रामपुर बावली: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (रामपुरबावली का नाम बदलकर रामपुर बावली कर दिया गया है) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 39: | Line 39: | ||
|अद्यतन={{अद्यतन|18:12, 6 जून 2012 (IST)}} | |अद्यतन={{अद्यतन|18:12, 6 जून 2012 (IST)}} | ||
}} | }} | ||
'''रामपुर बावली''' [[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला]] में स्थित एक पुरातन एवं ऐतिहासिक स्थान है। | |||
*[[बावली]] के कारण ही गांव का नाम भी रामपुरबावली पड़ा। पुराने समय से अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध बावली की न तो अब किसी को जरूरत है और न ही किसी को इसकी तरफ ध्यान देने की आवश्यकता महसूस होती है। | |||
*क्षेत्र की धरोहर के अस्तित्व पर संकट के बादल इस कदर छाए कि वर्तमान में यह बावली अपने जीर्णोद्धार की प्यासी नजर आती है। | *क्षेत्र की धरोहर के अस्तित्व पर संकट के बादल इस कदर छाए कि वर्तमान में यह बावली अपने जीर्णोद्धार की प्यासी नजर आती है। | ||
Line 50: | Line 49: | ||
*बावली में बने गहरे कुएं के चारो तरफ बावन कमरे हैं। लाखौरी ईटों द्वारा निर्मित यह कमरे जीर्णशीर्ण होकर खण्डहर का रूप ले चुके हैं। बावली के बगल ही चार किलोमीटर में सागर फैला हुआ है। बताते हैं कि गर्मी के दिनों में कालाकांकर रियासत के राजा हनुमत सिंह यहां आराम करने आते थे। | *बावली में बने गहरे कुएं के चारो तरफ बावन कमरे हैं। लाखौरी ईटों द्वारा निर्मित यह कमरे जीर्णशीर्ण होकर खण्डहर का रूप ले चुके हैं। बावली के बगल ही चार किलोमीटर में सागर फैला हुआ है। बताते हैं कि गर्मी के दिनों में कालाकांकर रियासत के राजा हनुमत सिंह यहां आराम करने आते थे। | ||
*बावली स्थित कुएं की विशेषता है कि इसका पानी कभी समाप्त नहीं होता। बताते हैं कि इसकी पुष्टि के लिए कई बार पानी निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सफल नहीं हुए। बावली के समीप ही ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मइयन देवी का मेला लगता है। | *बावली स्थित कुएं की विशेषता है कि इसका पानी कभी समाप्त नहीं होता। बताते हैं कि इसकी पुष्टि के लिए कई बार पानी निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सफल नहीं हुए। बावली के समीप ही [[ज्येष्ठ]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[चतुर्थी]] को मइयन देवी का मेला लगता है। | ||
*एक समय ऐसा भी था कि प्रदेश के रायबरेली, लखनऊ, कानपुर, उन्नाव सहित कई जनपदों के श्रद्धालु यहां मन्नतें मांगने आते थे। मन्नतें पूरी होने पर लोग यहां निशान लगाने के साथ ही कुएं में आभूषण आदि डालते थे। रखरखाव के अभाव में कालाकांकर रियासत की यह महत्वपूर्ण धरोहर समाप्त होने की कगार पर है। | *एक समय ऐसा भी था कि प्रदेश के [[रायबरेली]], [[लखनऊ]], [[कानपुर]], [[उन्नाव ज़िला|उन्नाव]] सहित कई जनपदों के श्रद्धालु यहां मन्नतें मांगने आते थे। मन्नतें पूरी होने पर लोग यहां निशान लगाने के साथ ही कुएं में [[आभूषण]] आदि डालते थे। रखरखाव के अभाव में कालाकांकर रियासत की यह महत्वपूर्ण धरोहर समाप्त होने की कगार पर है। | ||
Line 63: | Line 62: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}{{बावली}} | {{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}{{बावली}} | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]] | |||
[[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Revision as of 14:18, 23 November 2012
रामपुर बावली
| |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | प्रतापगढ़ |
मार्ग स्थिति | लालगंज तहसील मुख्यालय से 11कि.मी. की दूरी पर स्थित है। |
भाषा | हिंदी, अंग्रेजी |
अद्यतन | 18:12, 6 जून 2012 (IST)
|
रामपुर बावली उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िला में स्थित एक पुरातन एवं ऐतिहासिक स्थान है।
- बावली के कारण ही गांव का नाम भी रामपुरबावली पड़ा। पुराने समय से अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध बावली की न तो अब किसी को जरूरत है और न ही किसी को इसकी तरफ ध्यान देने की आवश्यकता महसूस होती है।
- क्षेत्र की धरोहर के अस्तित्व पर संकट के बादल इस कदर छाए कि वर्तमान में यह बावली अपने जीर्णोद्धार की प्यासी नजर आती है।
- लालगंज तहसील मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर पचास दशक पूर्व कालाकांकर राज घराने के पूर्वजों द्वारा बावली का निर्माण कराया गया था।
- बावली में बने गहरे कुएं के चारो तरफ बावन कमरे हैं। लाखौरी ईटों द्वारा निर्मित यह कमरे जीर्णशीर्ण होकर खण्डहर का रूप ले चुके हैं। बावली के बगल ही चार किलोमीटर में सागर फैला हुआ है। बताते हैं कि गर्मी के दिनों में कालाकांकर रियासत के राजा हनुमत सिंह यहां आराम करने आते थे।
- बावली स्थित कुएं की विशेषता है कि इसका पानी कभी समाप्त नहीं होता। बताते हैं कि इसकी पुष्टि के लिए कई बार पानी निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सफल नहीं हुए। बावली के समीप ही ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मइयन देवी का मेला लगता है।
- एक समय ऐसा भी था कि प्रदेश के रायबरेली, लखनऊ, कानपुर, उन्नाव सहित कई जनपदों के श्रद्धालु यहां मन्नतें मांगने आते थे। मन्नतें पूरी होने पर लोग यहां निशान लगाने के साथ ही कुएं में आभूषण आदि डालते थे। रखरखाव के अभाव में कालाकांकर रियासत की यह महत्वपूर्ण धरोहर समाप्त होने की कगार पर है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख