सैयद अली: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:15, 13 October 2021
सैयद अली (अंग्रेज़ी: ''Syed Ali, जन्म- 10 जुलाई, 1942; मृत्यु- 2 मार्च, 2010) भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी थे। वह पुरुषों की उस हॉकी टीम के सदस्य थे जिसने सन 1964 के टोक्यो ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था।
निस्वार्थ सेवा
लखनऊ के चंद्रभानु गुप्त मैदान में पूर्व ओलंपियन सैयद अली अपनी नर्सरी में खिलाडि़यों को इस मकसद से तराशते और निखारते हैं कि वे किसी दिन देश के लिए खेल सके और हॉकी के फिर से सुनहरे दिन ला सकें। सैयद अली की नर्सरी से कई खिलाड़ी देश के लिए खेल भी चुके हैं। 33 साल से अनवरत जारी उनका प्रयास देश की निस्वार्थ सेवा का अप्रतिम उदाहरण है। महान हॉकी खिलाड़ी के.डी. सिंह बाबू की धरती पर उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे सैयद अली की नजर में वह कुछ खास नहीं कर रहे। वह बस इतना ही कहते हैं, 'जो इस खेल से मिला है, बस वही लौटा रहा हूं।'[1]
लखनऊ आगमन
भारत के लिए कई अंतराराष्ट्रीय हॉकी मैच खेल चुके सैयद अली के लखनऊ आने की कहानी भी बड़ी रोचक है। नैनीताल में उनकी कपड़े की सिलाई की दुकान थी। वहीं पर के.डी. सिंह बाबू ने उन्हें स्थानीय प्रतियोगिता में खेलते देखा तो लखनऊ ले आए। के.डी. सिंह ओलंपिक में 1948 (लंदन) और 1952 (हेलसिंकी) में हॉकी में गोल्ड जीतने वाली टीम में सदस्य थे। 1952 में तो वह टीम के उपकप्तान भी थे। यह के.डी. सिंह की प्रतिभा परखने की नजर ही थी, जिसने प्रशिक्षण देकर सैयद अली को 1976 की मॉन्टि्रयल ओलंपिक टीम तक पहुंचाया। सैयद अली ने देश को कई यादगार क्षण दिए। आज भले ही वह खेल से रिटायर हो गए हैं, लेकिन वह पहले भी ज्यादा सक्रिय हैं। स्टेट बैंक में नौकरी कर रहे सैयद छुट्टी मिलते ही सीधे चंद्रभानु गुप्त मैदान पर पहुंच जाते हैं और हॉकी की प्रतिभाओं को तराशते हैं।
प्रशिक्षित खिलाड़ी
बिना सरकारी मदद के चलने वाली सैयद अली की नर्सरी में दाखिले के लिए शुल्क नहीं, हॉकी के लिए केवल जुनून की जरूरत होती है। इसी के सहारे इस नर्सरी से ललित उपाध्याय, आमिर, हरिकृपाल, राहुल शिल्पकार, सौरभ, विजय थापा, विवेकधर, अमित प्रभाकर, सिद्धार्थ शंकर, दीपक सिंह, शारदानंद तिवारी, कुमारी कमला रावत, कविता मौर्या और कमलेश जैसे खिलाड़ी इंडिया कैंप तक पहुंचे। कमल थापा, वीरबहादुर, अविनाश, मो. रफीक, कुमारी फरहा, अभिमन्यु, कवि यादव, विजय कुमार, प्रशांत कबीर, शुभम वर्मा, राहुल वर्मा, अंकित कुमार, आकाश यादव, सौरभ यादव, गौरव यादव राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके हैं।[1]
सुजीत कुमार का योगदान
पद्म श्री जमन लाल शर्मा के साथ सैयद अली ने बच्चों को हॉकी सिखाना शुरू किया था। अधिकतर बच्चे गरीब घरों के थे। उनके पास हॉकी और जूते तक खरीदने की क्षमता नहीं थी। खेल के प्रति अपने जुनून के चलते सैयद अली ने बच्चों की जरुरतें पूरी करने लगे। सैयद अली के संघर्ष को देखकर कुछ साथियों ने हाथ बढ़ाया। इनमें से एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सुजीत कुमार आज तक गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में मदद कर रहे हैं। सैयद अली सुजीत कुमार के सहयोग का जिक्र करने के साथ इसके लिए उनका आभार जताने से नहीं चूकते।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अपनी नर्सरी में हॉकी खिलाडि़यों को तराश रहे पूर्व ओलंपियन सैयद अली (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2021।