आयुध सर्ब समर्पि कै प्रभु: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
<h4 style="text-align:center;">रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : विश्वामित्र की यज्ञ रक्षा</h4>
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg

Latest revision as of 14:18, 24 July 2016

रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड) : विश्वामित्र की यज्ञ रक्षा

आयुध सर्ब समर्पि कै प्रभु
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

आयुध सर्ब समर्पि कै प्रभु निज आश्रम आनि।
कंद मूल फल भोजन दीन्ह भगति हित जानि॥ 209॥

भावार्थ-

सब अस्त्र-शस्त्र समर्पण करके मुनि प्रभु राम को अपने आश्रम में ले आए और उन्हें परम हितू जानकर भक्तिपूर्वक कंद, मूल और फल का भोजन कराया॥ 209॥


left|30px|link=तब रिषि निज नाथहि जियँ चीन्ही|पीछे जाएँ आयुध सर्ब समर्पि कै प्रभु right|30px|link=प्रात कहा मुनि सन रघुराई|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख