पश्चिमी घाट पर्वत: Difference between revisions

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<blockquote>'ते सह्यं ममतिक्रम्य मलयंच महागिरिम्, आसेदुरानुपूर्व्येण समुद्रं भीमनिः-स्वनम्।'</blockquote>
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==विस्तार==
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[[चित्र:Western-Ghats-1.jpg|thumb|250px|पश्चिमी घाट शृंखला में [[अन्नामलाई पहाड़ी]]]]
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'पश्चिमी घाट पर्वत शृखला' [[गुजरात]] और [[महाराष्ट्र]] की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, [[गोवा]], [[कर्नाटक]], [[तमिलनाडु]] और [[केरल]] से गुजर कर [[कन्याकुमारी]] में समाप्त होती है। यह देश में [[मानसून]] के चक्र को पूरी तरह प्रभावित करती है।
==विश्व विरासत स्थल==
==विश्व विरासत स्थल==

Revision as of 10:22, 9 October 2014

पश्चिमी घाट पर्वत
विवरण 'पश्चिमी घाट पर्वत' भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को कहा जाता है। विश्‍व में जैविकीय विवधता के लिए यह शृंखला बहुत महत्त्वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्‍व में इसका 8वाँ स्थान है।
सर्वोच्च चोटी अनामुडी शिखर
लंबाई ताप्ती नदी के मुहाने से लेकर कुमारी अंतदीप तक लगभग 1600 कि.मी.।
चौड़ाई 100 कि.मी. (पूर्व-पश्चिम)
क्षेत्रफल 160,000 कि.मी.2
देश भारत
चट्टान रूप बैसाल्ट एवं लैटेराइट
अन्य जानकारी 'पश्चिमी घाट पर्वत शृखला' गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल से गुजर कर कन्याकुमारी में समाप्त होती है।

पश्चिमी घाट पर्वत या 'सहयाद्रि पर्वत' ताप्ती नदी के मुहाने से लेकर कुमारी अंतदीप तक लगभग 1600 कि.मी. की लंबाई में विस्तृत है। यह पर्वत एक वास्तविक पर्वत नहीं, बल्कि प्राय:द्वीप पठार का अपरदित खड़ा करार है। इसके उत्तरी भाग में बेसाल्ट चट्टानें पाई जाती हैं। 'थाल घाट', 'भोर घाट' एवं 'पाल घाट' पश्चिमी घाट पर्वत पर स्थित हैं।

पौराणिक उल्लेख

  • सहयाद्रि की गिनती पुराणों में उल्लिखित सप्तकुल पर्वतों में की गई है-

'महेन्द्रो मलयः सह्यः शुक्तिमानृक्षपर्वतः विन्ध्यश्च पारियात्रश्चसप्तैते कुलपर्वताः।'[1]

'गोदावरी भीमरथी कृष्णवेष्यादिकास्तथा सह्यपादोदभूताः नद्यः स्मुताः पापभयपहाः।

  • सप्तकुल पर्वतों का परिचायक उर्पयुक्त श्लोक महाभारत[3] में भी ठीक इसी प्रकार दिया हुआ है।
  • श्रीमद्भागवत[4] में सहयाद्रि की गणना अन्य भारतीय पर्वतों के साथ की गई है-

'मलयो मंगलप्रस्थोमैनाकस्त्रिकूटऋषभः कूटकः कोल्लकः सह्यो देवगिरिऋष्यमूकः।'

  • रघुवंश[5] में सहयाद्रि का उल्लेख रघु की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में है-

'असह्य विक्रमः सह्यंदूरान्मुक्तमुदन्वता नितम्बमिय मेदिन्याः स्रस्तांशुकमलंघयत्, तस्यानीर्क विसर्पद्भिरपरान्तजयोद्यतैः रामास्रोत्सारितोऽप्यासीत्सह्यलग्न इवार्णव:।'

  • उपरोक्त उद्धरण में सहयाद्रि का अपरान्त की विजय के संबंध में वर्णन किया गया है।
  • श्री चि. दि. वैद्य के अनुसार सहयाद्रि का विस्तार त्र्यम्बकेश्वर (नासिक के समीप पर्वत) से मलाबार तक माना गया है। इसके दक्षिण में मलय-गिरिमाल स्थित है।
  • 'वाल्मीकि रामायण' के युद्धकाण्ड[6] में सहयाद्रि तथा मलय का उल्लेख है-

'ते सह्यं ममतिक्रम्य मलयंच महागिरिम्, आसेदुरानुपूर्व्येण समुद्रं भीमनिः-स्वनम्।'

विस्तार

[[चित्र:Western-Ghats-1.jpg|thumb|250px|पश्चिमी घाट शृंखला में अन्नामलाई पहाड़ी]] 'पश्चिमी घाट पर्वत शृखला' गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल से गुजर कर कन्याकुमारी में समाप्त होती है। यह देश में मानसून के चक्र को पूरी तरह प्रभावित करती है।

विश्व विरासत स्थल

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

भारत में मानसून के चक्र को पूरी तरह प्रभावित करने वाली और हिमालय पर्वत से भी प्राचीन पश्चिमी घाट पर्वत शृंखला को संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने अपनी 'विश्व विरासत स्थल' सूची में शामिल किया है। करीब 1,600 किलोमीटर लंबी पश्चिमी घाट पर्वत शृखला को यूनेस्को ने जैव विविधता के दुनिया के सबसे प्रमुख स्थलों में शुमार किया है।[7]

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  1. इन पहाडि़यों का कुल क्षेत्र 160,000 वर्ग किलोमीटर है। इसकी औसत ऊँचाई लगभग 1200 मीटर (3900 फीट) है।
  2. पश्चिमी घाट में कम से कम 84 उभयचर प्रजातियाँ और 16 चिड़ियों की प्रजातियाँ और सात स्‍तनपायी और 1600 फूलों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो विश्‍व में और कहीं नहीं हैं।
  3. पश्चिमी घाट में सरकार द्वारा घोषित कई संरक्षित क्षेत्र हैं। इनमें दो जैव संरक्षित क्षेत्र और 13 राष्‍ट्रीय उद्यान हैं।
  4. पश्चिमी घाट में स्थित नीलागिरी बायोस्फियर रिजर्व का क्षेत्र 5500 वर्ग किलोमीटर है, जहां सदा हरे-भरे रहने वाले और मैदानी पेड़ों के वन मौजूद हैं।
  5. केरल का 'साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान' पश्चिमी घाट का हिस्‍सा है। यह भारत का ऐसा अंतिम उष्‍णकटिबंधीय हरित वन है, जहां अभी तक किसी ने प्रवेश नहीं किया है।
  6. अगस्त, 2011 में पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ समूह ने पूरे पश्चिमी घाट को पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुपुराण 2, 3, 3
  2. विष्णुपुराण 2, 3, 12
  3. भीष्मपर्व 9, 11
  4. श्रीमद्भागवत 5, 19, 16
  5. रघुवंश 4, 52, 53
  6. युद्धकाण्ड 4, 94
  7. भारत के पश्चिमी घाट भी यूनेस्को की विश्व विरासत में (हिन्दी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 09 अक्टूबर, 2014।

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