जिन्ह जिन्ह देखे पथिक: Difference between revisions

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प्यारे पथिक [[सीता|सीताजी]] सहित दोनों भाइयों को जिन-जिन लोगों ने देखा, उन्होंने भव का अगम मार्ग (जन्म-मृत्यु रूपी संसार में भटकने का भयानक मार्ग) बिना ही परिश्रम आनंद के साथ तय कर लिया (अर्थात वे आवागमन के चक्र से सहज ही छूटकर मुक्त हो गए)॥123॥
प्यारे पथिक [[सीता|सीताजी]] सहित दोनों भाइयों को जिन-जिन लोगों ने देखा, उन्होंने भव का अगम मार्ग (जन्म-मृत्यु रूपी संसार में भटकने का भयानक मार्ग) बिना ही परिश्रम आनंद के साथ तय कर लिया (अर्थात् वे आवागमन के चक्र से सहज ही छूटकर मुक्त हो गए)॥123॥


{{लेख क्रम4| पिछला= राम लखन सिय प्रीति सुहाई  |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=  अजहुँ जासु उर सपनेहुँ काऊ}}
{{लेख क्रम4| पिछला= राम लखन सिय प्रीति सुहाई  |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=  अजहुँ जासु उर सपनेहुँ काऊ}}

Latest revision as of 07:48, 7 November 2017

जिन्ह जिन्ह देखे पथिक
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
दोहा

जिन्ह जिन्ह देखे पथिक प्रिय सिय समेत दोउ भाइ।
भव मगु अगमु अनंदु तेइ बिनु श्रम रहे सिराइ॥123॥

भावार्थ

प्यारे पथिक सीताजी सहित दोनों भाइयों को जिन-जिन लोगों ने देखा, उन्होंने भव का अगम मार्ग (जन्म-मृत्यु रूपी संसार में भटकने का भयानक मार्ग) बिना ही परिश्रम आनंद के साथ तय कर लिया (अर्थात् वे आवागमन के चक्र से सहज ही छूटकर मुक्त हो गए)॥123॥


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दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।





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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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