आयंगर योग: Difference between revisions
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'''आयंगर योग''' की सृष्टि प्रसिद्ध भारतीय योगाचार्य [[बी. के. एस. आयंगर]] द्वारा की गई थी। बी. के. एस. आयंगर ने कई अनुसंधानों के बाद इस [[योग]] के तरीकों का आविष्कार किया था। योग अभ्यास आठ पहलुओं (अष्टांग योग) पर आधारित होते हैं। बी. के. एस. आयंगर द्वारा आविष्कृत तथा लोकप्रियता के कारण ही इस योग का नाम 'आयंगर योग' पड़ गया। | '''आयंगर योग''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Iyengar Yoga'')की सृष्टि प्रसिद्ध भारतीय योगाचार्य [[बी. के. एस. आयंगर]] द्वारा की गई थी। बी. के. एस. आयंगर ने कई अनुसंधानों के बाद इस [[योग]] के तरीकों का आविष्कार किया था। योग अभ्यास आठ पहलुओं (अष्टांग योग) पर आधारित होते हैं। बी. के. एस. आयंगर द्वारा आविष्कृत तथा लोकप्रियता के कारण ही इस योग का नाम 'आयंगर योग' पड़ गया। | ||
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आयंगर योग में 200 योग आसन और 14 प्राणायम हैं, जो क्रमानुसार सरल से जटिलतर होते जाते हैं। आयंगर योग में दूसरे योग के सापेक्ष निम्न विभिन्नताएँ पाई जाती हैं- | आयंगर योग में 200 योग आसन और 14 प्राणायम हैं, जो क्रमानुसार सरल से जटिलतर होते जाते हैं। आयंगर योग में दूसरे योग के सापेक्ष निम्न विभिन्नताएँ पाई जाती हैं- | ||
'''आसन के जटिल तरीके''' - दूसरे योग की तुलना में आयंगर योग को करने के लिए ज़्यादा कुशलता की ज़रूरत होती है। इन आसनों को करने के लिए शरीर में ज्यादा लचीलेपन और तंंदुरूस्ती की ज़रूरत होती है। | |||
'''आसन की लंबी अवधि''' - दूसरे आसनों की तुलना में इन आसनों को देर तक करने पर ही शरीर को पूरी तरह से इससे लाभ मिल सकता है। | |||
'''प्राणायाम की तुलना''' - दूसरे योग में आसनों का अभ्यास शुरू करते ही व्यक्ति प्राणायाम भी करने लगते हैं, लेकिन आयंगर योग में यह संभव नहीं है। जब तक व्यक्ति आसनों की पद्धतियों को अच्छी तरह से सीख न ले, तब तक वह प्राणायम को नहीं कर सकता है; क्योंकि प्राणायाम करने के लिए मन और साँसों पर नियंत्रण होने के साथ देर तक बैठने की भी ज़रूरत होती है। | |||
'''सहायक चीजों का आविष्कार''' - [[योग]] को सही तरीके से करने के लिए [[बी. के. एस. आयंगर]] ने कुछ सहायक चीजों, जैसे- ब्लॉक, बेल्ट, रस्सी, लकड़ी की कुछ चीजों को बनाया था, जो आयंगर योग को दूसरे योग से अलग करता है। आयंगर योग में सही तरह से आसनों को करने पर जोर दिया जाता है, जिससे शरीर को हर अंग को इससे लाभ मिल सके। | |||
'''आसनों का निर्दिष्ट क्रम''' - योग के अलग-अलग प्रकार के आसनों का क्रम भी अलग-अलग ही होता है। हर आसन के क्रम का शरीर के अंग के साथ संबंध होता है, इसलिए आसनों को निर्दिष्ट क्रम से ही करना ज़रूरी होता है, नहीं तो शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।<ref name="aa"/> | |||
Latest revision as of 08:31, 28 December 2016
आयंगर योग
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विवरण | 'आयंगर योग' भारत के प्रसिद्ध योग गुरु बी. के. एस. आयंगर द्वारा आविष्कृत योग का ही एक प्रकार है। कई अनुसंधानों के बाद इस योग के तरीकों का आविष्कार किया था। |
नामकरण | बी. के. एस. आयंगर द्वारा आविष्कृत तथा लोकप्रियता के कारण ही इस योग का नाम 'आयंगर योग' पड़ गया। |
विशेष | आयंगर योग के आसन और प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए उसकी मुद्राओं तथा अवस्थाओं पर ध्यान देना सबसे आवश्यक होता है। |
संबंधित लेख | योग, योग का इतिहास, बी. के. एस. आयंगर, बाबा रामदेव |
अन्य जानकारी | योग गुरु बी. के. एस. आयंगर ने आसनों को सही तरह से करने के लिए कुछ सहायक चीजों का आविष्कार किया था, जैसे- ब्लॉक, बेल्ट, रस्सी और लकड़ी की बनी चीजें आदि। |
आयंगर योग (अंग्रेज़ी: Iyengar Yoga)की सृष्टि प्रसिद्ध भारतीय योगाचार्य बी. के. एस. आयंगर द्वारा की गई थी। बी. के. एस. आयंगर ने कई अनुसंधानों के बाद इस योग के तरीकों का आविष्कार किया था। योग अभ्यास आठ पहलुओं (अष्टांग योग) पर आधारित होते हैं। बी. के. एस. आयंगर द्वारा आविष्कृत तथा लोकप्रियता के कारण ही इस योग का नाम 'आयंगर योग' पड़ गया।
योगाचार्य बी. के. एस. आयंगर
- REDIRECTसाँचा:मुख्य
बी. के. एस. आयंगर ने 'आयंगर योग' की सृष्टि की थी। उन्होंने योग की पहली शिक्षा अपने गुरु तीरूमलाई कृष्णामाचार्य से ली थी, जो सौभाग्यवश उनके रिश्तेदार भी थे। योग की शिक्षा के बाद उन्हें योग इतना प्रिय हो गया कि वे इस ज्ञान को अपने तक सीमित न रख कर सब में बाँट देना चाहते थे। इस इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने लंदन, स्वीट्जरलैंड, पेरिस और कई देशों की यात्रा की और योग का प्रचार किया।[1]
क्या है 'आयंगर योग'
आयंगर योग की सृष्टि स्वर्गीय योग गुरु बी. के. एस. आयंगर ने की थी। उन्होंने कई अनुसंधानों के बाद इस योग के तरीकों का आविष्कार किया था। योग अभ्यास आठ पहलुओं (अष्टांग योग) पर आधारित होते हैं। लोकप्रियता के कारण इस योग का नाम आयंगर योग पड़ गया। आयंगर योग के आसन और प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए उसके मुद्रा/अवस्था पर ध्यान देना सबसे ज़रूरी होता है। योग गुरु बी. के. एस. आयंगर ने आसनों को सही तरह से करने के लिए कुछ सहायक चीजों का आविष्कार किया था, जैसे- ब्लॉक, बेल्ट, रस्सी और लकड़ी की बनी चीजें आदि। योग को सही मुद्रा में करने के लिए व्यक्ति के शरीर का संरचनात्मक ढांचा सही रूप में होना ज़रूरी होता है। उनका मानना था कि अगर आसन को सही तरह से किया जाय तो शरीर और मन को नियंत्रण में रखा जा सकता है, जिससे शरीर स्वस्थ तो रहता ही है, साथ ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता शरीर में बढ़ जाती है।
अन्य योगों से विभिन्नता
आयंगर योग में 200 योग आसन और 14 प्राणायम हैं, जो क्रमानुसार सरल से जटिलतर होते जाते हैं। आयंगर योग में दूसरे योग के सापेक्ष निम्न विभिन्नताएँ पाई जाती हैं-
आसन के जटिल तरीके - दूसरे योग की तुलना में आयंगर योग को करने के लिए ज़्यादा कुशलता की ज़रूरत होती है। इन आसनों को करने के लिए शरीर में ज्यादा लचीलेपन और तंंदुरूस्ती की ज़रूरत होती है।
आसन की लंबी अवधि - दूसरे आसनों की तुलना में इन आसनों को देर तक करने पर ही शरीर को पूरी तरह से इससे लाभ मिल सकता है।
प्राणायाम की तुलना - दूसरे योग में आसनों का अभ्यास शुरू करते ही व्यक्ति प्राणायाम भी करने लगते हैं, लेकिन आयंगर योग में यह संभव नहीं है। जब तक व्यक्ति आसनों की पद्धतियों को अच्छी तरह से सीख न ले, तब तक वह प्राणायम को नहीं कर सकता है; क्योंकि प्राणायाम करने के लिए मन और साँसों पर नियंत्रण होने के साथ देर तक बैठने की भी ज़रूरत होती है।
सहायक चीजों का आविष्कार - योग को सही तरीके से करने के लिए बी. के. एस. आयंगर ने कुछ सहायक चीजों, जैसे- ब्लॉक, बेल्ट, रस्सी, लकड़ी की कुछ चीजों को बनाया था, जो आयंगर योग को दूसरे योग से अलग करता है। आयंगर योग में सही तरह से आसनों को करने पर जोर दिया जाता है, जिससे शरीर को हर अंग को इससे लाभ मिल सके।
आसनों का निर्दिष्ट क्रम - योग के अलग-अलग प्रकार के आसनों का क्रम भी अलग-अलग ही होता है। हर आसन के क्रम का शरीर के अंग के साथ संबंध होता है, इसलिए आसनों को निर्दिष्ट क्रम से ही करना ज़रूरी होता है, नहीं तो शरीर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 बी.के.एस. आयंगर और उनका आयंगर योग (हिंदी) thehealthsite.com। अभिगमन तिथि: 28 दिसम्बर, 2016।