीति की बदरंग तस्वीर
कहीं ऐसा न हो हिमालय कि यह गंगा
गंदगी के भंवरजाल में डूब जाये, समा जाए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 ममता बनर्जी के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाएं (हिन्दी) (पी.एच.पी.) moneycontrol.com। अभिगमन तिथि: 23 मई, 2011।
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