पद्मनंदि द्वितीय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''पद्मनंदि द्वितीय''' संस्कृत ग्रन्थकार के रूप में व...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 12: Line 12:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{जैन धर्म}}
{{जैन धर्म}}{{जैन धर्म2}}
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:जैन धर्म]][[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 13:41, 21 March 2014

पद्मनंदि द्वितीय संस्कृत ग्रन्थकार के रूप में विशिष्ट रूप से उल्लेखनीय हैं। जैन सम्प्रदाय में पद्मनंदि नाम से अनेक सत्पुरुष हुए हैं, और वे सभी सम्मानित हैं। लेकिन पद्मनंदि द्वितीय ने इनमें अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र कोल्हापुर तथा मिरज रहा है।

  • पद्मनंदि के गुरु का नाम 'वीरनंदि' था।
  • ग्रन्थकार पद्मनंदि का समय ई. 11वीं शती माना जाता है।
  • इनकी प्रमुख रचनाओं में 'पद्मनंदि पंचविंशतिका' महत्त्वपूर्ण है।
  • इस रचना में धर्मोपदेशामृत (198 पद्म), दानोपदेशन (54 पद्म), उपासक संस्कार (12 पद्म), देशव्रतोद्योतन (27 पद्म), सद्बोधचन्द्रोदय (50 पद्म), आदि 26 विषयों का सुन्दर वर्णन मिलता है।
  • इस ग्रन्थ के कन्नड़ टीकाकार भी पद्मनंदि हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 468 |


संबंधित लेख