तंजावुर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[चित्र:Brihadeeshwara-Temple-Tanjore.jpg|thumb|250px|बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर]]
[[चित्र:Brihadeeshwara-Temple-Tanjore.jpg|thumb|250px|[[बृहदेश्वर मंदिर]], तंजौर]]
तंजावुर अथवा तंजौर [[तंजावुर ज़िला|तंजावुर ज़िले]] का प्रशासिक मुख्यालय है जो [[तमिलनाडु]] राज्य, दक्षिण-पूर्वी भारत, कावेरी डेल्टा में स्थित है। नौवीं से ग्याहरवीं शताब्दी तक [[चोल साम्राज्य|चोलों]] की आरंभिक राजधानी तंजौर, [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]], [[मराठा साम्राज्य|मराठा]] तथा ब्रिटिश काल के दौरान भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण रहा। अब यह एक पर्यटक स्थल है और इसके आकर्षणों में बृहदीश्वर चोल मंदिर, विजयनगर क़िला और मराठा राजकुमार सरफ़ोजी का महल शामिल है। कपास मिल, पारंपरिक हथकरघा और वीणा निर्माण यहां की प्रमुख औद्योगिक गतिविधियां हैं। तमिलनाडु के पूर्वी [[मध्यकाल]] में तंजौर या तंजावुर नगरी [[चोल साम्राज्य]] की राजधानी के रूप में काफ़ी विख्यात थी। तंजौर को मन्दिरों की नगरी कहना उपयुक्त होगा क्योंकि यहाँ पर 75 छोटे-बड़े मन्दिर हैं।  
तंजावुर अथवा तंजौर [[तंजावुर ज़िला|तंजावुर ज़िले]] का प्रशासिक मुख्यालय है जो [[तमिलनाडु]] राज्य, दक्षिण-पूर्वी भारत, कावेरी डेल्टा में स्थित है। नौवीं से ग्याहरवीं शताब्दी तक [[चोल साम्राज्य|चोलों]] की आरंभिक राजधानी तंजौर, [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]], [[मराठा साम्राज्य|मराठा]] तथा ब्रिटिश काल के दौरान भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण रहा। अब यह एक पर्यटक स्थल है और इसके आकर्षणों में बृहदीश्वर चोल मंदिर, विजयनगर क़िला और मराठा राजकुमार सरफ़ोजी का महल शामिल है। कपास मिल, पारंपरिक हथकरघा और वीणा निर्माण यहां की प्रमुख औद्योगिक गतिविधियां हैं। तमिलनाडु के पूर्वी [[मध्यकाल]] में तंजौर या तंजावुर नगरी [[चोल साम्राज्य]] की राजधानी के रूप में काफ़ी विख्यात थी। तंजौर को मन्दिरों की नगरी कहना उपयुक्त होगा क्योंकि यहाँ पर 75 छोटे-बड़े मन्दिर हैं।  
==स्थिति==
==स्थिति==
Line 15: Line 15:
;हवाई मार्ग
;हवाई मार्ग
यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा त्रिची है जो यहाँ से 65 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा [[चैन्नई]] के रास्ते भी यहाँ पहुँच सकते हैं।
यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा त्रिची है जो यहाँ से 65 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा [[चैन्नई]] के रास्ते भी यहाँ पहुँच सकते हैं।
[[चित्र:Thanjavur-Brihadeeshwar-Temple.jpg|thumb|250px|बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर]]  
[[चित्र:Thanjavur-Brihadeeshwar-Temple.jpg|thumb|250px|[[बृहदेश्वर मंदिर]], तंजौर]]  
;सड़क मार्ग
;सड़क मार्ग
तंजावुर तमिलनाडु के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त [[कोच्चि]], एर्नाकुलम, [[तिरुवनंतपुरम]] और [[बैंगलोर]] से यहाँ सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
तंजावुर तमिलनाडु के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त [[कोच्चि]], एर्नाकुलम, [[तिरुवनंतपुरम]] और [[बैंगलोर]] से यहाँ सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।

Revision as of 12:00, 28 August 2012

[[चित्र:Brihadeeshwara-Temple-Tanjore.jpg|thumb|250px|बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर]] तंजावुर अथवा तंजौर तंजावुर ज़िले का प्रशासिक मुख्यालय है जो तमिलनाडु राज्य, दक्षिण-पूर्वी भारत, कावेरी डेल्टा में स्थित है। नौवीं से ग्याहरवीं शताब्दी तक चोलों की आरंभिक राजधानी तंजौर, विजयनगर, मराठा तथा ब्रिटिश काल के दौरान भी समान रूप से महत्त्वपूर्ण रहा। अब यह एक पर्यटक स्थल है और इसके आकर्षणों में बृहदीश्वर चोल मंदिर, विजयनगर क़िला और मराठा राजकुमार सरफ़ोजी का महल शामिल है। कपास मिल, पारंपरिक हथकरघा और वीणा निर्माण यहां की प्रमुख औद्योगिक गतिविधियां हैं। तमिलनाडु के पूर्वी मध्यकाल में तंजौर या तंजावुर नगरी चोल साम्राज्य की राजधानी के रूप में काफ़ी विख्यात थी। तंजौर को मन्दिरों की नगरी कहना उपयुक्त होगा क्योंकि यहाँ पर 75 छोटे-बड़े मन्दिर हैं।

स्थिति

वर्तमान में यह नगर चैन्नई से लगभग 218 मील दक्षिण-पश्चिम में कावेरी नदी के तट पर स्थित है।

इतिहास

चोल वंश ने 400 वर्ष से भी अधिक समय तक तमिलनाडु पर राज किया। इस दौरान तंजावुर ने बहुत उन्नति की। इसके बाद नायक और मराठों ने यहाँ शासन किया। वे कला और संस्कृति के प्रशंसक थे। कला के प्रति उनका लगाव को उनके द्वारा बनवाई गई उत्‍कृष्‍ट इमारतों से साफ झलकता है।

मन्दिर

तंजौर चोल शासक राजराज (985-1014 ई.) द्वारा निर्मित भव्य वृहदेश्वर मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। इसका शिखर 190 फुट ऊँचा है। शिखर पर पहुँचने के लिए 14 मंज़िले हैं। यह मन्दिर भारतीय स्थापत्य का अदभुत नमूना है। यह चारों ओर से लम्बी परिखा से परिवेष्ठित है। इसमें एक विशाल शिवलिंग है। पत्थर का बनाया गया एक विशाल नंदी मन्दिर के सामने प्रतिष्ठित है। मन्दिर में विशाल तोरण एवं मण्डप हैं। यह वृहद् भवन आधार से चोटी तक नक़्क़ाशी और अलंकृत ढाँचों से सुसज्जित हैं। यह मन्दिर अन्य सहायक मन्दिरों के साथ एक प्रांगण के केन्द्र में स्थित है, किंतु सम्पूर्ण क्षेत्र उच्च शिखर द्वारा प्रभावित है। इसे राजराजेश्वर मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है।

चोल शासक

चोल शासकों के हाथों से कालांतर में तंजौर होयसल एवं पांड्य राज्यों के शासनाधीन हो गया। अलाउद्दीन ख़िलजी के नायक मलिक काफ़ूर ने इस पर आक्रमण कर लूटा। तदनंतर तंजौर विजय नगर साम्राज्य का अंग बन गया 16वीं शताब्दी में यहाँ नायक वंश ने अपना राज्य स्थापित कर लिया। फिर 1674ई. में मराठों ने इस पर अधिकार कर लिया। यहाँ से विभिन्न शासकों के अभिलेख, मुद्राएँ आदि प्राप्त हुई हैं। होयसल नरेश सोमेश्वर एवं रामनाथ के अभिलेख तंजौर से प्राप्त हुए हैं।

शिक्षा

तंजावुर में मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध आठ महाविद्यालय हैं।

परिवहन

हवाई मार्ग

यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा त्रिची है जो यहाँ से 65 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा चैन्नई के रास्ते भी यहाँ पहुँच सकते हैं। [[चित्र:Thanjavur-Brihadeeshwar-Temple.jpg|thumb|250px|बृहदेश्वर मंदिर, तंजौर]]

सड़क मार्ग

तंजावुर तमिलनाडु के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त कोच्चि, एर्नाकुलम, तिरुवनंतपुरम और बैंगलोर से यहाँ सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।

रेल मार्ग

तंजावुर का रेलवे जंक्शन त्रिची, चेन्नई और नागौर से सीधी रेलसेवा द्वारा जुड़ा हुआ है।

पर्यटन

ब्रगदीश्वर मंदिर

यह मंदिर भारतीय शिल्प और वास्तुकला का अदभूत उदाहरण है। मंदिर के दो तरफ खाई है और एक ओर अनाईकट नदी बहती है। अन्य मंदिरों से अलग इस मंदिर में गर्भगृह के ऊपर बड़ी मीनार है जो 216 फुट ऊंची है। मीनार के ऊपर कांसे का स्तूप है। मंदिर की दीवारों पर चोल और नायक काल के चित्र बने हैं जो अजंता की गुफाओं की याद दिलाते हैं। मंदिर के अंदर नंदी बैल की विशालकाय प्रतिमा है। यह मूर्ति 12 फीट ऊंची है और इसका वजन 25 टन है।

सरस्वती महल पुस्तकालय

इस पुस्तकालय में पांडुलिपियों का महत्त्वपूर्ण संग्रह है। इसकी स्थापना 1700 ईसवी के आस-पास की गई थी। इस संग्रहालय में भारतीय और यूरोपीयन भाषाओं में लिखी हुई 44000 से ज़्यादा ताम्रपत्र और काग़ज़ की पांडुलिपियां देखने को मिलती हैं।

महल

सुंदर और भव्य इमारतों की इस श्रृंखला में से कुछ का निर्माण नायक वंश ने 1550 ई. के आसपास कराया था और कुछ का निर्माण मराठों ने कराया था। दक्षिण में आठ मंजिला गुडापुरम है जो 190 फीट ऊंचा है।

तंजावुर ज़िला

तंजावुर ज़िला 8,300 वर्ग किमी समतल मैदान, उपजाऊ कावेरी डेल्टा का एक हिस्सा है, जो देश के महत्त्वपूर्ण चावल उत्पादक क्षेत्रों में एक है, जो पाक जलडमरूमध्य और बंगाल की खाड़ी के संगम, कल्लिमेड अंतरीप (प्वांइट कैलिमेअर) पर समाप्त होता है। इस डेल्टा में कावेरी नदी से निकली नहरों से सिंचाई होती है, कई नहरें तो पिछली दस शताब्दियों से अस्तित्व में हैं। चावल, चीनी और मूंगफली यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। खाद्यान्न प्रसंस्करण यहां का प्रमुख उद्योग है। इस ज़िले में कई शहर विकसित हुए हैं, जिनमें तंजावुर, कुंबकोणम और नागापट्टिम बड़े शहर हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख