सई नदी: Difference between revisions
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हरदोई जनपद के भिजवान झील से निकली सई नदी 715 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद [[जौनपुर]] के राजघाट पर यह [[गोमती]] में मिल जाती है। पूरे सफर में सई नदी हरदोई, [[रायबरेली]], [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] और [[जौनपुर]] जनपद से होकर गुजरती है। इसमें जनपद रायबरेली में कतवारा नैया, महाराजगंज नैया, नसीराबाद नैया, बसदा, शोभ तथा प्रतापगढ़ में भैंसरा, लोनी, सकरनी, बकुलाही आदि छोटी नदियां मिलती है। चार | हरदोई जनपद के भिजवान झील से निकली सई नदी 715 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद [[जौनपुर]] के राजघाट पर यह [[गोमती]] में मिल जाती है। पूरे सफर में सई नदी हरदोई, [[रायबरेली]], [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] और [[जौनपुर]] जनपद से होकर गुजरती है। इसमें जनपद रायबरेली में कतवारा नैया, महाराजगंज नैया, नसीराबाद नैया, बसदा, शोभ तथा प्रतापगढ़ में भैंसरा, लोनी, सकरनी, बकुलाही आदि छोटी नदियां मिलती है। चार ज़िलों के 94 नाले सई में गंदगी धकेल रहे है। इसमें हरदोई के 18, प्रतापगढ़ के 24, रायबरेली के 39 तथा जौनपुर के 13 नाले शामिल है। प्रदूषण फैलाने में रायबरेली जनपद का अहम योगदान है। यहां की पांच बड़ी फैक्ट्री सई के जल में जहर घोल रही है। | ||
== सहायक नदियाँ == | ==सहायक नदियाँ== | ||
सई की प्रमुख सहायक नदी [[बकुलाही नदी|बकुलाही]] है जो कि उत्तर प्रदेश के [[रायबरेली]],[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] व [[इलाहाबाद]] मे बहती है।[[लोनी नदी|लोनी]] और [[सकरनी नदी|सकरनी]] जैसी छोटी नदियाँ सई की सहायक धाराएँ है। | सई की प्रमुख सहायक नदी [[बकुलाही नदी|बकुलाही]] है जो कि उत्तर प्रदेश के [[रायबरेली]],[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] व [[इलाहाबाद]] मे बहती है।[[लोनी नदी|लोनी]] और [[सकरनी नदी|सकरनी]] जैसी छोटी नदियाँ सई की सहायक धाराएँ है। | ||
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प्रतापगढ़ शहर में सई के जल का परीक्षण करने पर घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 3.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गयी। इसी तरह बॉयोलॉजिकल | प्रतापगढ़ शहर में सई के [[जल]] का परीक्षण करने पर घुलित [[ऑक्सीजन]] की मात्रा 3.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गयी। इसी तरह बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड 38.6 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई जबकि सामान्य जल में इसकी मात्रा दो से ढाई मिलीग्राम प्रतिलीटर होनी चाहिए। केमिकल ऑक्सीजन डिमांड भी 74.8 मिलीग्राम प्रतिलीटर मिली। दिनोंदिन सई के [[जल]] में बढ़ रहे [[प्रदूषण]] के स्तर से जलीय जीवों का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया है। चिकित्सकों की माने तो ऐसे जल में पल रही [[मछली|मछलियों]] के सेवन से लीवर, किडनी व कैंसर की बीमारियों का ख़तरा रहता है। गोमती की सहायक यह नदी अब गंदा नाला बन चुकी है। [[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] के प्रोफेसर डा. दीनानाथ शुक्ल का कहना है कि गंदे नालों के साथ ही फैक्ट्री का रासायनिक जल सई को जहरीला बना रहा है। इन पर तत्काल रोक लगने पर ही सई का अस्तित्व बच सकता है। | ||
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Revision as of 08:01, 22 August 2012
सई नदी,उत्तर पूर्व भारत मे बहने वाली एक नदी है।उत्तर प्रदेश प्रांत के रायबरेली,प्रतापगढ़,जौनपुर,उन्नाव और हरदोई जैसे कई प्रमुख ज़िलो मे बहने वाली नदी है। यह गोमती की मुख्य सहायक नदी है।
उद्गम
हरदोई जनपद के भिजवान झील से निकली सई नदी 715 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद जौनपुर के राजघाट पर यह गोमती में मिल जाती है। पूरे सफर में सई नदी हरदोई, रायबरेली, प्रतापगढ़ और जौनपुर जनपद से होकर गुजरती है। इसमें जनपद रायबरेली में कतवारा नैया, महाराजगंज नैया, नसीराबाद नैया, बसदा, शोभ तथा प्रतापगढ़ में भैंसरा, लोनी, सकरनी, बकुलाही आदि छोटी नदियां मिलती है। चार ज़िलों के 94 नाले सई में गंदगी धकेल रहे है। इसमें हरदोई के 18, प्रतापगढ़ के 24, रायबरेली के 39 तथा जौनपुर के 13 नाले शामिल है। प्रदूषण फैलाने में रायबरेली जनपद का अहम योगदान है। यहां की पांच बड़ी फैक्ट्री सई के जल में जहर घोल रही है।
सहायक नदियाँ
सई की प्रमुख सहायक नदी बकुलाही है जो कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली,प्रतापगढ़ व इलाहाबाद मे बहती है।लोनी और सकरनी जैसी छोटी नदियाँ सई की सहायक धाराएँ है।
प्रदूषण
प्रतापगढ़ शहर में सई के जल का परीक्षण करने पर घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 3.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गयी। इसी तरह बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड 38.6 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई जबकि सामान्य जल में इसकी मात्रा दो से ढाई मिलीग्राम प्रतिलीटर होनी चाहिए। केमिकल ऑक्सीजन डिमांड भी 74.8 मिलीग्राम प्रतिलीटर मिली। दिनोंदिन सई के जल में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर से जलीय जीवों का अस्तित्व लगभग खत्म हो गया है। चिकित्सकों की माने तो ऐसे जल में पल रही मछलियों के सेवन से लीवर, किडनी व कैंसर की बीमारियों का ख़तरा रहता है। गोमती की सहायक यह नदी अब गंदा नाला बन चुकी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा. दीनानाथ शुक्ल का कहना है कि गंदे नालों के साथ ही फैक्ट्री का रासायनिक जल सई को जहरीला बना रहा है। इन पर तत्काल रोक लगने पर ही सई का अस्तित्व बच सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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