मुहल्ला बड़ागणेश अखाड़ा, वाराणसी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
अंशुल सुधाकर (talk | contribs) ('हरिश्चन्द्र कालेज की पश्चिमी-दीवार से होती हुई गली ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " करीब" to " क़रीब") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
हरिश्चन्द्र कालेज की पश्चिमी-दीवार से होती हुई गली में कुछ कदम पर मुहल्ला बड़ागणेश में यह अखाड़ा है। इसके संस्थापक नरसिंह चौतरा के महन्त शालिग्राम थे। बाहर से आने वाले तमाम नामी पहलवानों का जमावड़ा यहाँ होता था। यहाँ के निर्देशक विन्देश्वरी शुक्ल की लड़ाई [[गोरखपुर]] के किताबू नट, [[कानपुर]] के अद्धा तथा उमानाथ से हुई थी। मशहूर पहलवान खड़गा सिंह इन्हीं का शिष्य था। [[वाराणसी]] के शिवमूरत तथा मंगलाराय इनकी छत्रछाया में पले। बुद्धू और कल्लू ने यहाँ तहलका मचा दिया था। जहूर, साधो, बोधा, सुमेर, सर्वजीत, भैयालाल, फक्कड़, चमाँव, झिंगुरी आदि नामी पहलवानों से कुश्तियाँ हुई। कृष्णकुमार और मंगलाराय ने | हरिश्चन्द्र कालेज की पश्चिमी-दीवार से होती हुई गली में कुछ कदम पर मुहल्ला बड़ागणेश में यह अखाड़ा है। इसके संस्थापक नरसिंह चौतरा के महन्त शालिग्राम थे। बाहर से आने वाले तमाम नामी पहलवानों का जमावड़ा यहाँ होता था। यहाँ के निर्देशक विन्देश्वरी शुक्ल की लड़ाई [[गोरखपुर]] के किताबू नट, [[कानपुर]] के अद्धा तथा उमानाथ से हुई थी। मशहूर पहलवान खड़गा सिंह इन्हीं का शिष्य था। [[वाराणसी]] के शिवमूरत तथा मंगलाराय इनकी छत्रछाया में पले। बुद्धू और कल्लू ने यहाँ तहलका मचा दिया था। जहूर, साधो, बोधा, सुमेर, सर्वजीत, भैयालाल, फक्कड़, चमाँव, झिंगुरी आदि नामी पहलवानों से कुश्तियाँ हुई। कृष्णकुमार और मंगलाराय ने काफ़ी नाम कमाया। सिगरा के कृष्णानन्द ने कई कुश्तियाँ लड़ी और जीती। यह अखाड़ा क़रीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व स्थापित हुआ था।<ref>{{cite web |url=http://www.kashikatha.com/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%A4/%E0%A4%85%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81/ |title= अखाड़े/व्यायामशालाएँ|accessmonthday=19 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=काशीकथा |language=हिंदी }}</ref> | ||
Latest revision as of 14:09, 16 November 2014
हरिश्चन्द्र कालेज की पश्चिमी-दीवार से होती हुई गली में कुछ कदम पर मुहल्ला बड़ागणेश में यह अखाड़ा है। इसके संस्थापक नरसिंह चौतरा के महन्त शालिग्राम थे। बाहर से आने वाले तमाम नामी पहलवानों का जमावड़ा यहाँ होता था। यहाँ के निर्देशक विन्देश्वरी शुक्ल की लड़ाई गोरखपुर के किताबू नट, कानपुर के अद्धा तथा उमानाथ से हुई थी। मशहूर पहलवान खड़गा सिंह इन्हीं का शिष्य था। वाराणसी के शिवमूरत तथा मंगलाराय इनकी छत्रछाया में पले। बुद्धू और कल्लू ने यहाँ तहलका मचा दिया था। जहूर, साधो, बोधा, सुमेर, सर्वजीत, भैयालाल, फक्कड़, चमाँव, झिंगुरी आदि नामी पहलवानों से कुश्तियाँ हुई। कृष्णकुमार और मंगलाराय ने काफ़ी नाम कमाया। सिगरा के कृष्णानन्द ने कई कुश्तियाँ लड़ी और जीती। यह अखाड़ा क़रीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व स्थापित हुआ था।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।
संबंधित लेख