मणिमेखलै: Difference between revisions
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*'मणिमेखलै' साक्षात् देवी के समान जनता के लिए आम-सुखों का त्याग करती है। | *'मणिमेखलै' साक्षात् देवी के समान जनता के लिए आम-सुखों का त्याग करती है। | ||
*इस महाकाव्य में मानवीय संवेदनाओं को झलकाते हुए मानवता को | *इस महाकाव्य में मानवीय संवेदनाओं को झलकाते हुए मानवता को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। | ||
*'मणिमैखलै' से सम्बन्धित कुछ परवर्ती रचनाओं में | *'मणिमैखलै' से सम्बन्धित कुछ परवर्ती रचनाओं में महत्त्वपूर्ण है - 'भारतीदासन् कृत ‘मणिमेखलै वेण्वा’। | ||
*इसमें 'मणिमेखलै' एवं 'माधवी' के चरित्र को उभारा गया है। | *इसमें 'मणिमेखलै' एवं 'माधवी' के चरित्र को उभारा गया है। | ||
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Latest revision as of 13:45, 21 March 2014
- मणिमेखलै महाकाव्य की रचना मदुरा के एक बौद्ध धर्म को मानने वाले व्यापारी 'सीतलै सत्तनार' ने की थी।
- इस महाकाव्य की रचना 'शिलप्पादिकारम' के बाद की गयी।
- ऐसी मान्यता है कि, जहाँ पर 'शिलप्पादिकारम' की कहानी ख़त्म होती है, वहीं से 'मणिमेखलै' की कहानी प्रारम्भ होती है।
- 'सत्तनार' कृत इस महाकाव्य की नायिका ‘मणिमेखलै’, 'शिलप्पादिकारम' के नायक 'कोवलन्' की दूसरी पत्नी 'माधवी वेश्या' की पुत्री थी।
- 'मणिमेखलै' साक्षात् देवी के समान जनता के लिए आम-सुखों का त्याग करती है।
- इस महाकाव्य में मानवीय संवेदनाओं को झलकाते हुए मानवता को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
- 'मणिमैखलै' से सम्बन्धित कुछ परवर्ती रचनाओं में महत्त्वपूर्ण है - 'भारतीदासन् कृत ‘मणिमेखलै वेण्वा’।
- इसमें 'मणिमेखलै' एवं 'माधवी' के चरित्र को उभारा गया है।
- 'मणिमेखलै' में एक नर्तकी के बौद्ध भिक्षुणी में परिवर्तित होने की कथा मिलती है।
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